जान माल पर सुरक्षा का सवाल ,मैरिज गार्डन गाईड लाईन नियमों के बुरे हाल
-नगर निगम में गिनती के मैरिज गार्डन पंजीयन, गाईड लाईन को लेकर कोई कार्रवाई शादी के सीजन में सामने नहीं आई
उज्जैन। मैरिज गार्डन के लिए नियम तो तमाम बने हुए हैं लेकिन उनके पालन के बुरे हाल हैं। सीधे तौर पर कहा जाए तो जान-माल की सुरक्षा का सवाल उठ रहा है और गाईड लाईन के नियमों के बुरे हाल हैं। न तो मेरिज गार्डनों में अग्निशमन यंत्र हैं और न ही पार्किंग के लिए कुल क्षेत्रफल का 25 फीसदी भाग छोडा गया है। कई के पास तो नगर निगम की फायर एनओसी ही नहीं है उपर से धडल्ले से लाखों की कमाई जान-माल से खिलवाड करते हुए की जा रही है। नियमों का पालन करवाने वाले महज इसे देख रहे हैं और अपनी स्वार्थपूर्ति में लगे हैं।
शहर के ज्यादातर मैरिज गार्डन गाईन लाईन के नियमों के साथ खिलवाड कर चलाए जा रहे हैं। इनमें शासकीय कम्यूनिटी हाल भी शामिल हैं। विकास प्राधिकरण और नगर निगम के इन कम्युनिटी हाल में भी गाईड लाईन के नियमों को ताक में रखकर संचालन किया जा रहा है। निजी से तो उम्मीद ही नहीं की जा सकती है। यहां होने वाले आयोजनों में सीधे तौर पर जान माल की सुरक्षा का सवाल बना रहता है।
माल की सुरक्षा ?
माल की सुरक्षा की बात की जाए तो हाल ही में पुलिस कम्युनिटी हाल में लिफाफे चुराने का मामला सामने है। यह पहला मामला नहीं है जब शहर के मैरिज गार्डनों में चोरी की वारदात को अंजाम दिया गया हो। सामान्य चोरियां तो यहां आम हैं। ऐसा कई मैरिज गार्डनों में हो चुका है। पूर्व में भी कई प्रकरण इस प्रकार के दर्ज हो चुके हैं। अधिकांश में अब तक माल घर मालिक के हाथ आया ही नहीं और आया भी तो आधा-दूदा।
जान की सुरक्षा ?
जान की सुरक्षा के नाम पर यहां नियमों के साथ सीधा सीधा खिलवाड किया जा रहा है। विकास प्राधिकरण और नगर निगम के कम्युनिटी हाल में ही अग्निशमन यंत्रों का अभाव है और अगर रखे भी गए हैं तो मात्र शो पीस बन कर रह गए है। उनकी मियाद ही पूरी हो चुकी है। ऐसे में आगजनी की बड़ी घटना हो जाए तो सुरक्षा की गारंटी नहीं है। यही हाल अधिकांश निजी मैरिज गार्डनों के हैं। अधिकांश मैरिज गार्डन ने फायर एनओसी नहीं ली है। कारण है कि फायर एनओसी के लिए कई मापदंडों को पूरा करना होता है।
छोटी मोटी घटनाएं आम-
सामने आ रहा है कि इन मैरिज गार्डनों में छोटी मोटी घटनाएं आम हो गई हैं। आग की छोटी मोटी घटनाएं तो इनके यहां होती ही रहती है। घरेलू गैंस की टंकियों में उपयोग के दौरान आग लगना इनके यहां आम है। पर्दे जलना और छोटा मोटा सामान भी जलता ही रहता है। ऐसी सूचनाएं शादी समारोह में जाने वाले अतिथियों के मूंह से आप आए दिन सून सकते हैं।
फायर एनओसी नियम में जरूरी,धरातल पर नहीं-
शहर कुछेक मैरिज गार्डन को छोड़ दे तो अधिकांश के पास फायर एनओसी का अभाव है। नगर निगम के अधिकारी इनकी जांच करना भी वाजिब नहीं समझते हैं। इतना भी वाजिब नहीं समझा जाता है कि जांच की बजाय नोटिस जारी कर जानकारियां तो ली ही जा सकती है। जिससे यह साफ हो जाए की कितने मैरिज गार्डन नियमानुसार चल रहे हैं और शेष में क्या हालात हैं पंजीयन कितनों के हैं और कितने पंजीयन के विरूद्घ संचालित किए जा रहे हैं।
