छोटे, मंझले और भाषाई अखबारों से ही कायम रहेगी पत्रकारिता स्टेट प्रेस क्लब द्वारा आयोजित राष्ट्रीय परिसंवाद में प्रेस क्लब आफ इंडिया के अध्यक्ष लखेडा ने कहा
ब्रह्मास्त्र इंदौर। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया नई दिल्ली के अध्यक्ष उमाकांत लखेडा ने कहा है कि छोटे , मंझले और भाषाई अखबारों से ही पत्रकारिता कायम रहेगी । वर्तमान में देश में पत्रकारिता के समक्ष चुनौतियों का वह दौर आ गया है जो कि इससे पहले कभी नहीं रहा है । श्री लखेडा यहां स्टेट प्रेस क्लब मध्यप्रदेश के द्वारा आयोजित राष्ट्रीय परिसंवाद को संबोधित कर रहे थे । इस परिसंवाद का विषय था- पत्रकारिता का वर्तमान दौर और चुनौतियां।
पत्रकारों के प्रति लोगों का जो भरोसा उठने लगा और जो उनकी इज्जत कम हुई है तो उसके पीछे एक ही कारण है कि वह अपना फायदा देखने लगे । देश में पत्रकारिता कायम रहेगी तो छोटे मंछले और भाषाई अखबारों के माध्यम से ।
वरिष्ठ पत्रकार एवं राज्यसभा टीवी के पूर्व संपादक राजेश बादल ने कहा कि यह वक्त कठिन वक्त है। ऐसा दौर मैने पिछले 40 सालों में कभी नहीं देखा । पत्रकारिता में इंदौर के घराने का अपना महत्व है । आज जब यहां से पत्रकारिता के समक्ष मौजूद चुनौतियों पर बात होती है तो वह बात दूर तक जाएगी । आज हमारी साख पर सवाल उठ रहे हैं । पत्रकारिता की गाड़ी पटरी से उतर गई है।
वरिष्ठ पत्रकार जे पी दीवान ने कहा कि आज देश में पत्रकारिता पर ही नहीं बल्कि देश के संविधान पर भी खतरा पैदा हो गया है । जिन लोगों का राष्ट्र के निर्माण में योगदान नहीं रहा , वह लोग आज संविधान की रीढ़ की हड्डी को कमजोर करने का काम कर रहे हैं।
नई दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार अरविंद कुमार सिंह ने कहा कि इससे ज्यादा जटिल दौर पत्रकारिता के सामने कभी नहीं आया। देश के जनता का विश्वास प्रिंट मीडिया के साथ जुड़ा हुआ है । सोशल मीडिया मुख्य धारा की पत्रकारिता नहीं है । आज हम लोगों के समक्ष इस विश्वसनीयता को बचाने की चुनौती है। भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार मनोज कुमार ने कहा कि पत्रकारिता में गुरु शिष्य परंपरा समाप्त हो गई है । अब पत्रकारिता में डिग्री धारी लोग आ रहे हैं । इससे पत्रकारिता की गुणवत्ता पर फर्क पड़ा है । डिग्री धारियों के प्रशिक्षण के लिए समुचित व्यवस्था अब तक हमारे देश में नहीं है।
इसके पूर्व स्वागत भाषण स्टेट प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल ने दिया। इस अवसर पर अतिथियों का स्वागत और उन्हें स्मृति चिन्ह कमल कस्तूरी ,अजय भट्ट, विजय गुंजाल, प्रवीण धनोतिया, सोनाली यादव, मनोहर लिंबोदिया, ताहिर कमाल सिद्दीकी, गिरीश मालवीय आदि ने किया। संचालन जितेंद्र जाखेटिया ने किया ।आभार नवनीत शुक्ला ने माना।