अब प्रदेश में कुलपतियों की पेनी नजर होगी कोचिंग सेंटरों पर
-केंद्र के कोचिंग सेंटर के विनियमन के लिए जारी दिशा-निर्देश के अनुरूप प्रदेश में होगी कार्रवाई
– विक्रम विश्व विद्यालय कुलगुरू बोले- सोमवार से ही कार्रवाई शुरू होगी मामला बच्चों से जुडा है
उज्जैन। प्रदेश सहित उज्जैन में भी कोचिंग सेंटर केंद्र की गाईडलाईन के अनुसार ही चल सकेंगे। इसके लिए शासकीय एवं निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा गया है। केंद्र की गाईड लाईन के तहत कोचिंग सेंटरों पर परिक्षेत्र के कुलपतियों की पेनी नजर होगी और वे और उनकी समिति ऐसे कोचिंग सेंटरों पर कार्रवाई करेगी।
प्रदेश में भी अब कोचिंग में 16 साल से कम उम्र के बच्चों को प्रवेश नहीं दिया जा सकेगा। अगर मनमानी फीस वसूली तो भगवान कृष्ण के जन्म स्थली के दर्शन करने कानूनी रूप से जाना होगा। प्रदेश के किसी भी कोचिंग हब में मनमानी नहीं की जा सकेगी । इसे लेकर मध्यप्रदेश शासन के उच्च शिक्षा विभाग के अवर सचिव ने प्रदेश के समस्त कुलपतियों को पत्र भेजा है, जिसमें कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है।
म.प्र. शासन, उच्च शिक्षा विभाग,मंत्रालय भोपाल के अवर सचिव वीरनसिंह भलावी ने 26 अप्रेल को यह पत्र जारी किया है। इस पत्र में स्पष्ट किया गया है कि भारत सरकार, उच्च शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्रालय, नई दिल्ली द्वारा कोचिंग सेंटर का विनियमन के लिए दिशा-निर्देश के अनुरूप कार्यवाही की जाना सुनिश्चित किया जाए । मध्य प्रदेश में 40 हजार से ज्यादा कोचिंग सेंटर है । राज्य की उच्च शिक्षा विभाग से पारित आदेश से कोचिंग संस्थानों के मनमानी पर रोक लगेगी।
इसी साल आई गाईड लाईन-
भारत सरकार ने इसी साल जनवरी 24 में कोचिंग को लेकर नई गाईडलाईन जारी की है।
उज्जैन में ही 2 दर्जन से ज्यादा-
उज्जैन में ही दो दर्जन से ज्यादा ऐसी कोचिंग संचालित की जा रही हैं। जहां केंद्र की गाईडलाईन जैसी कोई व्यवस्था नहीं हैं। बच्चों को डाक्टर और इंजीनियर बनाने की चाह में अंधे हुए जा रहे पालक उन्हें अंधा-धूंध पढाई में झोंक रहे हैं। बच्चों पर उसका क्या असर हो रहा है इसे भी नजरअंदाज किया जा रहा है। कोचिंग सेंटरों से बच्चों पर इतना मानसिक दबाव पढने का बनाया जा रहा है कि बच्चे प्राकृतिक जीवन ही नहीं जी पा रहे हैं। लाखों रूपए फीस कोंचिंग सेटरों में ली जा रही है। यहां तक की आवासीय सुविधाओं के नाम पर भी पालकों को लूटा जा रहा है। इंदौर प्रदेश में इसका सबसे बडा हब बन गया है।
कुलगुरू बोले आज ही से कार्रवाई –
विक्रम विश्व विद्यालय के कुलगुरू अखिलेश पांडे ने कहा कि हमें व्हाटसप पर जानकारी मिल चुकी है। कार्रवाई के लिए एक समिति बनाई जाएगी। इसमें मनोविज्ञान के प्राध्यापक सहित अन्य प्रोफेसर एवं विश्वविद्यालय प्रशासन के अधिकारी शामिल होंगे। विश्व विद्यालय में काउंसलिंग सेंटर शुरू करेंगे। फ्री आफ कास्ट हम अपनी एक्स्ट्रा क्लास का प्लान करेंगे। विश्व विद्यालय एवं महाविद्यालयों में काउंसलिंग क्लिनिक की तैयारी की जाएगी। यहां पर बच्चों एवं पालकों की काउंसलिंग करेंगे। गाईड लाईन के विपरित संचालित कोचिंग सेंटरों पर समिति कार्रवाई करेगी। आवश्यक हुआ तो दंडात्मक कार्रवाई करेंगे। कुलगुरू ने दोहराया कि सोमवार से ही इस मामले में आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
ये हैं कोचिंग सेंटर के विनियमन-
