शहर में ई-रिक्शा की भरमार रूट को लेकर कोई गंभीर नहीं शहर में ई-रिक्शा की संख्या लगातार बढ़ रही महाकाल क्षेत्र में इनसे हो रही है यातायात व्यवस्था ध्वस्त
दैनिक अवन्तिका ब्रह्मास्त्र
उज्जैन। महाकाल लोक बनने के बाद बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है उज्जैन पहुंचने पर वह ई-रिक्शा में सवार होकर धार्मिक स्थलों पर दर्शन के लिए निकलते हैं महाकाल मंदिर की तरफ जाने वाले मार्ग की संकरी गलियों में ई रिक्शा की वजह से हमेशा जाम लगा रहता है। इनका रूट भी निर्धारित नहीं किया गया है। इसकी वजह से यह कहीं भी खड़े होकर ट्रैफिक व्यवस्था को चौपट कर रहे हैं महाकाल क्षेत्र में हमेशा जाम की स्थिति बनती है साथ ही कार सहित अन्य चौपाइयां वाहन भी महाकाल मंदिर की तरफ की संकरी गलियों से होकर निकले लगे हैं इसलिए इन मार्गों पर हमेशा जाम लगा रहता है। ई-रिक्शा की संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है । लेकिन ना तो इन ई रिक्शा का रूट निर्धारित किया गया है ना ही इनकी मनमानी पर कोई लगाम कसी जा रही है खास बात तो यह है कई ई रिक्शा की कमान नौसीखियों के हाथ में है इस वजह से यात्रियों की जान भी जोखिम में है। कई तो नशे में धूत होकर ई रिक्शा चलाते हैं। पिछले दिनों नशे में धूत ई रिक्शा चालकों के सोशल मीडिया पर नशे की अवस्था में वीडियो वायरल हुए थे और वह नशे में सड़क के बीच ई रिक्शा की स्टेरिंग थामे लड़खड़ाते हुए देखे गए थे और उसके बाद भी इन पर कोई शिकंजा नहीं कसा जा रहा है सड़क पर स्टंट करते हुए भी पुलिस ने ई रिक्शा चालकों को पकड़कर उनको सबक सिखाया था लेकिन उसके बाद भी इनकी हरकतों से यह बाज नहीं आ रहे हैं इसके अलावा इनको किस रूट पर संचालित करना है इसका कोई निर्धारण नहीं किया जा रहा है। वर्तमान में ई रिक्शा की संख्या हजारों है ओर यह थमने की जगह बढ़ती जा रही है, जिसके कारण शहर में सड़को की चाल बिगड़़ती जा रही है ओर आम जन जाम के कारण हर रोज परेशान हो रहे है।बिगड़ रही चाल
जिस संख्या में ई रिक्शाओ का रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है उसके बाद भी आरटीओ विभाग यह नहीं समझ पा रहा है कि इनकी संख्या बढ़ने से शहर में क्या हालात होगें? वैसे शहरी परिवहन सेवा में संचालित वाहनो के लिए रूट का निर्धारण करना आरटीओ का काम है जिससे सड़को की चाल बिगड़ न सके, लेकिन ई रिक्शाओ व ऑटो का संचालन हो रहा है। वैसे शहर की ट्रैफिक सुधार के लिए करोड़ो की राशि खर्च कर तमाम काम किए जा रहे है, लेकिन सवाल यह है कि जब वाहनो का संचालन ही मार्ग के हिसाब से नहीं होगा तो फिर ट्रैफिक सुधार कैसे होगा?
l