महाकालेश्वर मंदिर में अब रंगपंचमी पर श्रद्धालुओं के रंग लाने पर प्रतिबंध
– होली के दौरान हुए हादसे से सबक लेकर कलेक्टर सिंह ने दिए आदेश
– श्रद्धालुओं की सख्ती से जांच होगी इसके बाद ही मिलेगा अंदर प्रवेश
दैनिक अवंतिका उज्जैन।
ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में अब रंगपंचमी पर्व के दौरान श्रद्धालु अपने साथ अंदर रंग नहीं ले जा सकेंगे। होली की भस्मारती में हुई आग लगने की घटना से सबक लेकर प्रशासन ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस संबंध में मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष एवं कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने आदेश जारी किए है।
हालांकि इस तरह के प्रतिबंध मंदिर में पहले से ही है लेकिन सख्ती नहीं होने की वजह से लोग अपने साथ अंदर होली खेलने के लिए रंग-गुलाल लेकर चले जाते थे लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। मंदिर के सभी गेट पर सुरक्षाकर्मी श्रद्धालुओं को चेकिंग के बाद ही छोड़ेंगे। सोमवार को होली की भस्मारती के दौरान मंदिर के गर्भगृह में आग लग गई थी जिसमें कुछ पंडे-पुजारियों, मंदिर समिति के कर्मचारियों सहित कुल 14 लोग झुलस गए थे। सभी उज्जैन व इंदौर के अस्पतालों में उपचार चल रहा है। मंदिर में पर्व के दौरान श्रद्धालुओं को जांच-पड़ताल के बाद ही अंदर प्रवेश दिया जाएगा। प्रतिबंध रंग, गुलाल आदि कोई भी सामग्री अंदर नहीं ले जा सकेंगे।
29 मार्च को रंगपंचमी, गर्भगृह में केवल
प्रतिकात्मक रंग लगाने की अनुमति है
कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने आगामी 29 मार्च को आ रहे रंगपंचमी पर्व के लिए गाइड लाइन जारी कर दी है। इसमें श्रद्धालुओं के महाकाल मंदिर में रंग लाने पर प्रतिबंध तो रहेगा ही साथ ही मंदिर के पुजारी, पुरोहितों को भी महाकाल मंदिर के गर्भगृह में रंगपंचमी खेलने की अनुमति नहीं रहेगी। सिर्फ प्रतीकात्मक रूप से भगवान को रंगपंचमी पर परंपरा अनुसार रंग अर्पित किया जाएगा। इसकी भी मात्रा सीमित रहेगी। कलेक्टर सिंह ने कहा कि जो परम्परा मंदिर में वर्षों से चली आ रही है, उसका निर्वहन करेंगे। इसके अतिरिक्त ऐसी किसी भी सामग्री का उपयोग नहीं करने दिया जाएगा जिससे की आम भक्तों को खतरा हो।
बाजार में मिलने वाली नकली केमिकल
युक्त गुलाल की वजह से लगी थी आग
मंदिर में होली की भस्मारती के दौरान आग लगने की घटना की प्रशासनिक स्तर पर जांच चल रही है। इसका सही-सही कारण जांच रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा लेकिन अभी तक की जानकारी जो सामने आई है वह यहीं है कि आग बाजार में मिलने वाली केमिकल युक्त नकली गुलाल की वजह से लगी थी। और यह गुलाल आम श्रद्धालुओं के द्वारा होली खेलने के उद्देश्य से मंदिर के अंदर लाई गई थी। क्योंकि मंदिर प्रबंध समिति भगवान को होली पर चढ़ाने के लिए जो गुलाल उपयोग करती है वह बाजार से खुली नहीं लाई जाती है बल्कि विशेष रूप से मंगवाई जाती है जो कि हर्बल गुलाल होती है। इस गुलाल को लगाने व उड़ाने से कोई नुकसान नहीं होता है। भस्मारती में कर्पूर आरती के दौरान पुजारी संजय गुरु के पीछे खड़े किसी श्रद्धालु ने उक्त नकली गुलाल फेंकी जिससे कि गुलाल पुजारी के सिर पर गिरी और बाद में वहीं गुलाल नीचे रखे दीपक में गिर गई और आग लग गई।
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