नए नियमों के अनुसार, कोचिंग सेंटरों को प्रत्येक कक्षा में प्रति छात्र कम से कम एक वर्ग मीटर जगह रखनी होगी। इसके अलावा, प्रत्येक कोचिंग संस्थान के लिए अग्नि सुरक्षा कोड का पालन करना अनिवार्य है। प्रत्येक कोचिंग सेंटर के पास अग्नि एवं भवन सुरक्षा प्रमाणपत्र होना चाहिए। दिशानिर्देशों के अनुसार, कोचिंग सेंटर केवल उन छात्रों का नामांकन कर सकते हैं जिनकी आयु कम से कम 16 वर्ष है या जिन्होंने दसवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा उत्तीर्ण की है। केंद्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं में रैंक या अंकों के बारे में झूठे दावे करने से भी प्रतिबंधित किया गया है। ‘कोचिंग केंद्रों के विनियमन के लिए दिशानिर्देश 2024’ शीर्षक वाले नियामक उपाय छात्रों को उनकी माध्यमिक विद्यालय परीक्षा पूरी होने पर ही कोचिंग केंद्रों में नामांकन करने की अनुमति देते हैं। नए नियमों के अनुसार, कोचिंग सेंटरों को यह भी निर्देश दिया गया है कि वे छात्रों और उनके अभिभावकों को अधिक प्रवेश पाने के लिए आकर्षित करने के लिए अंक और रैंक से संबंधित भ्रामक वादे और गारंटी देना बंद करें । नए नियम कोचिंग सेंटरों से पारदर्शिता की मांग करते हैं। सरकारीस्कूलों के शिक्षक अब ट्यूशन और कोचिंगों में पढ़ा नहीं सकेंगे। वे कोचिंग भी नहीं चला सकेंगे। शिक्षा निदेशक ने नए आदेश जारी कर ट्यूशन और कोचिंग पढ़ाने पर रोक लगा दी है। अब कोंचिंग सेंटर्स मनमानी तरीके से काम नहीं कर सकेंगे। केंद्र सरकार ने देश के सभी प्राइवेट कोचिंग सेंटर्स के लिए गाइडलाइन जारी की है। अब इन कोचिंग सेंटर्स को रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। साथ ही कोचिंग सेंटर 16 साल के कम उम्र के बच्चों का एनरोलमेंट नहीं करा सकेंगे। इसके अलावा कोचिंग सेंटर किसी से ज्यादा फीस भी नहीं ले सकेंगे। केंद्र सरकार ने ये गाइलाइन देश भर में हो रहे छात्रों के सुसाइड मामलों व कोचिंग सेंटर्स की मनमानी को देखते हुए जारी किया है। देश भर में प्राइवेट कोचिंग सेंटरों को रेगुलेट करने के लिए शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी किया गया है।
सेंटर्स को करनी होगी ये व्यवस्था-
गाइडलाइन के मुताबिक, प्रोफेशनल कोर्सों के लिए ट्रेनिंग देने वाले कोचिंग सेंटर्स को अब नवीनतम दिशानिर्देशों के मुताबिक, अग्नि सुरक्षा और भवन सुरक्षा मानदंडों के अनुरूप होने के अलावा छात्रों को साइकोलॉजी और मेंटल हेल्थ सपोर्ट भी देंगे। बता दें कि कोचिंग सेंटर के रजिस्ट्रेशन और रेगुलेशन 2024 के लिए मंगलवार को तैयार दिशानिर्देश उचित कार्रवाई के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को भेज दिए गए जबकि कुछ राज्यों में पहले से ही कोचिंग संस्थानों को विनियमित करने वाले कानून हैं, नेशनल लेवल पर अधिक फीस वसूलने वाले अनरेगुलेटेड प्राइवेट कोचिंग सेंटरों की बढ़ती संख्या और छात्रों पर अनुचित तनाव पैदा करने के बारे में चिंता व्यक्त की गई थी, जिसके परिणामस्वरूप छात्र आत्महत्याएं हुईं।
साल 2023 में सबसे ज्यादा सुसाइड-
छात्रों के सुसाइड का यह मुद्दा पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था, जब एक परेशान माता-पिता अनिरुद्ध नारायण मालपानी ने राजस्थान के कोटा में युवाओं के सुसाइड को रोकने के लिए दिशानिर्देशों या किसी भी प्रकार के विनियमन की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, 2015 के बाद से सबसे अधिक, जहां 2023 में 26 आत्महत्या मौतें दर्ज की गईं थीं।
मानसिक भलाई के लिए कदम उठाना चाहिए-
