सूर्यग्रहण का महाकाल मंदिर सहित कहीं भी सूतक का पालन नहीं होगा
– भारत में ग्रहण नहीं दिखने से धर्म-शास्त्र अनुसार इसकी मान्यता नहीं रहेगी
– शिप्रा में अमावस्या का स्नान भी होगा व दिनभर दान-पुण्य भी कर सकेंगे
फोटो – सूर्यग्रहण और महाकाल का जोड़कर लगा दें।
दैनिक अवंतिका उज्जैन। 8 व 9 अप्रैल की मध्य रात को लगने वाले सूर्यग्रहण का उज्जैन के ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर सहित कहीं भी सूतक पालन आदि नहीं किया जाएगा। क्योंकि भारत में यह सूर्यग्रहण दिखाई ही नहीं देगा।
इसके चलते धर्म व शास्त्रों की मान्यता के अनुसार यह ग्रहण नियम पालन हेतु मान्य नहीं रहेगा। विदेशों में सूर्यग्रहण दिखाई देगा।यहां तक की चैत्र की सोमवती अमावस्या पर भी शिप्रा में नहान आदि होंगे व दिनभर दान-पुण्य का क्रम भी चलता रहेगा। सूर्यग्रहण की यहां कोई धार्मिक मान्यता नहीं रहेगा। ग्रहण के समय मंदिरों में होने वाली आरती-पूजा व घरों में किए जाने वाले नित्य पूजा-पाठ आदि सब रोज की तरह चलते रहेंगे। महाकाल मंदिर के पुजारी आशीष गुरु ने कहा कि सूर्यग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए इसकी यहां कोई मान्यता नहीं होने से मंदिरों की दैनिक क्रिया अपने समय अनुसार जारी रहेगी।
भारतीय समय अनुसार रात
9.12 बजे शुरू होगा सूर्यग्रहण
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया 8 अप्रैल का ग्रहण भारतीय समय के अनुसार रात 9.12 बजे शुरू होगा और 2.22 बजे खत्म हो जाएगा। यह भारत में नहीं दिखेगा। अमेरिका, ग्रीन लैंड, मैक्सिको, कनाडा आदि देशों में दिखाई देगा।
जाने कैसे लगता है ग्रहण, क्या
है राहु-केतु से व समुद्र मंथन कथा
– प्राचीन काल में देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन किया था।
– जिसमें से 14 रत्न निकले थे। जब अमृत निकला तो देवता और दानव के बीच युद्ध हुआ।
– भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लेकर देवता को अमृतपान कराया।
– उस समय राहु नाम के असुर ने देवता का वेश धारण कर अमृत पान कर लिया।
– चंद्र और सूर्य ने राहु को पहचान लिया और भगवान विष्णु ने राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया।
– क्योंकि राहु ने भी अमृत पी लिया था, इस कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई।
– तब से राहु चंद्र और सूर्य को शत्रु मानता है।
– समय-समय पर इन ग्रहों को ग्रसता है। शास्त्रों में इसी घटना को सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण कहते हैं।