जांच के लिए नमूने तो लेते है …..लेकिन सार्वजनिक नहीं होती रिपोर्ट
उज्जैन। खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा भले ही खाद्य सामग्री के नमूने जांच के लिए लेकर भोपाल स्थित प्रयोगशाला में भेजे जाते हो लेकिन यह स्पष्ट नहीं होता है कि जांच की रिपोर्ट कब तक आती है या फिर यदि रिपोर्ट आती भी है तो विभागीय अधिकारियों द्वारा उसे सार्वजनिक नहीं करते।
लिहाजा लोगों को यह मालूम ही नहीं पड़ता है कि जिस दुकान आदि से खाद्य सामग्री के नमूने लिए गए थे उसकी रिपोर्ट क्या आई है या फिर यदि रिपोर्ट अनुकूल नहीं है तो फिर संबंधित के खिलाफ आगे क्या कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि हाल ही में कलेक्टर नीरज कुमार सिंह के आदेश पर खाद्य सुरक्षा प्रशासन के खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की टीम द्वारा उज्जैन शहर के खाद्य प्रतिष्ठानों पर कार्यवाही की गई। खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के दल द्वारा कुल 11 नमूनों की मैजिक बॉक्स के माध्यम से जांच कर शंका के आधार पर प्राईम इण्डस्ट्रीज इण्डस्ट्रीयल एरिया मक्सी रोड़ से गारलिक मसाला, फिरदौस बेकरी तिलकेश्वर मार्ग से 4 मैदा के नमूनें, यामु पंचायत फ्रीगंज उज्जैन से सौंफ, गुलकंद, कोकोनट सलाई, नमूनें लिये जाकर जांच हेतु राज्य खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला भोपाल भेजे गये। कार्यवाही में खाद्य सुरक्षा अधिकारी महेन्द्र कुमार वर्मा, बी.एस.देवलिया एवं सुभाष खेड़कर शामिल थे। हालांकि इस तरह की कार्रवाई यदा-कदा ही होती है वहीं विशेषकर खास त्योहारों पर जरूर विभागीय अमला सक्रिय नजर आता है बावजूद इसके यहां लिखने में गुरेज नहीं है कि यदि जांच की कार्रवाई सतत रूप से हो या फिर सप्ताह दो सप्ताह में भी कार्रवाई की जाए तो निश्चित ही न केवल नागरिकों की सेहत के साथ खिलवाड़ होना बंद हो जाएगा वहीं मिलावटियों में भी विभागीय अफसरों का खौफ होगा। गौरतलब है कि विभागीय टीम द्वारा जितने भी नमूने लिए जाते है उन्हें भोपाल जांच के लिए भेजे जाते है लेकिन सवाल यह भी सामने आता है कि जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजे जाने वाले नमूनों की रिपोर्ट कब तक आती है इस बात का खुलासा नहीं किया जाता है वहीं यदि रिपोर्ट अनुकूल नहीं मिलती है तो संबंधित व्यापारी के खिलाफ आगे की कार्रवाई होती है या नहीं यह भी साफ नहीं होता है। ऐसे में यही दिखाई देता है कि विभाग के अफसरों की कार्रवाई सिर्फ नमूने लेने तक ही सीमित रह जाती है।