इंदौर नगर निगम में फर्जी बिल कांड ने खोल दी सरकार की भी आंखें–प्रदेश की नगर निगमों- पालिकाओं में भी अरबो रुपए के फर्जीवाड़े की आशंका

 

स्थानीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने दिए जांच के आदेश

इंदौर। नगर निगम इंदौर में 28 करोड़ 76 लाख रुपये का फर्जी बिल कांड उजागर होने के बाद प्रदेशभर के अन्य नगरीय निकायों में भी इसी तरह के फर्जीवाड़े की आशंका है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि काम करने वाली ज्यादातर ठेकेदार कंपनियां एक दूसरे से जुड़ी रहती हैं या अन्य नगर निगम व नगर पालिकाओं में भी ठेके लेती हैं। समझा जा सकता है कि जिस तरह इंदौर नगर निगम में बिना काम के फर्जी बिल लगाकर भुगतान लिया जा रहा था , इस तरह के कांड और भी नगर निगम तथा नगर पालिकाओं में अंजाम दिए गए होंगे। इंदौर नगर निगम में हुए इस बड़े फर्जीवाड़े ने सरकार की भी आंखें खोल दी है।
इसी आशंका के चलते प्रदेश के स्थानीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने सभी नगरीय निकायों में जांच के आदेश दिए हैं। प्रदेश के प्रमुख सचिव अपने स्तर पर जांच करवाएंगे। यदि यह जांच निष्पक्षता से हुई तो पूरे प्रदेश में अरबों रुपए का घोटाला सामने आ सकता है।
इन निकायों और खासकर सभी नगर निगमों तथा बड़ी नगर पालिकाओं में पिछले पांच वर्षों में विभिन्न प्रोजेक्ट के तहत हुए विकास कार्यों और उनके एवज में किए गए भुगतान की जांच की जाएगी।
इंदौर नगर निगम में हाल ही में 28 करोड़ 76 लाख रुपये का फर्जी बिल कांड सामने आया है। इंदौर की पांच फर्मों ने ड्रेनेज विभाग में बगैर काम किए 28 करोड़ 76 लाख रुपये के फर्जी बिल प्रस्तुत किए थे।

फर्जी बिलों का आडिट भी बगैर भौतिक सत्यापन के हो गया

बिल पास करने के पहले भौतिक सत्यापन किया जाना जरूरी होता है कि वह कार्य हुआ है या नहीं। हुआ है तो उसकी क्वालिटी क्या है ? चौंकाने वाली बात यह है कि इन बिलों का बगैर भौतिक सत्यापन आडिट भी हो गया। आडिट शाखा ने आंख मूंदकर इन बिलों को लेखा शाखा को भेजा, ताकि भुगतान हो सके। लेखा शाखा में शक होने पर जब ये बिल वापस ड्रेनेज शाखा को भेजे गए तो पता चला कि जिस काम के बिल प्रस्तुत किए गए हैं, वह तो उक्त फर्मों ने कभी किया ही नहीं था।

पांच फर्म और उनके संचालकों पर प्रकरण

फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद नगर निगम ने पांच फर्में नींव कंस्ट्रक्शन, ग्रीन कंस्ट्रक्शन, किंग कंस्ट्रक्शन, क्षितिज इंटरप्राइजेस व जाह्नवी इंटरप्राइजेस और इन फर्मों के संचालक मो. साजिद, मो. सिद्दिकी, मो. जाकिर, रेणु वडेरा और राहुल वडेरा के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कराया है। इधर निगमायुक्त शिवम वर्मा ने भी जांच समिति गठित की है। अब प्रदेश सरकार ने अन्य नगरीय निकायों में भी जांच का आदेश दिया है।