न्यायिक जांच से मुख्तार की मौत का होगा खुलासा
जांच बांदा की सीजेएम गरिमा सिंह करेंगी
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार बांदा जेल में बंद पूर्वांचल के कुख्यात माफिया मुख्तार अंसारी की हुई मौत की न्यायिक जांच कराएगी. मुख्तार को मौत को लेकर उठ रहे सवालों को देखते हुए यह फैसला लिया गया है. मुख्तार अंसारी के परिजनों ने आरोप लगाया है कि उन्हें स्लो पॉइजन दिया गया है. समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती ने भी मुख्तार की मौत के मामले की जांच कराने की मांग की है. जबकि जेल प्रशासन का दावा है कि मुख्तार की मौत हार्ट अटैक से हुई है. फिलहाल इस मामले के तूल पकड़ता देख सरकार ने न्यायिक जांच बांदा की सीजेएम गरिमा सिंह को करने का आदेश दिया है. इस जांच की रिपोर्ट एक महीने में देनी होगी.
सरकार के इस फैसले से साफ हो गया है कि इस मामले की जांच सीबीआई से कराने के लिए विचार नहीं किया जा रहा है. भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद सहित कई नेताओं ने मुख्तार अंसारी की मौत की जांच सीबीआई से कराने का आग्रह किया था. बसपा सुप्रीमो मायावती ने मुख्तार अंसारी की जेल में हुई मौत को लेकर सोशल मीडिया पर यह लिखा था कि मुख्तार के परिवार द्वारा जो लगातार आशंकाएं और आरोप लगाए गए हैं उनकी उच्च-स्तरीय जाँच जरूरी, ताकि उनकी मौत के सही तथ्य सामने आ सकें. अखिलेश यादव ने भी सोशल मीडिया पर लिखा है, कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है. सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा. सपा सांसद एसटी हसन ने तो मामले की जांच किसी रिटायर्ड जज से कराने के बजाय सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज से कराने की मांग की है. मुख्तार अंसारी की मौत को एक बड़ी साजिश करार देते हुए कहा कि यह उनकी मौत नहीं, बल्कि हत्या है. विभिन्न दलों के नेताओं के ऐसे कथनों की जानकारी होने पर भी योगी सरकार ने इस प्रकरण की न्यायिक जांच कराने के लिए बांदा की जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल को कार्रवाई करने को कहा. इसी के बाद दुर्गा शक्ति नागपाल ने मामले की न्यायिक जांच के लिए बांदा जिला अदालत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को पत्र लिखा है. उन्होंने जांच के लिए कोर्ट की ओर से एक न्यायिक कमेटी का गठन किए जाने का आग्रह भी किया है.
न्यायिक हिरासत में हुई मुख्तार की मौत
मुख्तार अंसारी की भी मौत जेल में हुई है और अपनी मौत के वक्त वह न्यायिक हिरासत में था. इसलिए बांदा की डीएम ने सीजेएम को पत्र लिखकर न्यायिक जांच टीम गठित करने का आग्रह किया है. वैसे भी हिरासत में होने वाली किसी भी तरह की मौत के मामले की उच्चस्तरीय जांच का प्रावधान कानून में है. पुलिस हिरासत में यदि किसी कैदी की मौत होती है तो मामले की जांच एसडीएम स्तर के अधिकारी से कराई जाती है. वहीं यदि किसी कैदी की मौत न्यायिक हिरासत में हो तो इस परिस्थिति में जांच के लिए मजिस्ट्रेट की नियुक्ति नहीं होती. बल्कि इस तरह के मामलों की जांच के लिए जिला अदालत की ओर से एक कमेटी का गठन किया जाता है. इसे न्यायिक जांच की संज्ञा दी गई है.
जहर देकर मारने का है आरोप
मुख्तार अंसारी के परिजनों ने भी आरोप लगाया है कि मुख्तार अंसारी को मारने के लिए कई दिन से प्रयास हो रहे थे. उन्हें धीमा जहर दिया गया, ताकि उनकी मौत स्वाभाविक लगे. परिजनों ने यह भी आरोप लगाया कि मुख्तार की तबीयत खराब हुई तो समय रहते उन्हें अस्पताल नहीं पहुंचाया गया. अस्पताल पहुंचाने के बाद भी पुलिस और प्रशासन ने जानबूझ कर मुख्तार से परिजनों को दूर रखा. इस संबंध में एक ऑडियो टेप भी सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है. मुख्तार अंसारी के बेटे ने बांदा में हुए पोस्टमार्टम पर भी सवाल उठाया है।