प्रतिमा कार्यशाला चल रही सप्तऋषि की प्रतिमा नहीं बदली जा रही
ब्रह्मास्त्र उज्जैन
श्री महाकाल लोक में सप्तऋषि की मूर्तियां पिछले साल मई माह में हल्के आंधी-तूफान में धराशायी हो गई थी। मूर्तियों को बाद में फायबर की मूर्तियां लगाकर तब्दील किया गया था। हाल ही में इनके स्थान पर पत्थर की मूर्ति लगाने की बात को सभी अधिकृत जिम्मेदारों ने सिरे से नकार दिया है। विक्रमादित्य शोध पीठ निदेशक श्रीराम तिवारी ने कहा कि वहां मूर्तिकला की कार्यशाला चल रही है जो निरंतर रहेगी।
28 मई 2023 को तेज आंधी और बारिश के दौरान श्री महाकाल लोक में लगी मूर्तियों में से कुछ मूर्तियां धराशाई हो कर टूट गई थी। इस प्राकृतिक घटना के दौरान महाकाल लोक का गलियारा श्रद्धालुओं से खचाखच भरा हुआ था। घटना के समय उज्जैन के तत्कालीन कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने बताया था कि श्री महाकाल लोक गलियारे में 160 मूर्तियां हैं, जिनमें से तेज आंधी से छह मूर्तियां गिरकर टूट गईं। ये टूटी मूर्तियां वहां स्थापित किये गये सात सप्त ऋषियों में से हैं और करीब 10 फीट ऊंची थी। ठेकेदार नयी मूर्तियां लगाएंगे, क्योंकि पांच साल तक की देखरेख का जिम्मा भी उनका ही है। हम आगे के लिए भी नियम और सख्त कर रहे हैं और उनकी जवाबदारी तय करने वाले हैं। बाद में यह बात भी रखी गई थी की हालिया स्थिति में फायबर की मूर्तियां बनवाकर लगा दी जाएंगी । समय अंतराल पर इनके स्थान पर पत्थर की मूर्तियां बनवाकर लगाई जाएंगी।
हाल ही में सप्तऋषि की मूर्तियों को पत्थर में तब्दील करने की भ्रांतिपूर्ण खबर से एक बार फिर मामला उठ खड़ा हुआ। पूरे मामले की तह में सामने आया है कि श्री महाकाल लोक में चल रहे मूर्ति तराशने की कार्यशाला से यह बात उठ खड़ी हुई है जबकि उसका श्री महाकाल लोक से कोई लेना देना नहीं है। यह कार्यशाला महाराजा विक्रमादित्य शोध पीठ के तहत चलाई जा रही है। शोध पीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी ने कहा कि हम त्रिवेणी संग्रहालय के पास मूर्ति कला की कार्यशाला चला रहे हैं।
यह कार्यशाला निरंतर रहेगी। इसमें विभिन्न प्रकार की मूर्ति बनाने का काम होगा। इन मूर्तियों को प्रदेश के तमाम स्थल जहां हमें जरूरत है वहां लगाएंगे। भोपाल में भी इन्हें लगाया जाएगा। इसका श्री महाकाल लोक की मूर्तियों से कोई लेना देना नहीं है। मूर्ति तब्दीली के मामले में स्मार्ट सिटी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एवं नगर निगम आयुक्त ने कहा कि उनकी जानकारी में ऐसी कोई बात नहीं है। स्मार्ट सिटी के अधीक्षण यंत्री नीरज पांडे का कहना था कि अभी हमने कोई निविदा भी नहीं की है और न ही कोई वर्क आॅर्डर ही दिया है। ऐसा कुछ हो रहा है मेरी जानकारी में नहीं है। श्री महाकाल लोक का निर्माण उज्जैन स्मार्ट सिटी ने ही किया है।