कर्मचारियों की भर्ती के लिए शासन की अनुमति का इंतजार

 

प्राधिकारण में 386 स्वीकृत और 178 पद खाली एक बार फिर शासन को भेजा पत्र, बीएलओ में ड्यूटी के कारण भी हो रही परेशानी

इंदौर। आईडीए में एक तरफ तो कर्मचारियों की बेहद कमी और जो कर्मचारी हैं उनमें से अधिकतर की ड्यूटी बीएलओ के तहत निर्वाचन में लगी है। अब परेशानी यह है कि लोग विकास प्राधिकरण के चक्कर लगाने पर मजबूर हैं और बाबू है कि मिलते नहीं है।
शासन को पहले भी पत्र लिखा गया था ,लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया है। एक बार फिर से कर्मचारियों की कमी को लेकर विकास प्राधिकरण की ओर से शासन को पत्र लिखा गया है। विकास प्राधिकरण में कई योजनाओं का लंबे समय से काम प्रभावित हो रहा है। प्राधिकरण में 386 पद स्वीकृत है तो 178 पद आज भी वर्क चार्ज के खाली है।
इसके अलावा अन्य मद में 135 पद स्वीकृत है जिसमें 33 पद खाली है। वैसे देखा जाए तो कुल 208 पद खाली होने से कर्मचारियों की बेहद कमी है।इन्दौर विकास प्राधिकरण
की और से शासन को रिक्त पद भरने के लिए अनुमति मांगी गई है।
आईडीए में पिछले कई वर्षों से कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे है या तबादले हो रहे हैं। स्वीकृत पद होने के बावजूद यहां पर कर्मचारियों की कमी लंबे समय से है इसलिए कई

 

प्राधिकरण ने प्रतिनियुक्ति या शासन की ओर से भी खाली पदों को जल्द भरने को लेकर एक पत्र आवास एवं पर्यावरण मंत्रालय भोपाल लिखा। प्राधिकरण में संपदा शाखा से लेकर अन्य महत्वपूर्ण शाखाओं में कर्मचारी से लेकर अधिकारियों की है।
ऐसे में यह आसानी से समझा जा सकता है कि यहां पर कर्मचारियों की कितनी कमी है। हालांकि प्राधिकरण में आउटसोर्स कर्मचारियों से भी काम चलाने की योजना बनाई गई है। अभी तक इस बारे में कोई फाइनल चर्चा नहीं हुई है।
योजनाओं के कार्य भी प्रभावित हो रहे है। अतिरिक्त कार्य कर्मचारियों द्वारा करने के बाद ही बमुश्किल हो पा रहे है इसलिए यहां पर कई बार चक्कर लगाने पर लोगों को मजबूर होना पड़ रहा है। इस मामले में बोर्ड बैठक में भी चर्चा हुई।

पहले तीन बार बत्ती योजना लेकिन आगे नहीं बढ़ सका काता अब होगा —

विकास प्राधिकरण सीईओ ने बताया कि कर्मचारियों की कमी तो है क्योंकि लंबे समय से सेवानिवृत्त हो रहे हैं तो तबादले भी होने से परेशानी है। केवल अनुकंपा या अन्य विभागों से ही कर्मचारी यहां पर आए हैं और आज भी यहां कई पर पद खाली है जिन्हें जल्द भरने के लिए शासन को भी पत्र लिखा गया है।