प्रशासन कह रहा सफाई चल रही पर  हकीकत तो ये शिप्रा गंदी हो रही

– मछलियां मरने से क्षेत्र में बदबू फेल रही है और घाटों पर कचरा भी पड़ा

 

दैनिक अवंतिका उज्जैन।    

प्रशासन का कहना है कि शिप्रा नदी व घाटों की रोज सफाई करवाई जा रही है लेकिन हकीकत तो कुछ और ही है। शिप्रा में मछलियां मर रही है। क्षेत्र में इसकी बदबू फैल रही है और घाटों पर भी कचरे के ढेर पड़े देखे जा सकते हैं। 

ऐसा इसलिए कह सकते हैं कि शिप्रा में गंदगी को लेकर जब नगर निगम के आयुक्त आशीष पाठक से जब पूछा गया कि आखिर क्यों गंदगी फैल रही है तो उन्होंने साफ कहा कि प्रतिदिन सफाई हो रही है। जबकि हकीकत तो यह है कि मछलियों की बदबू से प्रतिदिन शिप्रा के घाट पर पूजन आदि कार्य से आने वाले पंडे-पुजारी हो या आम श्रद्धालु परेशान है। शिप्रा के मुख्य रामघाट पर ही कई दिनों से मृत मछलियों के कारण बदबू आने की समस्या बनी हुई है। बाहर से स्नान, पूजन आदि के लिए आ रहे श्रद्धालु में इससे नाराजगी है। लेकिन शिकायत किससे करे और घाट पर उनकी कौन सुने। बताया जाता है कि तेज गर्मी के चलते शिप्रा के पानी में लगातार मछलियां मर रही है। क्योंकि गर्मी के मौसम में नदी में जमा गंदा पानी तेजी से सड़ने लगता है, तापमान बढ़ने से भी पानी में घुलित ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है। इस कारण से मछलियां इस मौसम अधिक मरती है। प्रशासन को इस समय ध्यान देकर ज्यादा सफाई करवाना चाहिए। साथ ही नदी के पानी में ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाने का भी प्रयास करना चाहिए।

घाटों पर गंदगी के ढेर, हालत यह 

है कि श्रद्धालु बैठ भी नहीं सकते

घाटों पर गंदगी, पूजा सामग्री के ढेर लग रहे हैं। स्नान करने वाले स्थान पर काई जम रही है। हालत यह है कि श्रद्धालु घाट पर कुछ देर सकुन से बैठ भी नहीं सकते हैं। 

पानी साफ करने के लिए लगाए 

फाउंटेन अक्सर बंद रहते हैं 

नगर निगम ने हाल ही में नदी के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाने के लिए चार फ्लोटिंग फाउंटेन लगाए थे लेकिन इनका उपयोग नहीं किया जा रहा। ये अक्सर बंद रहते हैं। घाट पर रहने वाले लोगों ने बताया कि 5 अप्रैल को 4 फ्लोटिंग फाउंटेन नदी में लगवाए थे, लेकिन केवल दीपोत्सव पर चलाए गए, उसके बाद से इन्हें चलते नहीं देखा गया। 

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