राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ ने राष्ट्रपति एवं मुख्यमंत्री के नाम दिया ज्ञापन
देवास। राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ ने किसानों की ज्वलंत समस्याओं को लेकर जिलाध्यक्ष गगनसिंह पटेल के नेतृत्व में सिटी मजिस्ट्रेट अभिषेक शर्मा को राष्ट्रपति एवं मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया। ज्ञापन में बताया गया कि देश के किसानो को कृषि उत्पाद सी 2 $ 50 के आधार पर लाभकारी मूल्य दिए जावे इसमें फसलों को क्रय करने की ग्यारंटी प्रदान की जावे क्योंकि देश की सरकारों ने कई बार वादे किये थे।
देश के सभी किसानों को ऋण मुक्त किया जावे क्योंकि स्वामीनाथन रिपोर्ट आने के बाद से प्रति वर्ष किसानों को 2.5-3 लाख करोड़ प्रतिवर्ष का नुकसान हो रहा है। किसान अपना हक मांग रहा है भीख नहीं। 378 दिन चले आंदोलन को समाप्त कराने के लिए जो वायदे भारत सरकार द्वारा किये गये थे उन्हें सअक्षर पूरा किया जावे। विगत 13 फरवरी 24 से देश का किसान दिल्ली की सीमाओं पर अपना घर परिवार छोड़कर विपरित प्राकृतिक परिस्थिति जिसके रास्ते में सरकार द्वारा कील, कांटे, कंटीले तार सीमेंट बेरिकेट्स लगाये गये है जो मानवता के विरूद्ध है तत्काल संज्ञान लेते हुए किसानों की मांगे पूरी की जाए। देसी गो संवर्धन संरक्षण हेतु गाय का दूध 200 रू लीटर तथा गोमूत्र और गोबर को क्रय किया जावे। किसानों के कृषि उत्पाद समर्थन मूल्य से कम पर क्रय न किये जावे कृषि उपज मंडियों को इस हेतु सख्त निर्देश दिए जाए। आपके घोषणा पत्र के अनुसार गेंहू 2700 रू तथा धान 3100 रू क्रय किया जावे परंतुु आप ही ने समर्थन मूल्य 2275 रू किया है क्या यह किसानों के साथ धोखा नहीं है। प्रदेश की सभी सब्जी मंडियों में लहसुन, आलू, प्याज आदि की एक्षिक व्यवस्था लागू की जाए क्योंकि सरकारी या प्रायवेट नीलामी से किसानों को नुकसान होता हे एकाधिकारी व्यवस्था खत्म की जाए। भूमि अधिग्रहण बिल किसानों के हित में हो वर्तमान में किसानों को उपजाउ भूमि प्रायवेट कंपनियों द्वारा प्रशासन की मिली भगत से ओने पौने दामों पर ली जा रही है इस लूट को तत्काल बंद किया जावे तथा सरकार द्वारा निर्धारित बजट तैयार किया जावे मुआवजा राशि बाजार कीमत से दस गुना दी जावे। वर्तमान में गेंहू उपार्जन केन्द्रों पर भारी लूट मची हुई है ग्रेअडिंग हम्माली तुलाई में किसानों से अवैध वसूली की जाती है। अच्छे गेंहू को भी पेसे के लालच में फैल कर दिया जाता है एक भी उपार्जन केन्द्र पर एफएक्यू सूचि नहीं है ना ही शासन का ऐसा स्पष्ट निर्देश है। ज्ञात रहे कि प्राकृतिक आपदा से गेंहू की क्वालिटी में कुछ कमी आई हैं।
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