महाकाल के सोमयज्ञ में एक गाय और बकरी पूरे समय मौजूद रहेगी-यज्ञ स्थल के लिए एक आकर्षक बैलगाड़ी भी तैयार की गई है
– दोनों का ताजा दूध यज्ञ में रोज लगने से यज्ञशाला में ही रखेंगे
दैनिक अवंतिका उज्जैन। महाकाल मंदिर में होने वाले सोमयज्ञ में एक गाय व बकरी पूरे समय मौजूद रहेगी। क्योंकि इस यज्ञ में प्रवर्ग्य नाम की विधि होती है, इसको आदित्य स्वरूप माना है।
इसमें महावीर नामक मिट्टी के पात्र में शुद्ध देसी गाय का घी उबाल कर उसमें गाय और बकरी का ताजा दूध निकाल कर आहुति दी जाती है। इसलिए गाय व बकरी यज्ञशाला में ही रखी जाएगी वहीं उनकी सेवा-पूजा चलती रहेगी। यज्ञ स्थल पर एक आकर्षक बैलगाड़ी भी तैयार की गई है। इसका भी उपयोग यज्ञ में किया जाएगा।
दूसरे, तीसरे व चौथे दिन दो-दो प्रवर्ग होंगे
यज्ञ आरंभ होने के बाद दूसरे, तीसरे व चौथे दिन दो-दो प्रवर्ग होंगे। सम्पूर्ण यज्ञ के दौरान कुल 6 प्रवर्ग किए जाएंगे। पहले दिन यज्ञ आरंभ के पश्चात दूसरे दिन दोपहर 12 से 1 के मध्य व शाम 5 से 6 के मध्य तीसरे दिन सुबह 10 से 11 के मध्य व शाम 5 से 7 के मध्य, चौथे दिन प्रातः 8 से 9 के मध्य व प्रातः 10 से 11 के मध्य यह प्रवर्ग किए जाएंगे।
7 प्रकार के होते हैं सोमयज्ञ इनमें
से एक महाकाल मंदिर में हो रहा
– महाराष्ट्र से आए विद्वानों ने बताया कि हमारे धर्म-शास्त्रों में सोमयज्ञ मूलतः 7 प्रकार के बताए गए है। – जिनका उद्देश्य वातावरण और प्राणवायु को शुद्ध करना हैं।
– इनमें पहला अग्निष्टोम अपने आस-पास के वातावरण की शुद्धि पूर्वक सुवृष्टि हेतु।
– दूसरा अत्यग्निस्तोम वर्षा के लिए किया जाता है।
– तीसरा ज्योतिरूक्थ्थ मन की शान्ति हेतु करते हैं।
– चौथा षोडशी जन-मानस के आरोग्यता हेतु करने का विधान है।
– पांचवां अतिरात्र दीर्घआयुष हेतु करना बताया गया है।
– छठा आप्तोर्याम सम्पूर्ण समाज के कल्याण व समृद्धि हेतु।
– सातवां वाजपेय अच्छी फसल व धरती की उवरक क्षमता में वृद्धि हेतु किया जाता है।
– सोमयाग के देवता अग्नि है, इसीलिए इस यज्ञ का नाम अग्निष्टोम पड़ा।
– सोमयज्ञ और रूद्र इनका सीधा संबंध होने के कारण यह सुवृष्टी हेतु उत्तम है।
– इसलिए 12 ज्योतिर्लिंग में तीसरे ज्योतिर्लिंग उज्जैन में स्थित महाकाल में कर रहे है।