कारे भूतड़ा…तू इके काईके सताए…. सोमवती के संयोग में भूतड़ी अमावस्या…बावनकुंड में ह्णभागेंगे भूत प्रेतह्ण…
मंगलवार से बिखरेगा चैत्र नवरात्रि का उल्लास, शुभ मुर्हूत में होगी घट स्थापना
उज्जैन। 8 अप्रैल को चैत्र मास की भूतड़ी अमावस्या इस बार सोमवती के संयोग में है। लिहाजा शिप्रा में तो सोमवती अमावस्या का स्नान करने के लिए आस्थावान पहुंचेंगे ही वहीं कालियादेह महल स्थित बावन कुंड में भी नहान के लिए लोग पहुंचेंगे।
मान्यता है कि बावन कुंड में स्नान करने से प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है। यहां सोमवार की सुबह से लेकर शाम तक तांत्रिकों…ओझाओं के साथ ही शरीर में आने वाले देवी देवताओं की आवाज गूंजेगी…कारे भूतड़ा…तू इके काइके सताए…! गौरतलब है कि सोमवती अमावस्या पर अन्य पवित्र नदियों के साथ ही शिप्रा नदी के अलावा सोमकुंड तीर्थ में भी स्नान करने का विशेष महत्व है। जबकि चैत्र माह की भूतड़ी अमावस्या पर कालियादेह महल स्थित बावन कुंड पर प्रेत या बाहरी बाधाओं की मुक्ति के लिए ग्रामीणजन बड़ी संख्या में पहुंचते है। इधर सोमवार के दूसरे दिन अर्थात मंगलवार 9 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि की शुरूआत होगी। हरसिद्धि, चौबीसखंबा, गढ़कालिका और अन्य प्रमुख देवी मंदिरों में जहां सुबह शुभ मुर्हूत में घट स्थापना की जाएगी वहीं मंदिरों में आस्थावानों की भीड़ लगेगी। हरसिद्धि मंदिर में हर दिन शाम के समय दीपमालिका लगेगी और दीपों की रोशनी से मंदिर परिसर आच्छादित हो उठेगा।
अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है
बड़नगर रोड पर कालिदास उद्यान के समीप सोमतीर्थ स्थित है। परिसर में सोमेश्वर महादेव का प्राचीन मंदिर तथा सोमकुंड है। मान्यता है सोमवती अमावस्या पर सोमकुंड में स्नान तथा श्री सोमेश्वर महादेव के दर्शन पूजन करने से मनुष्य को अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है तथा जन्म पत्रिका के मौजूद चंद्रमा के दोष समाप्त हो जाते हैं। इसी धार्मिक व ज्योतिष मान्यता के चलते सोमवती अमावस्या पर देशभर से हजारों श्रद्धालु यहां स्नान व दर्शन करने आते हैं।
घोड़े पर आएगी…हाथी पर जाएगी मॉं दुर्गा
मंगलवार 9 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि की शुरूआत होगी। ज्योतिषियों के अनुसार नवरात्रि में मॉं दुर्गा का आगमन घोड़े पर होगा जबकि प्रस्थान हाथी पर रहेगा। नवरात्रि में मां दुर्गा के आगमन और प्रस्थान के दौरान वाहन का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि मां दुर्गा के घोड़े पर सवार होकर आने से प्राकृतिक आपदा की आशंका प्रबल होती है। साथ ही सत्ता पक्ष में भी बदलाव देखने को मिलता है। नवरात्रि समापन 17 अप्रैल बुधवार को होने से माता के प्रस्थान की सवारी हाथी होगी। माता का हाथी पर सवार होकर प्रस्थान करना शुभ संकेत होता है। यह अच्छी बारिश, खुशहाली और तरक्की का संकेत देता है। काल नाम के इस संवत्सर के राजा मंगल और मंत्री शनिदेव होने से यह वर्ष बहुत ही उथल-पुथल वाला रहेगा।