कालोनियों में सन्नाटा, मार्गो पर काम हुआ आवागमन मार्च में गर्मी के मई जैसे हालात, तापमान 40 डिग्री के आसपास
दैनिक अवंतिका(उज्जैन) विषुवत रेखा पर सूर्य के लंबवत होने के साथ 20 मार्च को उत्तरी गोलाद्र्ध में प्रवेश करने के बाद तापमान के तेवर काफी तीखे हो चुके हैं। मार्च में ही मई जैसे हालात महसूस हो रहे हैं। दोपहर 12 बजे बाद मार्गो पर चलना परेशानी भरा हो चुका है। आग उगलते सूरज की वजह से कालोनियों में सन्नाटा दिखाई दे रहा है। आगामी अप्रैल-मई माह में गर्मी के हालात और अधिक बिगडऩे का अंदेशा लगाया जाने लगा है।होली पर्व बीतने के बाद तापमान में एकाएक तेजी आ गई है। दो दिनों से अधिकतम तापमान 40 डिग्री दर्ज हो रहा है। न्यूनतम ने भी 20 डिग्री को पार कर लिया है। उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर से आ रही हवा में भी गर्माहट का अहसास हो रहा है। दोपहर 12 से शाम 4 बजे तक सूरज के तेवर इतने तीखे दिखाई दे रहे हैं कि सड़कों पर बिना चश्मे, टोपी और नकाब के निकलना परेशानी भरा हो चुका है। मौसम विभाग की माने तो 30 मार्च तक ऐसे ही हालात बने रहेंगे। उसके बाद सक्रिय हो रहे पश्चिमी विक्षोभ की वजह से वातावरण में कुछ नमी आएगी और आसमान में बादल दिखाई देंगे। तापमान कम होगा लेकिन उमस बढ़ जाएगी। इस बार गर्मी सालों पुराना रिकार्ड भी तोड़ सकती है। जिस तरह से मार्च माह में तापमान 40 डिग्री पर पहुंचा है उसे देखते हुए अप्रैल मई में अधिकतम 47-48 डिग्री को भी पार कर सकता है। वहीं न्यूनतम तापमान भी 25 डिग्री अधिक दर्ज होगा। बीती रात बुधवार-गुरुवार को उज्जैन में न्यूनतम तापमान 20 डिग्री को पार कर चुका था। वही प्रदेश के कुछ जिलों में 21 डिग्री से अधिक दर्ज किया गया था। पिछले कुछ माह में पश्चिमी विक्षोभ की एक्टिविटी काफी अधिक होना सामने आई है। फरवरी माह तक बारिश का क्रम बना हुआ था। अब इसी एक्टिविटी की वजह से तापमान में भी तेजी आने का क्रम शुरू हो चुका है। 2010 में पहुंचा था 46 डिग्री तापमान जीवाजीराव वेधशाला पर्यवेक्षक दीपक गुप्ता ने चर्चा में बताया कि उज्जैन में गर्मी के समय अधिकतम तापमान 43- 44 डिग्री के आसपास दर्ज होता रहा है। 21 मई 2010 को अब तक का सबसे अधिक 46 डिग्री अधिकतम तापमान दर्ज हुआ था। पिछले 20 सालों में इससे अधिक तापमान उज्जैन में दर्ज नहीं किया गया है। वैसे मार्च-अप्रैल में तापमान 40 डिग्री के आसपास पहुंच जाता है। मई माह में 4 से 5 डिग्री की तेजी आती है। जिसकी वजह राजस्थान की ओर से आने वाली गर्म हवा होती है लेकिन हवा का रुख बदलने पर तापमान में कमी आ जाती है। इस बार गर्मी के हालात कुछ बदले दिखाई दे रहा है। गर्मी के साथ उमस भी अधिक होगी। आगामी दो माह में ही पता चल पाएगा कि अधिकतम तापमान कहां तक पहुंचेगा। लापरवाही से झूलस सकती है त्वचा बढ़ते तापमान के बीच आम लोगों के जनजीवन पर पड़ रहे असर को लेकर जिला अस्पताल के डॉ. जितेंद्र शर्मा से चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि गर्मी से बचाव ही सबसे बड़ी सावधानी है। लापरवाही से शरीर की त्वचा झुलस सकती है। गर्मी से शरीर का पानी पसीना बनकर बाहर निकलता है। जिसकी कमी को बनाए रखने के लिए पानी भी अधिक पीने की आवश्यकता होती है। फ्रिज का ज्यादा ठंडा पानी पीने से भी स्वास्थ्य बिगड़ सकता है। गर्मी में मिट्टी से बने मटके का पानी सबसे अच्छा रहता है। ऐसे मौसम में तेल से बनी बाजार की चीज खाने से भी बचना चाहिए नहीं तो पेट का डाइजेशन बिगाड़ सकता है और लोग उल्टी दस्त का शिकार हो सकते हैं। गर्मी के मौसम में जरूरी काम होने पर ही घर से बाहर निकलना चाहिए।