इंदौर प्रशासन से संतों का लाख टके का सवाल- पीने योग्य पानी नहीं तो फिर शिप्रा में क्यों छोड़ रहे..? जल से आचमन करते हैं संत व श्रध्दालु

ब्रह्मास्त्र इंदौर। शिप्रा और खान में मिलने वाले गंदे पानी की रिपोर्ट तैयार करने आया संतों का समूह बुधवार को दिनभर नदियों की परिक्रमा करता रहा। इंदौर प्रशासन ने दावा किया कि इंदौर के पानी को साफ कर छोड़ रहे हैं, प्रदूषण करने वाले उद्योगों को सील कर रहे हैं।
संत इन प्रयासों से संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि शिप्रा में एक बूंद भी खान और औद्योगिक प्रदूषण का पानी नहीं आना चाहिए। क्योंकि शिप्रा में स्नान ही नहीं, लोग आचमन भी करते हैं।
संतों ने कल इंदौर प्रशासन से कहा कि सांवेर में भी ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाए। उज्जैन से साधु-संतों का एक दल इंदौर के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट और खान नदी की जांच के लिए आया था। कलेक्टर मनीष सिंह और निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने उन्हें प्रेजेंटेशन से बताया कि इंदौर सीवरेज के पानी को ट्रीटमेंट के बाद ही नदियों में छोड़ रहा है। इस पर संतों ने पूछा यह इंदौर के लिए तो बहुत अच्छा प्रयास है लेकिन शिप्रा के पानी से हम आचमन करते हैं, यह पानी पीने योग्य है क्या? इस पर अधिकारियों ने कहा यह पानी पीने योग्य नहीं है। इस पर संतों ने कहा, तो फिर इसे क्यों शिप्रा में छोड़ा जा रहा है, आप इसे खेती में इस्तेमाल कीजिए। सांवेर में फैक्टरियों से गंदा पानी खान में मिल रहा है, इन पर कार्रवाई की जानी चाहिए और यहां भी एक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाना चाहिए। इधर इंदौर प्रशासन ने पांच फैक्ट्रियों को सील कर दिया है तथा उनके विद्युत कनेक्शन भी काट दिए हैं।उनसे कहा गया है कि जब तक दूषित पानी कहीं और छोड़ने की व्यवस्था नहीं कर लेते, तब तक फैक्ट्रियां नहीं खुलेंगी।