भाजपा मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र में हुई दोगुनी मजबूत, लोकसभा में दिखेगा असर
कांग्रेस बिना उत्साह के कर रही टिकिट वितरण , इंदौर और उज्जैन में प्रत्याशी के लाले पड़े
इंदौर। कांग्रेस के टिकिट के मामले में सोशल मीडिया पर जमकर हंसी उड़ रही है। वही कई तरह के जोक भी देखने को मिल रहे है। ऐसे में उज्जैन और इंदौर संभाग में तो सबसे ज्यादा फजीयत हो रही है। अब लगता है कि टिकट वितरण को लेकर कांग्रेस पिछड़ गई है। उज्जैन संभाग की बात करें तो कांग्रेस ने अभी तक उज्जैन, रतलाम और मंदसौर सीट पर प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं।
देवास शाजापुर की सीट पर पार्टी ने राधाकिशन मालवीय के पुत्र राजेंद्र मालवीय को उतारा है। राजेंद्र मालवीय को कमजोर माना जा रहा है। सज्जन सिंह वर्मा के समर्थकों का उनको पूरा समर्थन नहीं मिल रहा है। दूसरी तरफ भाजपा उज्जैन संभाग यानी मालवा अंचल में मजबूत नजर आ रही है। संघ परिवार का भी यहां जबरदस्त नेटवर्क है। दरअसल, मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव और उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा के कारण उज्जैन संभाग राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण होता जा रहा है।
उज्जैन संभाग पर सभी की निगाहें हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव खुद उज्जैन के विकास के लिए फोकस किए हुए हैं। कार्तिक मेले को ग्वालियर मेले की तर्ज पर व्यापारिक रूप से महत्वपूर्ण बनाया जा रहा है। हाल ही में उज्जैन में इन्वेस्टर समिट संपन्न हुई। 2028 के सिंहस्थ की अभी से तैयारी की जा रही है। महाकाल लोक के कारण वैसे ही उज्जैन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हो गया है।
मुख्यमंत्री उज्जैन को धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से और समृद्ध करना चाहते हैं तथा इसे व्यापारिक नगरी के रूप में भी विकसित करना चाहते हैं। चुनावी दृष्टिकोण से देखें तो संभाग में चार प्रमुख लोकसभा क्षेत्र हैं। इनमें उज्जैन-आलोट, रतलाम-झाबुआ, मंदसौर और शाजापुर-देवास शामिल हैं। लोकसभा चुनाव के लिए दोनों प्रमुख सियासी दल इन चार सीटों पर जीत के लिए मैदान में जुट गए हैं।
टिकट वितरण के मामले में भाजपा एक कदम आगे निकल गई है। भाजपा ने इस संभाग की सभी चार लोकसभा सीटों के प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। पिछले दो चुनावों के परिणाम भाजपा के पक्ष में रहे इसलिए पार्टी यहां प्रयोग करने से नहीं हिचक रही, वहीं कांग्रेस 2009 की यादों के साथ अपने खोए जनाधार के लिए मशक्कत करती दिखाई दे रही है। मालवा की इन चार प्रमुख सीटों की बात करें तो 2014 और 2019 में हुए चुनाव में सभी पर भाजपा प्रत्याशी जीते थे।
खास बात यह है कि 2009 के चुनाव में इन चार सीटों पर कांग्रेस ने अपना परचम लहराया था, लेकिन उसके बाद कांग्रेस अपना प्रदर्शन दोहरा नहीं पाई। हाल में हुए विधानसभा चुनाव में भी भाजपा का प्रदर्शन उम्दा रहा है। ऐसे में कांग्रेस के लिए यहां अपनी जड़ें खोजना मुश्किल काम दिखाई दे रहा है। विधानसभा चुनाव की तरह ही लोकसभा चुनाव में भाजपा अलग-अलग प्रयोग कर रही है।
उम्मीदवार चयन में यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है। चार में से दो सीटों पर पिछले बार के प्रत्याशी को ही उतारा गया है। वहीं रतलाम सीट पर वर्तमान सांसद का टिकट काट महिला प्रत्याशी को टिकट दिया गया है। जबकि उज्जैन से अनिल फिरोजिया को फिर से उतर गया है।