हुडदंग की तो हो जाएगी हो…ली
दैनिक अवन्तिका ब्रह्मास्त्र उज्जैन हुडदंग की तो हो जाएगी हो…ली
होली पर्व आम इंसान का पर्व है। बहुत ही सस्ता पर्व। चंद रूपयों में सिमटा हुआ पर्व। न तो इसमें नए कपडों की जरूरत होती है और न ही बडे खर्च को लेकर तनाव। इस पर हुडदंग होना एक परंपरा बन गया है। इस हुडदंग को मजे में परिवर्तन करने के प्रयास हुए लेकिन सफलता नहीं मिली है। इस त्यौहार को लेकर हमारे वर्दी वाले जितना तनाव में रहते हैं संभवत: उतना तनाव और वर्दी की तादात और गश्त कोरोना में भी नहीं रही । ऐसा नहीं है कि शांति के साथ पर्व मनाने के लिए यह पहली बार हो रहा है। इससे पूर्व में तो शांति,सद्भाव के लिए वर्दी ने आपराधिक तत्वों को थानों में ही इकठ्ठा कर वहीं पर इनकी एक दिन पूर्व से ही होली की व्यवस्था की है। थानों में इन्हें एक दिन पहले बुलाकर परिसर में ही इनकी होली मनवाई जाती रही है । होली के दुसरे दिन ही इन्हें घर जाने की इजाजत मिलती थी। इसके बाद भी आपराधिक तत्व अपनी करामात दिखाने और अपराध को अंजाम देने से बाज नहीं आते थे। इस बार वर्दी की आम आदमी से हमदर्दी तगडी है। खुसूर फुसूर है कि कप्तान ने सभी को स्वतंत्र रखते हुए आचार संहिता के पालन के साथ शांति ,सद्भाव का पेंप्लेट दे दिया है। पेंप्लेट में लिखी बात को अगर जरायमपेशा ने नहीं माना तो फिर कप्तान मैदान में उतर कर अपनी टीम से पेंप्लेट की इबारत ढंग से पडवाएंगे। कप्तान एवं उनके सभी मातहतों का पेंप्लेटपढाने का अंदाज थोडा अलग होगा। शांति ,सद्भाव से छेडछाड एवं आचार संहिता का पालन नहीं करने वालों को यह पढाई भारी पड सकती है।