उज्जैन के साधु-संतों को शिप्रा के लिए अब मुख्यमंत्री से ही मिलने का इंतजार
– निरीक्षण के बाद तैयार कर रहे पूरी रिपोर्ट, शिप्रा में मिल रहा गंदा पानी
– संत बोले – अधिकारियों से बात करने से कुछ नहीं होगा, सीएम को बताएंगे
ब्रह्मास्त्र उज्जैन। शिप्रा शुद्धिकरण की मांग को लेकर अड़े उज्जैन के साधु-संत अब मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं ताकि जैसे ही मुख्यमंत्री से मिले तो उन्हें बता सके कि शिप्रा की कहां क्या असलियत है।
क्योंकि प्रशासन के अधिकारी तो अब तक झूठ ही बोलते आए हैं। शिप्रा का देवास व इंदौर क्षेत्र में निरीक्षण कर लौटने के बाद संत इसकी पूरी रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। यह रिपोर्ट मुख्यमंत्री को ही दी जाएगी। पहले संतों ने कहा था कि उज्जैन, इंदौर व देवास के कलेक्टर को रिपोर्ट देंगे पर अब संतों का कहना हे कि जब इनके हाथ में कुछ है ही नहीं तो क्यों न सीधे मुख्यमंत्री से ही बात कि जाए। यह बात गऊघाट स्थित जगदीश मंदिर के महंत डॉ. रामेश्वर दास महाराज ने गुरुवार देरशाम दैनिक ब्रह्मास्त्र पत्रकार नीलेश शर्मा से चर्चा करते हुए कही। निरीक्षण दल में महामंडलेश्वर श्री ज्ञानदास महाराज, श्री क्षेत्र पंडा समिति के अध्यक्ष पंडित राजेश त्रिवेदी, महाकाल मंदिर के पुजारी महेश गुरु, वरिष्ठ समाजसेवी गोविंद खंडेलवाल प्रमुख रूप से शामिल थे।
नेताओ व अधिकारियों के कहने पर हटे थे दत्त अखाड़ा घाट से
महाराज ने कहा कि दत्त अखाड़ा घाट पर शिप्रा के लिए उन्होंने शहर के सभी साधु-संतों, तीर्थ पुरोहितों एवं पुजारियों के साथ मिलकर 5 दिनों तक धरना दिया था। इसके बाद शासन के प्रतिनिधि के रूप में अधिकारीगण व जनप्रतिनिधिगण उनके पास पहुंचे थे। सभी ने यहीं कहा था कि शिप्रा शुद्धिकरण को लेकर कई काम किए जा रहे हैं पर संतों को उनकी बात पर विश्वास नहीं हुआ। इसलिए भले ही उनके आश्वासन पर धरना स्थगित कर दिया था पर संतों ने अपने निजी वाहनों से देवास व इंदौर क्षेत्र में जाकर शिप्रा की स्थिति देखी तो पता चला कि अधिकांश जगह कीचड़ व फैक्ट्रियों से निकलने वाला जहरीला केमिकल मिल रहा था। वहीं कई जगह नाले-नाली तक मिलते देखे गए।
संतों ने कहा नदी का पानी स्नान तो दूर आचमन लायक भी नहीं
नदी का पानी वर्तमान में स्नान तो दूर आचमन करने के लायक नहीं है। ऐसे में अब अधिकारियों से बात करने का कोई मतलब नहीं है। क्योंकि वे लगातार झूठ बोलकर अपनी नौकरी बचाते फिरते हैं। संतों ने तय किया है कि अब सीधे मुख्यमंत्री से ही बात की जाएगी ताकि इसका कोई ठोस हल निकाला जा सके। संत अब मुख्यमंत्री के साथ सीधे चर्चा के इंतजार में हैं। संतों का कहना है कि या तो मुख्यमंत्री उन्हें भोपाल बुलाए तो वे बातचीत के लिए जाने को तैयार है और नहीं तो जब भी मुख्यमंत्री उज्जैन आएंगे संतों का प्रतिनिधिमंडल उनसे मिलकर शिप्रा पर बात करेगा।
गांव में जब संत पहुंचे तो ढोल
शिप्रा शुद्धिकरण की मांग करने वाले साधु-सतों का प्रतिनिधिमंडल जब शिप्रा के किनारे बसे गांवों में पहुंचा तो लोग बड़े प्रसन्न हुए और ढोल से स्वागत करते हुए उन्हें अंदर ले गए। संतों से लोग बोले -शिप्रा की सुध लेेने इतने सालों में कोई तो आया है। नहीं तो यहां तो कोई ध्यान देने वाला ही नहीं है। शिप्रा में नाले मिल रहे हैं। चारो तरफ कीचड़ है। यह बात सुन साधु-संत भी भाव-विभौर हो गए।