सरकार महाकाल मंदिर एक्ट को बदलने की तैयारी कर रही
– धार्मिक नगरी उज्जैन के सभी मंदिरों को मिलाकर एक एक्ट बनाएंगे
– 1982 में बना था वर्तमान में लागू एक्ट अब इसे बदलने की जरूरत है
दैनिक अवंतिका उज्जैन।
महाकाल मंदिर एक्ट को मप्र सरकार ने बदलने की तैयारी कर ली है। अब जल्द ही सारे मंदिरों को मिलाकर एक ही एक्ट बनाकर लागू किया जाएगा और मंदिरों से होने वाली करोड़ों रुपए की आय को इन्हीं मंदिरों के विकास में खर्च करेंगे।
आपको बता दे कि उज्जैन के ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर का संचालन महाकाल एक्ट के अंतर्गत ही किया जाता है। यह एक्ट सरकार ने सन् 1982 में बनाकर लागू किया था। तभी से इसी एक्ट के तहत बनी धाराओं, विधि और उपविधियों के अनुसार मंदिर प्रबंध समिति मंदिर का संचालन करती है और समय-समय पर इसके अनुसार ही मंदिर से जुड़े लोगों पर कार्रवाई भी की जाती है। मप्र सरकार का मानना है कि काफी समय हो गया अब मंदिर के एक्ट को बदलने की आवश्यकता है। क्योंकि पिछले 40 सालों में काफी कुछ व्यवस्थाएं बदल गई, मंदिर भी कई गुना विस्तारित हो गया तथा दर्शनार्थियों की संख्या में भी वृदि्ध हुई है। ऐसे में नया एक्ट बनना चाहिए ताकि उसमें नए नियम आदि जोड़े जा सके तथा पुराने जिन नियमों की अब जरूरत नहीं है उन्हें हटाया जा सके। इन सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए ही एक्ट में बदलाव का विचार आया और काफी समय से सरकार के विशेषज्ञ इस पर काम भी कर रहे हैं। इस बार एक्ट बदलने के साथ इस बार नया यह होगा कि वर्तमान में जो एक्ट बना है वह केवल महाकाल मंदिर में ही लागू होता है नया एक्ट उज्जैन के सभी सरकारी प्रमुख मंदिरों में लागू होगा। उज्जैन में कालभैरव, मंगलनाथ, सिद्धवट, सांदीपनि आश्रम, हरसिद्धि, चिंतामन गणेश, नवग्रह शनि मंदिर जैसे कई बड़े व प्रसिद्ध सरकारी मंदिर है जहां अब एक ही एक्ट काम करेगा। सरकार में एक्ट में बदलाव के लिए पहले से ही सैद्धांतिक सहमति बना ली गई है। बस शासन-प्रशासन स्तर पर इसका ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है। इसके तैयार होते ही इसे विधानसभा में लाकर पास कर दिया जाएगा। संभवत चुनाव आचार संहिता हटने के बाद जून माह में इस पर सरकार काम शुरू करेगी।
मंदिर से जुड़े ये लोग आते हैं महाकाल एक्ट के अंतर्गत
– महाकाल एक्ट के तहत ही मंदिर का सारा काम संचालित होता है।
– एक तरह से मंदिर प्रबंधन ही एक्ट के मुताबिक है।
– इसके अलावा मंदिर के अधिकारी, कर्मचारी, पंडे, पुजारी, सेवक आदि सभी एक्ट के अंतर्गत ही काम करते हैं।
– मंदिर में आने वाला दान से खर्च, श्रद्धालुओं व दर्शन की व्यवस्था आदि भी मंदिर प्रबंध समिति एक्ट के अनुसार ही करती है।
– मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष भी जिले के पदेन कलेक्टर होते है जबकि सचिव प्रशासक होते हैं।
– समिति में तीन अशासकीय सदस्य है जो सरकार द्वारा ही नियुक्त है।
– इसके अलावा 7 अन्य सदस्य में जनप्रतिनिधि, महानिर्वाणी अखाड़े के महंत व विभिनन विभागों में पदेन प्रशासनिक अफसर शामिल है।
मुख्यमंत्री पूर्व में कह चुके एक्ट में बदलाव से लाभ
महाकाल मंदिर एक्ट में बदलाव के विषय पर मप्र के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव पहले भी कई बार पत्रकारों से चर्चा में कह चुके हैं कि इससे कई लाभ मिलेंगे। आने वाले समय में श्रद्धालुओं की संख्या और अधिक बढ़ेगी तो मंदिर के आय-व्यय से लेकर तमाम चीजों में भी बदलाव करने होंगे। इससे नए एक्ट बनने से ही काफी मदद मिलेगी। क्योंकि वर्तमान में लागू 41 साल पुराना एक्ट में अभी कई ऐसी चीज शामिल है जिससे आप भविष्य को देखते हुए कुछ भी काम नहीं कर सकते हैं। वर्तमान में ये एक्ट केवल महाकाल तक ही सीमित है जबकि नया एक्ट उज्जैन के सारे प्रमुख मंदिरों में लागू होगा।
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