इंदौर शहर को रेबीज फ्री सिटी बनाने का अभियान शुरू किया लेकिन मूल समस्या से राहत नहीं
दैनिक अवन्तिका इंदौर
इंदौर में आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ गई और रोजाना बच्चों से लेकर लोगों को इन कुत्तों द्वारा काट लिया जाता है। लगभग 80 से 100 लोगों से अधिक रोजाना इनके शिकार बनते हैं। जीपीओ और ट्रेंचिंग ग्राउंड सेंटरों पर इन कुत्तों की नसबंदी आॅपरेशन होते हैं और आॅपरेशन के दौरान ही 4 से 5 कुत्तों की मौत हो जाती है।
एक आॅपरेशन को संस्था को 925 रुपए दिए जाते हैं और 2015 से यह सिलसिला चल रहा है। नगर निगम इस अभियान पर करोड़ों रुपए से अधिक की राशि इस पर खर्च कर चुका है। बावजूद जनता को राहत नहीं मिली। पिछले 5-7 वर्षों के दौरान कुत्तों की नसबंदी के बावजूद 20 फीसदी राहत भी जनता को नहीं मिल सकी है। शासकीय हुकमचंद पाली क्लीनिक में रोजाना 150 के लगभग लोग टीका लगवाने पहुंच रहे हैं जबकि अन्य निजी अस्पतालों में भी बड़ी संख्या में लोग आते हैं। वर्षों पहले शासन ने सभी सरकारी अस्पतालों को एंटी रेबीज टीका उपलब्ध कराने के आदेश दिए थे, जिसका पालन सही तरीके से नहीं हुआ। अब शहर को रेबीज फ्री सिटी बनाने का अभियान जरूर शुरू किया गया है लेकिन मूल समस्या से राहत नहीं मिली।