चुनाव के दौरान मजदूरों की पूछपरख नहीं…. इसलिए नहीं है मजदूरों का टोटा..सराय पर काम की तलाश में सुबह से भीड़…
उज्जैन। लोकसभा चुनाव के ऐन वक्त पर भी शहर में मजदूरों का टोटा नहीं है क्योंकि चुनाव में राजनीतिक दलों द्वारा मजदूरों की पूछपरख नहीं की जा रही है लिहाजा सुबह से ही काम की तलाश में सरायों पर मजदूरों की भीड़ जुट रही है वहीं ठेकेदारों का कहना है कि उन्हें मजदूरों के मिलने के संबंध में किसी तरहसे परेशानी नहीं हो रही है।
दरअसल लोकसभा चुनाव के मतदान में भले ही अब दस दिन भी शेष नहीं रह गए है वहीं जिस तरह से चुनाव प्रचार चरम पर होना चाहिए था वह भी नहीं दिखाई दे रहा है। हालांकि प्रमुख राजनीतिक दल बीजेपी और कांग्रेस के उम्मीदवारों द्वारा अपने समर्थकों के साथ चुनाव प्रचार जरूर किया जा रहा है वहीं मतदाताओं से भी संपर्क करने का सिलसिला जारी है लेकिन झंडे बैनर उठाने वाले मजदूरों की पूछपरख नहीं है अर्थात इन्हें काम देने के लिए बुलाया तो जा रहा है लेकिन इतनी संख्या में नहीं कि शहर में मजदूर सरायों पर नजर ही नहीं आए।
मजदूरों की कहानी मजदूरों की जुबानी….
चर्चा में मजदूरों ने बताया कि पिछले विधानसभा चुनाव में जो जोर दिखाई दे रहा था वह अभी नहीं दिखाई दे रहा है। इसलिए हमें भी कोई बुलाने नहीं आ रहा है। श्रमिक घीसालाल का कहना है कि विधानसभा चुनाव में ही यह स्थिति थी कि सुबह से ही हमें बुलावा आ जाता था और मजदूरी भी दिनभर की उतनी ही मिलती थी जितनी हमें किसी काम करने के बदले मिलती है। इसके अलावा खाने पीने की चिंता भी नहीं होती थी क्योंकि जो राजनीतिक दल हमें सुबह से बुलाकर ले जाते थे वे ही हमारे नाश्ते, चाय और भोजन तक की भी व्यवस्था करते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है। गौरतलब है कि उज्जैन शहर में घासमंडी चौराहा और छत्री चौक ऐसे क्षेत्र है जिन्हें मजदूरों की सराय कहते है और यहां सुबह 7 बजे से ही मजदूर काम की तलाश में पहुंच जाते है। मजदूरों ने बताया कि वैसे काम तो मिल ही रहा है लेकिन यदि चुनाव में हमें बैनर झंडे उठाने के लिए बुला लेते तो हमें मेहनत भी ज्यादा नहीं करना पड़ती और न ही मजदूरी मिलने की चिंता रहती क्योंकि जो मजदूरी हमें ठेकेदार या अन्य लोग जो काम के लिए हमें ले जाते है वे हमारी दिहाड़ी में कमी करते ही है। मान लो एक दिन का यदि तीन सौ रुपए मांगे जाते है तो दो सौ या ढाई सौ रुपए तक ही दिए जाते है। इसके अलावा खाने का बंदोबस्त करके घर से लाना पड़ता है।