दसवीं का परिणाम 58 फीसदी तो 12 वीं का 73.19 रहा
-दोनों ही कक्षाओं में छात्राओं ने छात्रों से बाजी मारी,प्रदेश भर में 10 वीं का परिणाम गिरा
-पिछले 5 सालों में दुसरी बार 10 वीं का परीक्षा परिणाम नीचे आया
उज्जैन। माध्यमिक शिक्षा मंडल के बुधवार को जारी 10 वीं एवं 12 वीं कक्षा के जारी परिणामों में उज्जैन जिले में दोनों ही कक्षाओं में छात्राओं ने एक बार फिर बाजी मारी है। जिले में कक्षा 10 वीं का परिणाम 58 फीसदी दर्ज किया गया है जो कि पिछले 5 वर्षों में एक बार फिर से नीचे गिरा है। 12 वीं का परीक्षा परिणाम जिले में 73.19 दर्ज किया गया है। दसवी की परीक्षा में जिले से 18640 विद्यार्थी सम्मिलित हुए थे इनमें से 10811 ही उत्तीर्ण हुए हैं। 12 वीं में जिले से 10899 विद्यार्थी सम्मिलित हुए थे जिनमें से 7977 उत्तीर्ण हुए हैं।
पिछले 5 सालों में दुसरी बार उजजैन जिले में कक्षा 10 वीं का परिणाम नीचे आया है ऐसा नहीं है प्रदेश स्तर पर ही इस कक्षा का परिणाम इस वर्ष नीचे आया है। इसी अपेक्षा 12 वीं का परीक्षा परिणाम करीब –करीब पिछले 5 वर्षों के समान ही रहा है।
10 वीं ,12 वीं में छात्राओं ने बाजी मारी –
जिले में कक्षा 10 वीं में कुल 18640 विद्यार्थी परीक्षा में सम्मिलित हुए थे। इनमें 9378 बालक एवं 9262 बालिकाएं थी। घोषित परिणाम में 4785 बालक एवं 6026 बालिकाएं उत्तीर्ण हुए हैं। इस प्रकार से उत्तीर्ण प्रतिशत बालकों का 51.02 एवं बालिकाओं का 65.06रहा है। इसी प्रकार से कक्षा 12 वीं में जिले से कुल 10899 विद्यार्थी सम्मिलित हुए थे। इनमें 5373 बालक एवं 5526 बालिकाएं शामिल थी। घोषित परिणाम में 3634 बालक एवं 4343 बालिकाएं उत्तीर्ण हुए हैं। इस प्रकार से उत्तीर्ण प्रतिशत बालकों का67.63 एवं बालिकाओं का 78.59 रहा है।
परिणाम पिछले 6 साल एक नजर में-
परिणाम वर्ष 10 वीं 12 वीं
2018 76.44 79.24
2019 68.01 74.39
2020 71.06 74.96
2021 कोरोना काल कोरोना काल
2022 46.14 64.21
2023 61.43 61.32
2024 58.01 73.19
स्त्रोत- जिला शिक्षा कार्यालय,उज्जैन
10 वीं की जिला सूची में 3 छात्रा एक छात्र-
कक्षा 10 वीं की जिला स्तरीय मेरिट सूची में संत मीरा कांवेंट हायर सेकेंडरी स्कूल की छात्रा आस्था पिता कमलेश योगी ने 500 में से 481 अंक अर्जित कर जिले में पहला स्थान पाया है। उनके साथ ही शा.उत्कृष्ठ उमावि माधवनगर की छात्रा प्रथा पिता दत्तात्रय पालीवाल ने भी इतने ही अंक अर्जिंत कर पहले स्थान पर ही रही हैं। जिले में दुसरे स्थान पर शासकीय उत्कृष्ठ उमावि माधवनगर के छात्र आर्यन पिता उमाशंकर सक्सेना रहे हैं । उन्होंने 500 में से 479 अंक अर्जित किए हैं। जिले में तीसरा स्थान शासकीय उत्कृष्ठ उमावि माधवनगर की छात्रा अनुष्का पिता मनोज चावडा ने पाया है । उन्होंने 500 में से 478 अंक अर्जित किए हैं।
12 वीं की जिला सूची में एक छात्र 8 छात्राएं-
