अवैध कालोनी की जानकारी सामने आई लेकिन कार्रवाई नहीं हो पाई

 

-सरकारी जमीन कोडी के दाम बेच दी और बस्ती बस गई, बगैर आधार प्रधानमंत्री आवास का लाभ भी फर्जी दस्तावेजों से मिला

उज्जैन। नानाखेडा क्षेत्र में सरकारी जमीन पिछले तीन दशक में बाले-बाले ही मात्र स्टांप पर लिखा पढी कर बेच दी गई। सरकारी जमीन को कोडी के दाम पर बेचा गया और बस्ती बस गई। स्थिति यह रही की फर्जी दस्तावेजों पर ही प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ भी नगर निगम ने दे दिया । हाल यह हैं कि अवैध कालोनी की जानकारी सामने आई लेकिन कार्रवाई नहीं हो पाई। जिम्मेदारों ने ही मामले को दबा दिया ।

नानाखेडा क्षेत्र में सरकारी जमीन सालों से रही है। इस जमीन को पिछले ढाई दशक में एक मां और उसके कथित पुत्र ने अपनी बताते हुए कब्जे के आधार पर बेच दिया । बाले –बाले जमीन को टुकडों में मात्र कुछ हजार रूपए लेकर 400 वर्ग फीट के प्लाट बनाकर बेचा गया । हाल ही में अवैध कालोनियों के अभियान के समय इस अवैध कालोनी की जानकारी सामने आई लेकिन कार्रवाई नहीं हो पाई है। मामले को जिम्मेदार ही बाले-बाले दबा ले गए उसका कारण यह था कि यहां बगैर आधारों के ही कई लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ स्वार्थपूर्ति के साथ दे दिया गया ।

न पट्टा न रजिस्ट्री –

जानकारी सामने आ रही है कि सरकारी जमीन पर दो दर्जन से अधिक प्लाट पिछले 20 सालों में मां और कथित बेटे ने काटे हैं। इस जमीन का डायवर्शन भी नहीं करवाया गया है। विक्रय भी मात्र 100 रूपए के स्टांप पर किया गया और वह भी बगैर पंजीयन के किया गया। यहां तक की उधारी में भी प्लाट बेच दिए गए। सामने की जमीन पर कांग्रेस शासन काल में पट्टे दिए गए थे लेकिन इस जमीन पर किसी को काबिज नहीं होने दिया गया था। इस विक्रय की न तो रजिस्ट्री की गई है।

बगैर आधार मिला लाभ-

यहां प्लाटों पर अपना कब्जा बताने वालों ने नगर निगम में सांठ गांठ करते हुए प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ अर्जित कर लिया है। न तो इनके पास जमीन से संबंधित पट्टा है और न ही रजिस्ट्री ही करवाई गई है। आनंद नगर की तरह ही यह मामला भी नगर निगम और प्रशासन के लिए आगे चलकर सिरदर्द बनेगा। यहां स्थित दो दर्जन से अधिक मकानों में से 25 फीसदी से अधिक येनकेन प्रकारेण प्रधानमंत्री आवास योजना का पैसा प्राप्त कर चुके हैं वो भी बगैर किसी पट्टे और रजिस्ट्री के दस्तावेज के बिना।