इंदौर आरटीओ की हठधर्मीता के चलते 400 बसों के चक्के थमे हजारों हुए बेरोजगार
इंदौर। इंदौर खरगोन के एक वरिष्ठ मोटर मालिक कमला देवी गौर द्वारा प्रस्तुत याचिका क्रमांक 2347./2024 इंदौर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई है। माननीय उच्च न्यायालय ने याचिका कि गंभीरता को समझते हुए नवीन परमिट आवेदन पर रोक लगाई है। परन्तु आदेश का अवलोकन कर आरटीओ इंदौर द्वारा लंबे समय से संचालित हो रहे अस्थाई परमिट (जिनकी सुनवाई पूर्व में हो चुकी थी) तथा जिसको नवीन आवेदन परमिट का आदेश मानकर अस्थाई परमिट जारी नहीं किये जा रहे हैं। जिलों में संचालित लगभग 400 से अधिक बसों का संचालन बंद होने से खंडवा खरगोन सेंधवा, बड़वानी बुरहानपुर, मंडलेश्वर, सनावद मनावर, भीकन गांव, अलीराजपुर, झाबुआ, कुक्षी, ओंकारेश्वर, उज्जैन सहित छोटे मार्गों की बसें पूर्णता शून्य हो गई है।
न्यायालय की दुहाई देकर नए परमिट नहीं देने वाले आरटीओ द्वारा इंदौर शहर के मध्य एवं 25 किलोमीटर के दायरे में चलने वाले वाहनों को नये अस्थाई परमिट दिये जा रहे हैं। प्राइम रुट बस आनर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष पंडित गोविंद शर्मा एवं प्रदेश महामंत्री सुशील अरोरा ने बताया की यदि जब माननीय उच्च न्यायालय इंदौर ने अस्थाई परमिट पर रोक लगाई है तो अंर्तशहरीय मार्ग पर संचालित यात्री वाहनों को नये परमिट कौन नियम से दिए जा रहे हैं। इस संबंध में हमारा कथन हैं कि मोटरयान अधिनियम के तहत सभी प्रकार अस्थाई परमिट जारी होने का एक ही नियम है फिर माननीय उच्च न्यायालय इंदौर के आदेश के विपरित परमिट जारी करना न्यायालय कि अवमानना कि श्रेणी में आता है।
दिनांक 2 अप्रैल को ऐसोसिएशन के अध्यक्ष पंडित गोविंद शर्मा ने इंटरविनर बन कर अपनी बातों को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया कि अस्थाई परमिट कि सुनवाई कि प्रक्रिया एक बार हो चुकी है ।
फिर अस्थाई परमिटो के आवेदनों पर परमिट जारी नहीं करने से आम नागरिकों को परेशानी हो रही है समयावधि मैं सुनवाई नहीं होने के कारण आगामी दिनों बाद में सुनवाई होगी।