पांच सालों में भी पूरी नहीं हो सकी भूमिगत सीवरेज पाइप-लाइन परियोजना
436 करोड़ रुपए की है नगर निगम की यह परियोजना
नवंबर 2019 में ही पूरी होना थी, अब जून तक का किया जा रहा है दावा
ब्रह्मास्त्र उज्जैन
नगर निगम की भूमिगत सीवरेज परियोजना पांच सालों के बाद भी पूरी नहीं हो सकी है। इस परियोजना को पूरा करने के लिए निगम 436 करोड़ खर्च कर रही है लेकिन जिस टाटा प्रोजेक्ट्स कंपनी को इसका काम दिया गया है। वह अनुबंध अवधि बीतने के बाद भी पूरा नहीं कर सकी है।
गौरतलब है कि अनुबंध अवधि नवंबर 2019 की थी लेकिन इस अवधि में परियोजना को पूरा नहीं किया गया। वहीं अब कंपनी का दावा है कि जून 2024 तक परियोजना को पूरा कर दिया जाएगा। लेकिन जिस धीमी गति से काम चल रहा है, उससे यह संभव नहीं दिखाई दे रहा है कि इसे दावा किए जा रहे माह के दौरान पूरा कर दिया जाएगा। इतना ही नहीं बल्कि इस पूरे साल भी इस परियोजना के पूरा होने की संभावना नहीं है क्योंकि जिस गति से टाटा कंपनी को काम करना चाहिए वह काम दिखाई नहीं दे रहा है।
महापौर का छलका दर्द… हम भी क्या करें….
ब्रह्मास्त्र से चर्चा करते वक्त महापौर मुकेश टटवाल का दर्द छलक उठा। उनका यह कहना था कि हम भी क्या कर सकते है। अब चूंकि टाटा को काम दे दिया गया है इसलिए उसके जिम्मेदार अधिकारियों से ही बात की जा रही है कि वह जून 2024 तक काम को पूरा करें। एक बार फिर फिर हाल ही में टाटा कंपनी के अधिकारियों से चर्चा की गई है। हालांकि महापौर टटवाल को उम्मीद है कि टाटा कंपनी हर हाल में जून 2024 तक परियोजना के काम को पूरा कर देगी।
लापरवाही के कारण प्रोजेक्ट पिछड़ता चला गया
नगर निगम और ठेकेदार फर्म टाटा प्रोजेक्ट्स कंपनी के बीच तय हुआ था कि टाटा दो वर्ष (नवंबर 2019 तक शहर के 54 में से 35 वार्डों में 432 किलोमीटर लंबी भूमिगत सीवेज पाइपलाइन और नदी किनारे 15.10 किलोमीटर लंबी ट्रंक मैन पाइप लाइन बिछाकर 60320 घरों में कनेक्शन जोड़ेगी। सुरासा में 92.5 एमएलडी क्षमता का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाएगी। हालांकि ऐसा नहीं हुआ। लापरवाही के कारण प्रोजेक्ट पिछड़ता चला गया। अब भी 143 किलोमीटर लंबी पाइप लाइन बिछाने, 57951 घरों में सीवरेज कनेक्शन जोड़ने 23579 चेंबर बनाने का काम बाकी है।
आखिर कैसे होसकेगी शिप्रा शुद्ध
यदि भूमिगत सीवरेज पाइप लाइन का काम धीमी गति से ही चलता रहा तो फिर शिप्रा का शुद्धिकरण जल्दी कैसे हो सकेगा। हालांकि सूबे के सीएम डॉ. मोहन यादव ने शिप्रा शुद्धिकरण के लिए निर्देश दिए है वहीं नगर निगम उज्जैन के साथ ही इंदौर और देवास को भी यह कहा है कि वे शिप्रा में गंदे पानी को छोड़ने वाले उद्योगों के खिलाफ कार्रवाई करें। लेकिन बताया गया है कि अभी भी कई उद्योग ऐसे है जिन पर निगम प्रशासन कार्रवाई नहीं कर रहा है और इस कारण गंदा पानी शिप्रा में मिल रहा है।