अरुण को खंडवा की टिकिट देने पर अड़े जीतू पटवारी, हार के डर से कई नेता पहले ही बना चुके है लोकसभा
इंदौर। पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव को जीतू पटवारी खंडवा में ही टिकट देकर उलझाना चाहते हैं। खंडवा से यदि अरुण यादव जीतते भी हैं तो खास बात नहीं होगी, क्योंकि वो यहां से 2009 में चुनाव जीत चुके हैं। जबकि गुना में यदि वो अच्छा चुनाव अभियान चलाते हैं, तो सीधे राहुल और प्रियंका के नजरों में आ जाएंगे।
जाहिर है अरुण यादव को यह पॉलिटिकल लग्जरी देने में जीतू पटवारी और उमंग सिंघार की जरा भी दिलचस्पी नहीं हैं। यही वजह है कि जीतू पटवारी की पूरी कोशिश है कि अरुण यादव गुना के बजाय खंडवा से ही चुनाव लड़ें। हालांकि अरुण यादव गुना लोकसभा सीट से ही चुनाव लड़ना चाहते हैं। उन्होंने राहुल गांधी से मिलकर अपना पक्ष भी रख दिया है पर गुना संसदीय क्षेत्र में उनका स्थानीय नेता बाहरी बताकर विरोध कर रहे हैं।
जयवर्धन सिंह ने तो इस आशय का बयान भी दिया है। इस कारण केंद्रीय चुनाव समिति की पिछली बैठक में उनके नाम पर सहमति बनने के बाद भी प्रत्याशी घोषित नहीं किया गया। यहां से राव यादवेंद्र सिंह यादव का नाम प्रस्तावित किया है। खंडवा से अरुण यादव के अलावा सुरेंद्र सिंह शेरा और सुनीता साकरगाए का भी विकल्प कांग्रेस के पास है।
खुद के बल पर चुनाव लड़ना पड़ेगा अक्षय कांति बम को —
अक्षय कांति बम को कांग्रेस ने टिकट जरूर दिया है ,लेकिन चुनाव उन्हें अपने खुद के बल पर लड़ना पड़ेगा। इसके कारण यह है कि इंदौर में शहर कांग्रेस की कार्यकारिणी नहीं बनी है। शहर कांग्रेस के पदाधिकारियों के नाम पर सुरजीत सिंह चड्डा, गोलू अग्निहोत्री, अरविंद बागड़ी, देवेंद्र यादव जैसे नेता हैं जो अध्यक्ष और कार्यवाहक अध्यक्ष के नाम पर केवल बयान बाजी करते हैं।
दरअसल, इंदौर लोकसभा क्षेत्र में उम्मीदवार घोषणा में ही कांग्रेस की सुस्ती नजर नहीं आई, बल्कि संगठन बड़ा करने के मामले में भी यही हाल है। शहर कांग्रेस में लगभग छह साल से कार्यकारिणी नहीं बन सकी है। लोकसभा चुनाव में भी जमीनी काम के लिए उम्मीदवार खुद की टीम और शहर कांग्रेस मोर्चा-प्रकोष्ठों के भरोसे हेगी।
शहर कांग्रेस के बीते दौर के अध्यक्ष शहर में टीम बनाने से बचते हे। मौजूदा अध्यक्ष टीम बनाने के तैयार हैं, लेकिन उन्हें नए प्रदेश अध्यक्ष की गाइडलाइन का इंतजार है। इंदौर शहर कांग्रेस की कार्यकारिणी प्रमोद टंडन के शहर अध्यक्ष रहते बनी थी। उन्होंने 2018 में नई कार्यकारिणी पठित की थी। इसके बाद विनय बाकलीवाल शहर अध्यक्ष बने। कांग्रेस सत्ता में भी आई। हालांकि बाकलीवाल कार्यकारिणी घोषित नहीं कर सके। उनके दौर में लगभग पांच साल बिना टीम के शहर कांग्रेस का चलती ही।
तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के भी बाकलीवाल करीबी रहे। उस दौरान सत्ता भी मिली और उपचुनावों में मुकाबला भी हुआ। इसके बावजूद बाकलीवाल इंदौर की टीम नहीं बना सके। लगभग आठ महीने पहले सुरजीत सिंह चड्डा को शहर कांग्रेस की कमान सौंपी गई। साथ में कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाए गए। बीते महीनों ने कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए, जिसमे विशाल (गोलू) अग्निहोत्री तो गांधी भवन से दूर ही नजर आ रहे हैं।