रंग तो खेलना है पर समझदारी के साथ
दैनिक अवन्तिका ब्रह्मास्त्र उज्जैन उज्जैन। पूरा बाजार होली की आहट के साथ गुलजार नजर आ रहा है। यूं तो हर वर्ष ही रंगो का ये त्यौहार आता है पर इस बार इसकी धूम इसलिए ज्यादा है क्योंकि माध्यमिक शिक्षा मण्डल भोपाल व सीबीएसई बोर्ड की परीक्षाएं होली से पहले ही समाप्त हो चुकी हैं और युवा इस त्यौहार को लेकर काफी उत्साहित हैं। बाजार मे तो रंगबिरंगी गुलाल व पिचकारियाँ सज गई हैं फिर भी आनेवाले दो दिन मे बाजार मे रौनक बढने के आसार हैं।
हर्बल रंगो की मांग ज्यादा
कुछ वर्षों से जागरूकता बढ जाने से लोग अपनी चमड़ी और खूबसूरती को लेकर काफी सजग हो गए हैं। रासायनिक रंगो के दुष्प्रभाव से वाकिफ होने से लोग प्राकृतिक रूप से तैयार गुलाल व रंग ज्यादा खरीद रहे हैं। शहीद पार्क पर अरारोट वाली गुलाल खरीद रही छात्रा प्राची कोलवाल ने दैनिक अवंतिका से चर्चा मे बताया कि केमिकल रंगों से एलर्जी हो जाती है जिससे स्किन मे जलन मचती है अतः इन रंगो का त्याग करके प्राकृतिक हर्बल गुलाल व रंग से होली खेलना चाहिए। ये हर्बल गुलाल महंगी तो है पर इसे लगाने से किसी को नुकसान तो नही होता है। इसी प्रकार रंग खरीद रहे पियूष हारोड ने बताया कि होली हम अपने प्रिय मित्रो के साथ ही तो खेलते हैं । होली का मतलब हमारे प्रिय लोगों को नुकसान पहुंचाना नही है अतः इसे एंजोय करने के लिए हर्बल रंग उत्तम विकल्प है।
गुलाबी रंग की मांग सबसे ज्यादा
रंगो की जानकारी देते हुए कमरी मार्ग के व्यापारी अली असगर रंगवाला ने बताया कि बाजार मे सर्वाधिक डिमांड गुलाबी रंग की होती है क्योंकि ये बहुत पक्का होता है और आसानी से छूटता नही है। रंगो का थोक बाजार इंदौर है। रंग ड्रम मे 10 व 15 किलोग्राम की पैकिंग मे आते हैं।खुले बाजार मे इसे तौला या ग्राम मे बेचा जाता है। रासायनिक रंग के कारखाने अहमदाबाद व मुंबई मे हैं। गुलाबी रंग को रूह का रंग भी बोलते हैं। ये चेहरे पर लगाने से सबसे ज्यादा खिलता है। इसके अलावा फिरोजी व जामुनी रंग भी मानव मुख पर अच्छे से चढता है। हर्बल रंग टेसू, हल्दी व मेंहदी से तैयार किए जाते हैं। इनका साइडइफेक्ट नही होता इसलिए लोग इन्हे पसंद कर रहे हैं।
रंगो मे प्रयुक्त होनेवाले रसायन
रंगो को ज्यादा पक्का व गाढा बनाने के लिए वर्तमान मे विभिन्न तरह के केमिकल मिलाए जाते हैं। इस संबंध मे रसायनशास्त्री अंकिता चौहान ने जानकारी देते हुए बताया कि रंगो मे नाइट्रो, एझो, थैलिन व एलिझायरिन रंजक मिलाए जाते हैं जो घातक हैं। ये मूलतः कपड़ो को रंगने मे प्रयुक्त होते हैं। उन्होने आगे बताया कि होली सदैव प्राकृतिक रंगो से ही खेलना चाहिए। हर्बल रंग हल्दी, चुकंदर, हीना व टेसू के फूलो से तैयार होते हैं ये चर्म के लिए घातक नही हैं।
सावधानियो के साथ मनाए होली
होली खेलने के दौरान क्या सावधानियां रखना चाहिए इस संबंध मे डाॅ रौनक ऐलची ने बताया कि कुछ सावधानियो के साथ होली खेली जाए तो पर्व का आनंद दोगुना हो जाता है। पहले तो रंग खेलने से पूर्व हाथ पांव व मुंह पर तेल या वैसलीन मल लें और हर्बल रंग ही उपयोग मे लाएं। मौसम का भी संधिकाल चल रहा है अतः रंग नासिका व श्वास नली मे जानेपर अस्थमा तक होने की आशंका हो सकती है। चमड़ी को कभी भी ज्यादा घिसकर साफ न करें इससे चर्म रोग की संभावना बढ जाती है।
मॉइश्चराइजर व सनस्क्रीन क्रीम अच्छा विकल्प
शहर की प्रसिद्ध चर्मरोग विशेषज्ञ अंकिता जैन का कहना है कि रंग खेलने से पूर्व चेहरे व हाथों पर अच्छे से मॉइश्चराइजिंग क्रीम या सनस्क्रीन क्रीम लगा ली जाए तो स्कीन की सुरक्षा हो सकती है। यदि रंग से स्किन पर जलन हो तो एंटी एलर्जिक लाइट दवा लेकर तुरंत योग्य चिकित्सक से कंस्ल्ट करना चाहिए।
होली के रंग मे भंग न हो इसका ख्याल रखते हुए हमे हर्बल गुलाल व रंगो को ही प्राथमिकता देना चाहिए व सद्भाव के साथ रंगो के इस सुन्दर त्यौहार को उत्साह से मनाना चाहिए।रंग तो खेलना है पर समझदारी के साथ
—पं राहुल शुक्ल–