गाईन लाईन मात्र दस्तावेजों तक सिमटी-
मैरिज गार्डनों के लिए गाइड लाइन है। जिनके पालन के साथ ही मैरिज गार्डनों को संचालित किया जाना है। इससे परे मैरिज हाउस गाइड लाइन के मुताबिक नहीं फायदे के मुताबिक संचालित हो रहे है। यही वजह है कि आग से सुरक्षा के इंतजाम भी मैरिज गार्डन संचालकों ने नहीं किए है। चूंकि शादी का माहौल रहता है ऐसे में गार्डनों में आग आदि लगने की आशंका बनी रहती है। मैरिज गार्डनों में अग्नि दुर्घटनाओं की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए नगर निगम को यहां पूर्व नियोजित तैयारी करवाना चाहिए जिससे की फायर ब्रिगेड वाहनों के पहुंचने तक आग पर छोटे साधनों से काबू में रखा जा सके ,लेकिन आग बुझाने के पर्याप्त इंतजाम कहीं दिखाई नहीं देते हैं। मैरिज गार्डन संचालकों को गाइडलाइन की कोई परवाह नहीं है। सीधे तौर पर नियमों की अनदेखी की जा रही है।
तीन साल बाद भी गिनती के पंजीयन-
नगरीय प्रशासन विभाग की मैरिज गार्डन को लेकर गाइड लाइन जनवरी 2021 में जारी हुई और मार्च में लागू हो गई। उसके बाद भी पंजीयन करवाने वाले मैरिज गार्डन उंगलियों पर गिने जा सकते हैं। अधिकांश अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं। संचालक नई गाइडलाइन की रजिस्ट्रेशन की परवाह किए बिना समारोह की बुकिंग करते हैं और जमकर लोगों को लूटने में लगे हैं। मैरिज गार्डन संचालकों को अपने यहां आग से बचाव के लिए अग्निशमन यंत्र, रेत आदि का इंतजाम करके रखना होता है। आग रोकने के इंतजाम के साथ साथ उन्हें नगरनिगम से फायर एनओसी लेना होती है। नगरनिगम के अफसरों को पूरे इंतजाम मिलते हैं तो वे एनओसी जारी कर देते हैं
न इनकी कार्रवाई न उनकी-
मैरिज गार्डन में पार्किंग का पूरा ध्यान रखा जाना है। शहर में अधिकांश गार्डन में पार्किंग को लेकर दिखावे की जगह है। ऐसे में नगर निगम को कार्रवाई करना है। समारोह के दौरान अवैध पार्किंग को लेकर यातायात पुलिस कार्रवाई कर सकती है। शादियों के सीजन में अब तक न तो नगर निगम ने ऐसी कोई कार्रवाई को अंजाम दिया है और न ही यातायात पुलिस ने ही सडकों पर पार्किंग करने के मामले में मैरिज गार्डन संचालकों को ही नोटिस जारी किया है।
ये है गाइडलाइन में प्रावधान-
मैरिज गार्डन के कुल क्षेत्रफल का 25 फीसदी क्षेत्र पार्किंग के लिए आरक्षित होगा। हर वह प्राइवेट प्रॉपर्टी जहां पर 50 से अधिक लोगों का कार्यक्रम आयोजित हो सकता है, मैरिज गार्डन माना जाएगा। मैरिज गार्डन का पंजीयन नहीं कराने पर उसे अवैध घोषित कर तोड़ा जा सकता है। मैरिज गार्डन का पंजीयन शुल्क क्षेत्रफल के अनुसार निर्धारित होगा। मैरिज गार्डन में साफ- सफाई, वाहन एवं नागरिकों की सुरक्षा एवं अग्निशमन के उपकरण रखने होंगे। लगभग 12 हजार रुपए पंजीयन शुल्क के साथ प्रतिवर्ष 750 से 10 हजार रुपए उपभोक्ता शुल्क भी रखा गया है। प्रत्येक तीन वर्ष में पंजीयन का नवीनीकरण होगा। नियमों का उल्लंघन करने पर 10 हजार रुपए तक जुर्माना का प्रावधान।