धर्म की शुचिता पर तो दाग मत लगाओ
दैनिक अवंतिका(उज्जैन) धार्मिकनगरी शर्मसार हो गई जब दण्डी आश्रम मे रहवासी छात्रो के साथ उन्ही को ज्ञान देनेवाले तथाकथित आचार्यो ने अश्लील हरकत की। देश विदेश मे बाबा महाकाल की पावन धरा की छवि एक शांत शहर की है जहां के लोग धर्म-परायण व नैतिकता वाले हैं किन्तु कुछ अरसे से चंद लोग इसकी शांत व धर्मपरायण छवि को धूमिल करने मे लगे हुए हैं। गुरू सान्दीपनि की इस धरती की रज रज मे नैतिक मूल्यो की स्निग्धता व्याप्त रही है। एक आश्रम मे शिक्षा ग्रहण करनेवाले मासूम बच्चो का शारीरिक शोषण उनके तथाकथित आचार्य ही शारीरिक शोषण करने लगे तो रक्षक ही भक्षक बन बैठे वाली उक्ति चरितार्थ हो उठी।बेचारे अभिभावक अपने बच्चो को बिना किसी भय के धर्म से अभिसिंचित इन आश्रम मे इस भरोसे से छोड जाते रहे हैं कि कम से कम आश्रम का पावन वातावरण तो इन वर्जनाओ, कुंठाओ और अमानवीय कृत्यो से अछूता रहेगा किन्तु जो नही होना था व घटित हो गया और अभिभावक धार्मिक स्थल , शिक्षा का केन्द्र आदि को भी लेकर अब शंका की नजर से ही देखेंगे। करप्शन से अछूते इन नैतिकता से ओतप्रोत स्थलो पर भी अब गंदगी की कालिख हमे सोचने पर बाध्य करती है कि अपने बच्चो को बहुत सोच विचार के बाद ही कहीं छोडा जाए। उचित हो यदि हम पहले सारी तहकीकात करके प्रतिष्ठित संस्थान मे अपने नौनिहालो को भेजें ताकि वे सुरक्षित रहें और किसी की कुदृष्टि उनपर न पडे। दण्डी आश्रम की घटना एक सबक भी है कि शिक्षा देनेवाले शिक्षको व आचार्यो का चयन बडी ही बारीकी से होना चाहिए क्योकि शिक्षक जिसे राष्ट्रनिर्माता बताया गया है वह ही पथभ्रष्ट हो जाए तो फिर समाज का पतन अवश्यंभावी है।