12 वीं की जिला मेंरिट सूची में सरस्वती हा. से स्कूल बडनगर की आयुषि पिता लोकेन्द्र सिंह गोहिल,शासकीय कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल तराना की अलीशा पिताअफजल खान, शा.उत्कृष्ठ उमावि माधवनगर के आदित्य पिता आशीष गुप्ता इसी विघालय की अनुष्का पिता उमेश सोनी, इसी विघालय की हिमानी पिता शरद पंड्या, इसी विद्यालय की यशिका पिता पवन सोनी,सरस्वती विद्या मंदिर हायर सेकेंडरी स्कूल ऋषिनगर की छात्रा अदिति पिता जसवंत आंजना, सरस्वती शिशु विद्या मंदिर हायर सेकेंडरी स्कूल नागदा रोड खाचरौद की निलाक्षी पिता लखन सिंह राणा, शा. उत्कृष्ठ उमावि माधवनगर की साक्षी पिता सीताराम चौकसे ने स्थान बनाया है।
-शिक्षा प्रशासन का पक्ष
10 वीं में बेस्ट आफ फाइव हटाने से गडबडाया परिणाम-
10 वीं कक्षा में परिणाम का प्रतिशत उज्जैन जिले में ही नहीं पूरे प्रदेश में ही गिरा है। इसके लिए प्रारंभिक रूप से एक कारण जो सामने आ रहा है वो बेस्ट आफ फाईव की प्रक्रिया को खत्म करना भी सामने आ रहा है। शासन स्तर से ही पूर्व में 6 में से 5 विषय में पास होने पर विद्यार्थी को पास माना जाएगा की निती चल रही थी। उस निती को इस वर्ष बंद कर दिया गया । इससे भी 10 वीं कक्षा के परिणाम में एक दम गिरावट की स्थिति बनी है। प्रभारी संयुक्त संचालक सुश्री रमा नाहटे बताती हैं कि अभी संभाग के सभी जिलों के जिला शिक्षाअधिकारियों के साथ परिणाम पर विश्लेषण बैठक होगी जिसमें कारण सामने आएंगे। प्रारंभिक स्तर पर एक कारण बेस्ट आफ फाईव हो सकता है। सुश्री नाहटे ने बताया कि संभाग स्तर पर देखा जाए तो प्रदेश में उज्जैन संभाग का कक्षा 10 वीं के परिणाम में हम 4 थे नंबर पर रहे हैं। कक्षा 12 वीं के परिणाम में उज्जैन संभाग ने 3 रा स्थान पाया है। एडीपीसी गिरिश तिवारी के अनुसार जिला वार प्रदेश स्तर पर देखा जाए तो उज्जैन जिला 10 वीं के परिणाम में प्रदेश में 26 वें स्थान पर और 12 वीं के परिणाम में प्रदेश में 5 वें स्थान पर रहा है।
-परीक्षार्थियों का पक्ष
सख्ती ने बच्चों को डराया-
परिणाम आने के उपरांत बच्चों से चर्चा में सामने आया कि इस बार मंडल ने परीक्षा लेने में बहुत ज्यादा सख्ती की थी। यह सख्ती प्रशासन-पुलिस एवं व्यवस्थाओं तक सिमित होती तो ठीक थी। सख्ती की स्थिति स्कूलों तक भी उतर आई थी। स्कूलों में परीक्षार्थियों के साथ गेट पर ही चेकिंग के साथ ही मिडिया में व्यवस्थाओं को लेकर बयानबाजी से बच्चों में एक भय की स्थिति भी बनी। जबकि मसला पेपर आउट होने को लेकर नई व्यवस्था का था। बच्चों का कहना था कि परीक्षा केंद्रो पर भय और डर का माहौल बनाने की बजाय परीक्षार्थियों को नैतिक बनाया जाए। जिन जिलों में सामूहिक नकल होती है उनकी तरह सामान्य जिलों के परीक्षार्थियों के साथ व्यवहार न हो। ऐसे जिलों के लिए अलग से योजना बनाई जाए। परीक्षा केंद्र पर सहज माहौल से परीक्षार्थी के मन में निश्चिंतता का भाव रहेगा, जबकि इस बार डर और भय ने बच्चों को परीक्षा केंद्र पर पहले से ही दबाव में परीक्षा देने पर मजबूर कर दिया था।