दूसरे थानों से बुलाना पड़ती है महिला अधिकारी खाराकुआ थाना क्षेत्र की सुरक्षा-व्यवस्था 24 पुलिसकर्मियों के भरोसे

दैनिक अवन्तिका ब्रह्मास्त्र
उज्जैन। शहर में जनसुविधा और त्वरित पुलिसिंग के लिये जनवरी माह के दौरान राजस्व और पुलिस विभाग की सीमाओं में एकरूपता लाने के लिये थानों की सीमाओं का पुनर्गठन किया गया था। जिसके बाद खाराकुआ थाना क्षेत्र की सीमा में कई क्षेत्र जोड़े गये। क्षेत्रफल बढ़ा होने के बाद भी यहां की सुरक्षा-व्यवस्था थाना प्रभारी सहित 24 पुलिसकर्मियों के भरोसे ही बनी हुई है। कुछ साल पहले थाना क्षेत्र में झिंझर कांड हो चुका है। यहीं नहीं पिछले वर्ष सांप्रदायिक तनाव के हालत भी बन गये थे।
थानों की सीमा का पुर्नगठन होने के बाद खाराकुआ थाना क्षेत्र में कोतवाली थाना के 5 क्षेत्र, महाकाल थाना के 12 क्षेत्र, जीवाजीगंज थाने के 4 क्षेत्र को जोड़ दिया गया है। जिसकी सुरक्षा-व्यवस्था का जिम्मा अब खाराकुआ थाने पर आ गया है। लेकिन यहां सबसे बड़ी समस्या पुलिस स्टाफ की बनी हुई है। पूर्व में थाना नगर निगम के भवन में संचालित होता था, उस दौरान पुलिस बल की स्वीकृत 64 हुआ करती थी, अब थाने का नया भवन टंकी चौक और मिर्जानईम बेग मार्ग के बीच बन चुका है। लेकिन स्टॉफ की काफी कमी हो गई है। क्षेत्रफल बढऩे से डेढ़ से दो लाख लोगों की जनसंख्या बढ़ चुकी है, जिनकी सुरक्षा-व्यवस्था का जिम्मा मात्र 24 पुलिसकर्मियों के भरोसे ही बना हुआ है। थाना क्षेत्र में अधिकांश व्यापारी है अब रहवासी क्षेत्र बढऩे से पुलिस कर्मियों का तनाव भी बढ़ गया। क्षेत्र में यातायात की समस्या सबसे बढ़ी है। मार्ग सकरे होने पर पल-पल जाम की स्थिति निर्मित होती है। वहीं धार्मिक पर्वो के दौरान निकलने वाले जुलूस-जलसों का मार्ग भी इसी थाने की सीमा से होकर गुजरता है। जिसके चलते वर्तमान में ड्युटी कर रहे पुलिसकर्मी को काम करने में काफी परेशानी झेलना पड़ रही है। बताया जा रहा है कि इतने कम स्टॉफ में ड्युटी के पाइंट लगाना भी परेशानी भरा बना हुआ है। कई बार तो पुलिसकर्मी 18 से 20 घंटे थाने पर ही बने रहते है। थाना संवेदनशील क्षेत्र की श्रेणी में भी आता है। यहां पिछले वर्ष 2 संप्रदायों के बीच तनाव की स्थिति भी निर्मित हो गई थी।
महिला एसआई नहीं होना बढ़ी समस्या
बताया जा रहा है कि थाने में टीआई के अलावा दो एसआई, एक एएसआई के साथ 9 प्रधान आरक्षक, 7 आरक्षक और पांच महिला आरक्षक तैनात है। जिसमें से 2 महिला पुलिसकर्मी गर्भवती है। जिनसे स्टॉफ ज्यादा काम नहीं ले पा रहा है। 2 महिला पुलिसकर्मी में से एक कम्प्यूटर पर और दूसरी सूचना संकलन में तैनात है। एक महिला आरक्षक ही ड्युटी कर रही है। थाने में महिला एसआई की तैनाती नहीं होना बढ़ी समस्या बना हुआ है। अगर थाने में महिला संबंधी मामला आता है तो दूसरे थानों से महिला अधिकारी को बुलाना पड़ता है। उसके बाद ही पीडि़त महिला के बयान और संबंधी अपराध में जांच शुरू हो पाती है। वर्तमान स्टॉफ में से भी अगर किसी पुलिस कर्मी को विवेचना के लिये शहर से बाहर जाना पड़ता है तो बल की ओर कमी हो जाती है।
सभी थानों में स्वीकृत से कम पुलिस की तैनाती
खाराकुआ ही नहीं शहर में सभी थानों पर पुलिस बल की कमी होना बताया जा रहा है। थानों में स्वीकृत बल से कम पुलिसकर्मी काम कर रहे है। जिसके चलते एक पुलिसकर्मी के पास अपने क्षेत्र के अपराध की विवेचना के साथ दूसरे क्षेत्र में हुए अपराध की जांच डायरी भी रखी हुई है। पुलिसकर्मियों पर आबकारी, जुआ एक्ट प्रकरणों के टारगेट का दबाव भी बना हुआ है। जुलूस-जलासों और वीआईपी के आने पर पीएसओ ड्युटी लगने से अपराधिक मामलों का निकाल करने में देरी हो रही है और पेडिंग अपराधों की संख्या बढ़ती जा रही है। पुलिस कर्मियों को साप्ताहिक अवकाश भी नहीं मिल पा रहा है।

Author: Dainik Awantika