शिप्रा में कान्ह का प्रदुषण बढा,जलीय जीव संकट में

 

-सभी घाटों पर मछलियों के मरने के हालात , प्रदुषण बोर्ड को कोई लेनादेना नहीं

उज्जैन । मोक्षदायिनी शिप्रा में कान्ह का प्रदुषित पानी जलीय जीवों के जीवन का संकट बन गया है। कान्ह के प्रदुषित पानी से बढी मात्रा में मछलियों को मोक्ष मिल रहा है। नदी में मरी मछलियां श्रद्धालुओं को तैरते दिख रही है और उनकी आत्मिक भावना को तार-तार कर रही है।

शिप्रा में गर्मी के दिनों में कान्ह के प्रदुषित पानी का असर हर साल जलीय जीवों के जीवन पर कहर बनता है। इस बार भी यही स्थिति बनने लगी है। नदी के बीच में और किनारों पर मरी मछलियों को देखा जा सकता है। कान्ह और गंदे नालों का प्रदुषित पानी जलीय जीव के जीवन के लिए घातक बन गया है। मरी हुई मछलियों की सडांध से शिप्रा जल का आचमन तो ठीक श्रद्धालू छींटे डालने से कतरा रहे हैं।

नर्सिंह घाट पर भी मरने लगी मछलियां-

हाल यह हैं कि शिप्रा के सबसे गहरे स्थल नर्सिंह घाट का पानी भी अब जलीय जीवों के लिए जहरीला हो गया है। यहां प्रतिदिन बडी मात्रा में मरी मछलियों को देखा जा रहा है। नर्सिंह घाट पर तैराकी का शोक रखने वाले भी मछलियों के मरने पर आहत हैं। शिप्रा के इस क्षेत्र में मछलिया बहुत कम ही मरती हैं। प्रदुषण की स्थिति बेकाबू होने पर ही नर्सिंह घाट पर मरी मछलियां देखी जाती है। अभिभाषक द्वारकाधीश चौधरी बताते हैं कि यहां शहर के तैराकी का शौक रखने वाले प्रति दिन आते हैं। स्नान के लिए श्रद्धालू भी यहां आते हैं। शिप्रा नदी में सबसे बडे जलीय जीव मछलियां इसी क्षेत्र में ज्यादा हैं। हाल के कुछ दिनों में ही मछलियों के मरने की घटना लगातार हो रही है। तीन दिनों से निरंतर बडी संख्या में मछलियों एवं जलीय जीवों के मरने से घाट के किनारों पर मरी हुई मछलियों एवं अन्य जलीय जीवों का ढेर लग गया है। आस पास से कुत्ते एवं अन्य जानवर उन्हें घाट पर लाकर नोचकर खा रहे हैं। इसके साथ ही मरी हुई मछलियों की सडांध से घाट पर आने वाले श्रद्धालुओं की भावनाएं आहत हो  रही हैं। बदबू गंदगी से दो-चार होना पड़ रहा है वह अलग । मछलियों के बढी मात्रा में मरने एवं पानी के प्रदुषण को लेकर प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी भी पूरी तरह अंजान बने बैठे हैं। उन्हें शिप्रा के प्रदुषण से कोई लेना देना नहीं है। शिप्रा के प्रदुषण को लेकर बोर्ड की और से पानी की न तो जांच की जा रही है और न ही पानी में जलीय जीवों के जीवन पर जहर का काम करने वाले तत्वों को ही पता करने में उनका रूख है। बोर्ड के अधिकारियों को शिप्रा के प्रदुषण की ही जानकारी हो इसमें भी प्रश्न उठ रहा है।

Author: Dainik Awantika