वैदिक घडी का एप चुनाव बाद आएगा
-मुहूर्त बदलते ही घडी से निकलती है मंदिर के घंटे की आवाज
उज्जैन। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिस वैदिक घडी का वर्चुअल उद्घाटन किया था उस पर सायबर अटैक हुआ था। घडी के लिए बन रहे एप की वेबसाइड इससे प्रभावित हुई थी जिसे मात्र कुछ घंटों में ही ठीक कर लिया गया था। घडी का एप तत्कालीन दौर में ही आने वाला था जो अब चुनाव बाद ही आ पाएगा। वैदिक घडी के संचालन को लेकर भी चुनाव बाद ही शासन स्तर पर तय होगा कि इसे वेधशाला संचालित करेगी या फिर स्थापन संस्था महाराजा विक्रमादित्य शोध पीठ।
वैदिक काल के मान से सुर्योदय से दिन की गणना के लिए उज्जैन के यंत्रमहल मार्ग पर वेधशाला के पास लगाई गई वैदिक घडी में ग्रीन विच स्टेंडर्ड समय के घंटा, मिनिट, सैकंड की तरह ही मुहूर्त, कला, काष्ठा होते हैं। ग्रीनविच के समय में एक दिन में 60 मिनिट के 24 घंटे होते हैं तो वैदिक घडी में एक दिन में करीब 48 मिनिट के 30 मुहूर्त होते हैं। घडी जिस स्थान पर लगती है वहां के सुर्योदय के मान से ही संचालित होती है। सूर्योदय के समय इसमें समय शुन्य हो जाता है।
मुहूर्त बदलते ही मंदिर के घंटे की आवाज-
वैदिक घडी में लगभग 48 मिनिट पर मुहूर्त का परिवर्तन होता है। इस परिवर्तन के समय घडी से मंदिर में बजने वाले घंटे के समान आवाज कुछ मिनिट तक निकलती है। 30 मुहूर्त के बदलने पर 30 बार घडी से यह आवाज निकलती है। खास यह है कि पास ही में नदी का घाट है और यहां मंदिर होने से यह आवाज बिल्कुल प्राकृतिक महसूस होती है।
एप अब चुनाव बाद ही लांच होगा-
वैदिक घडी को महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ ने स्थापित किया है। निदेशक श्री राम तिवारी बताते हैं कि घडी के उद्धाटन के कुछ दिनों बाद ही सायबर अटैक हैकर ने किया था। वैदिक घडी इसमें पूरी तरह सुरक्षित थी। इसमें इंस्टालेशन को वह कुछ नहीं कर पाया था। घडी का जो एप बनाया जा रहा है उसकी वेबसाईड के साथ छेडछाड होने पर उसकी स्पीड धीमी हो गई थी। बाद में उसे भी अपडेट कर लिया गया है। आचार संहिता होने के कारण घडी का एप अब चुनाव के बाद ही लांच किया जाएगा।
संचालन का निर्णय शासन स्तर से तय होगा-
वैदिक घडी के पास ही शासकीय जीवाजी वेधशाला का संचालन किया जाता है। यहां प्रतिदिन देशभर से पर्यटक भी आते हैं और उज्जैन दर्शन में भी यह शामिल है। इसकी स्थापना 1719 में सवाई राजा जयसिंह द्वितीय ने की थी। वेधशाला में परंपरागत शंकु,भित्ती यंत्र सहित 6 यंत्रों से खगोलीय गणना की जाती है। साथ ही यहां तारामंडल का संचालन भी किया जा रहा है। यहां पुराने यंत्रों के साथ ही आधुनिक संसाधन भी वेधशाला में हैं। वेधशाला में कर्मचारी भी 24 घंटे उपलब्ध रहते हैं। वैदिक घडी स्थापन करने वाले शोधपीठ का वर्तमान कार्यालय यहां से 4 किलोमीटर दूर है। इस क्षेत्र में शोधपीठ की मात्र वैदिक घडी ही है। ऐसे में वैदिक घडी के संचालन को लेकर निर्णय शासन स्तर से ही होगा। शोधपीठ निदेशक श्री तिवारी कहते हैं वैदिक घडी को हमने शुरू किया है उसके लिए जमीन भी अलग से ही है। शासन स्तर से ही तय होगा कि भविष्य में इसका संचालन किसके जिम्मे दिया जाता है।