आरटीओं में फिर एजेंट दबदबा

 

वाहनों की फाईलें निजी कार्यालयों में,मोडिफाईड एवं असेम्ब्ल्ड चौपहिया पर नजर नहीं

उज्जैन। एक बार फिर क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय में एजेंट राज कायम हो रहा है। एजेंटों के दबदबे की स्थिति यह है कि वाहनों की कार्यालयीन फाईलें कुछ बडे एजेंटों के यहां तक पहुंच रही है ओर उनके कार्यालयों से ही वाहनों का काम होता है। कुछ वर्ष पूर्व ऐसे ही मामले में प्रशासन ने रेड करते हुए फाईलें जब्त की थी। इसके साथ ही जिम्मेदारों की नजर न होने से मोडिफाईड एवं असेंबल 4 पहिया वाहनों का चलन भी बढ गया है।

कुछ वर्षों पूर्व जिला प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय के साथ ही पीछे स्थिति यातायात सलाहकार उर्फ एजेंटों के शाप पर दबिश दी थी। तत्कालीन एडीएम नरेन्द्र सुर्यवंशी ने कलेक्टर को मिली एक शिकायत के बाद यह कार्रवाई अंजाम दी थी। उस दौरान परिवहन कार्यालय में होने वाली वाहनों की फाईलें एजेंटों के यहां से बडी संख्या में मिली थी। तत्कालीन दौर में मामला खींचतान में भी रहा था। उसके बाद पूरा मामला ठंडा हो गया और धरातल से ही मुद्दा गायब हो गया। एक बार फिर से परिवहन कार्यालय में वैसे ही हाल कायम होते जा रहे हैं।

एक बार फिर राज कायम-

परिवहन कार्यालय से जुडे सूत्रों का कहना है कि एक बार फिर से कार्यालय में एजेंट बनाम सलाहकार राज कायम हो चला है। एजेंटो का इतना दबदबा है कि वे कार्यालय की विभिन्न शाखाओं में काम को अंजाम देते नजर आते हैं। यहां तक की किस वाहन की फाईल कहां मिलेगी ये भी उनके लोगों को ही जानकारी में है। कई मसलों में तो वे परिवहन विभाग की नस्ती ही लिए बैठे हैं और स्वयं के कार्यालय में उस नस्ती के साथ काम को अंजाम दे रहे हैं। ऐसे कई कमर्शियल वाहनों के मूल दस्तावेज की फाईलें कतिपय एजेंटों के पास हैं। सूत्रों के अनुसार एजेंटों के क्लाईंट बनाम वाहन मालिक उनसे माध्यम से काम करवाते हैं। ऐसे में मूल दस्तावेज की फाईलें ही कुछ एजेंट अपने पास दबाए बैठे हैं। सूत्र इसके पीछे यह कारण बताते हैं कि विभाग में कर्मचारियों के अभाव के चलते कई शाखाओं में एजेंटों के सहयोगी ही काम को अंजाम दे रहे हैं। इनकी जानकारी में सभी शाखाओं के मूल दस्तावेजों की स्थिति रहती है। कुछ भी हंगामा होने पर ये मूल दस्तावेजों की फाईलों को धीरे से वापस ले आते हैं । जब तक कोई मामला न हो फाईलें कतिपय एजेंटों के कार्यालयों में ही रहती है। परिवहन में आन लाईन सिस्टम के चलते इससे कोई ज्यादा फर्क नहीं पडता है फिर भी हार्डकापी के रूप में इन्हें रखा जाना आवश्यक होता है।

मोडिफाइ्रड वाहन पर नजर नहीं-

सूत्रों का कहना है कि परिवहन के नियमों के अनुसार वाहनों का मोडिफिकेशन नियमों के तहत ही किया जा सकता है। उससे परे नहीं । उसके विपरित शहर ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी धडल्ले से 4 पहिया वाहनों में मोडिफिकेशन किए जा रहे हैं और उनका संचालन सबकी नजरों में हो रहा है लेकिन कार्रवाई एवं टेक्स के नाम पर शासन को कुछ हांसिल नहीं हो पा रहा है। यहां तक की 4 पहिया वाहनों में शाप संचालित किए जा रहे हैं।जो कि किसी भी दिन दुर्घटना का कारण बन सकते हैं।

असेंबल्ड बसों से शासन को चूना-

सूत्रों का कहना है कि जिले के साथ ही संभाग में कतिपय बस माफिया एक ही परमिट पर दो-दो बसों का संचालन कर रहे हैं। इसके लिए ऐसे लोगों ने जुगाड से बस तैयार कर ली है। भानूमति के पिटारे के तहत भंगार से इसकी व्यवस्था करते हुए बस की जुगाड की गई है। ऐसा इसलिए किया गया है कि एक ही परमिट पर दो बसों का संचालन ग्रामीण क्षेत्र में किया जा सके । यहां तक की एक ही नंबर से ही बसों का संचालन किया जा सके। पिछले दिनों देवासगेट थाना पुलिस ने ऐसे ही एक वाहन को बस स्टैंड से पकडा था । उस मामले में परिवहन विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की अन्यथा एक और बडा खुलासा सामने होता। ऐसे मामलों से शासन को राजस्व का भारी नुकसान संभाग में हो रहा है।