जारी दिशानिर्देशों में कहा गया है, “छात्रों पर हाई कंपटीशन और एकेडमिक प्रेशर के कारण, कोचिंग सेंटरों को छात्रों की मानसिक भलाई के लिए कदम उठाना चाहिए और अपने छात्रों पर बिना दबाव डाले बिना क्लासेस चला सकते हैं। आगे कहा गया, “कोचिंग संस्थानों को मानसिक तनाव और अवसाद के समाधान के लिए छात्रों को परामर्श देने और साइकोलॉ जिकल मदद करने के लिए अनुभवी साइकोलॉजिस्ट को शामिल करने के लिए कहा जाता है।” इसने मेंटल हेल्थ को बढ़ावा देने के लिए एक रूपरेखा तैयार की, जिसमें मानसिक भलाई, दृष्टिकोण और व्यवहार, मनोसामाजिक समस्याओं और गंभीर समस्याओं या मानसिक विकारों से शुरू होने वाली समस्याओं से निपटने के लिए संस्थान को तैयार रहने को कहा गया है।
नहीं किया पालन तो देना होगा जुर्माना-
इन रजिस्ट्रेशन या शर्तों के किसी भी नियम और शर्तों के उल्लंघन के मामले में, कोचिंग सेंटर पहले क्राइम के लिए 25,000, दूसरी बार उल्लंघन के लिए 1 लाख और इसके बाद भी अपराध के लिए रजिस्ट्रेशन रद्द करने के व जुर्माने के लिए उत्तरदायी होगा।
रिफंड करना होगा फीस-
फीस के संबंध में कहा गया है कि यह पूरी तरह निष्पक्ष और उचित होगा और कोर्स की अवधि के दौरान इसमें बढ़ोतरी नहीं की जाएगी। इसके अलावा, यदि किसी छात्र ने पूरा भुगतान कर दिया है और कोर्स को बीच में ही छोड़ना चाहता है, तो छात्र को पाठ्यक्रम की शेष अवधि के लिए पैसा वापस कर दिया जाएगा। इसमें कहा गया है कि रिफंड में हॉस्टल और मेस फीस भी शामिल होगी।
5 घंटे से अधिक नहीं होगी पढ़ाई-
किसी भी परिस्थिति में स्कूलों या संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों के वर्किंग घंटों के दौरान कोचिंग कक्षाएं आयोजित नहीं की जा सकतीं, जिससे उनकी नियमित उपस्थिति प्रभावित हो सकती है। दिशानिर्देशों में पाठ्यक्रम को एक दिन में 5 घंटे से अधिक नहीं (सुबह बहुत जल्दी या शाम को बहुत देर से नहीं), छात्रों और शिक्षकों को साप्ताहिक अवकाश दिया जाता है और साप्ताहिक अवकाश के बाद वाले दिन कोई मूल्यांकन परीक्षण नहीं दिया जाता है। त्योहारों के दौरान, कोचिंग सेंटर छात्रों को अपने परिवार के साथ जुड़ने और “भावनात्मक बढ़ावा” पाने में सक्षम बनाने के लिए “छुट्टियों को अनुकूलित” करेंगे।
मॉक टेस्ट आयोजित किए जाना चाहिए-
इंजीनियरिंग और मेडिकल संस्थानों में एडमिशन के विकल्पों के अलावा, दिशानिर्देशों में ऐसे सेंटर्स को छात्रों के बीच तनाव कम करने के लिए अन्य कैरियर विकल्पों के बारे में जानकारी देने और छात्रों की क्षमता का आकलन करने और छात्रों और अभिभावकों दोनों की अपेक्षाएं बताने के लिए मॉक टेस्ट आयोजित करने की जानी चाहिए। इसके अलावा, केंद्र के निर्देश छात्रों, अभिभावकों या ट्यूटर्स/कर्मचारियों द्वारा सक्षम राज्य प्राधिकारी को शिकायत के लिए 30 दिनों के भीतर समाधान देते हैं, जबकि कोचिंग सेंटर को भी सुनवाई का मौका मिलना चाहिए।
केंद्र और राज्य कानून बना सकते हैं-
उल्लेखनीय है कि शिक्षा संविधान की समवर्ती सूची में आती है जिस पर केंद्र और राज्य कानून बना सकते हैं। वर्तमान में, कुछ राज्यों में निजी कोचिंग और ट्यूशन कक्षाओं को विनियमित करने के लिए एक कानूनी ढांचा है। इनमें बिहार, गोवा, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और मणिपुर शामिल हैं। कोटा में बढ़ती आत्महत्याओं के मद्देनजर राजस्थान सरकार द्वारा पिछले साल इस संबंध में एक विधेयक पेश किया गया था, जिसे राजस्थान कोचिंग संस्थान (नियंत्रण और विनियमन) बिल, 2023 कहा गया था। मध्यप्रदेश में केंद्र की गाईडलाईन पर कार्रवाई सुनिश्चित करने का अब कहा गया है।