900 करोड़ की उम्मीद पर खरा नहीं उतर सका इंदौर आरटीओ
उज्जैन के वाहन मेला ने इंदौर के राजस्व पर डाला गहरा प्रभाव
इंदौर। परिवहन कार्यालय इंदौर को इस साल 900 करोड़ रुपए से ज्यादा राजस्व की उम्मीद थी, लेकिन लापरवाही और ढील पोल के कारण पूरी नहीं हो सकी। वित्तीय वर्ष 2023-24 में 865 करोड़ रुपए में ही संतोष करना पड़ा। इसके तीन कारण बताए जा रहे हैं।
एक तो आरटीओ का ढीला रवैया, ले-देकर पतली गली से मामलों को निपटाना और उज्जैन वाहन मेले छूट मिलने से अधिकांश वाहनों का रजिस्टर्ड होना। इस बार आरटीओ का राजस्व 900 करोड़ रुपए पार होने की उम्मीद जताई जा रही थी, लेकिन कई ऐसी कमियां हैं जिन पर मुस्तैदी से कार्रवाई होती तो आरटीओ का राजस्व बढ़ सकता था, किंतु राजनीतिक और प्रशासनिक दबाव और ढीले रवैए में यह संभव नहीं हो सका।
बगैर टैक्सी परमिट भाड़े पर चलने वाले वाहनों की ही बात करें तो प्रशासनिक अमले, नगर निगम व कई सरकारी दफ्तरों में अफसरों के पास बगैर टैक्सी परमिट गाड़ियां दौड़ रही हैं। इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह वाहनएमपी-09- डबल्यूएच-7755 का इस्तेमाल करते हैं।
केंद्रीय परिवहन विभाग का एम परिवहन ऐप बता रहा है कि यह चार पहिया मोटर कार टैक्सी परमिट नहीं है। जबकि जिला प्रशासन ने इसे भाड़े पर ले रखा है। यह मोटर कार वर्ष 2021 में इंदौर आरटीओ से पंजीकृत है, जो नोटिस-नोटिस का खेल
पिछले दिनों के बाद आरटीओ ने कई विभागों को नोटिस जारी किया था, लेकिन नए वित्तीय वर्ष से टैक्सी परमिट के वादे पर कार्रवाई नहीं की।
नया वित्तीय वर्ष शुरू हुए दो दिन गुजर गए, लेकिन इनमें से अधिकांश वाहन अब भी बगैर टैक्सी परमिट दौड़ रहे हैं। इसके अलावा राजस्व में कमी का एक और बड़ा कारण उज्जैन में लगने वाला 45 दिन का वाहन मेला है। शहर में आने वाली अधिकांश गाड़ियां वहां के आरटीओ में रजिस्टर्ड हुई। इसका नुकसान इंदौर आरटीओ को झेलना पड़ा।
इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव के पास भाड़े पर चल रही कार एमपी-09-जेडबी-1112 भी नॉन टैक्सी परमिट गाड़ी है। प्रशासनिक अफसरों व निगम अधिकारियों के पास चलने वाले अधिकांश वाहन परिवहन विभाग का टैक्सी परिवहन नियम का उल्लंघन कर रहे हैं।
कई सरकारी महकमों के अधिकारी भाड़े पर बगैर टैक्सी परमिट वाहनों का इस्तेमाल कर रहे हैं। यदि इनके खिलाफ चालानी कार्रवाई होती तो 865 करोड़ से ज्यादा राजस्व एकत्रित किया जा सकता था।