इंडिया गठबंधन की नोटा पर राय साफ नही, इंदौर में बिन प्रत्याशी के अब नोटा की मुहिम हुई तेज
इंदौर। इंदौर के वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के अनुसार स्वतंत्रता के बाद से अब तक कांग्रेस इतने बुरे दौर से शायद ही कभी गुजरना पड़ा, जब चुनाव लड़ने के लिए पार्टी के नेता तैयार नहीं हैं। इस लोकसभा चुनाव के लिए खंडवा, धार, इंदौर और देवास लोकसभा क्षेत्रों में आधा दर्जन से ज्यादा नेताओं ने चुनाव लड़ने से साफ इनकार कर दिया। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रह चुके अरुण यादव जैसे नेता भी आगे नहीं आए। प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के गृह नगर इंदौर से भी अग्रिम पक्ति के नेताओं ने पहले ही चुनाव लड़ने से किनारा कर लिया था। किसी तरह अक्षय कांति बम जैसे नए नेता को तैयार भी किया, तो वे भी नाम वापसी के अंतिम दिन अपना नाम वापस लेकर भाजपाई हो गए। अधिकृत उम्मीदवार के इस तरह साथ छोड़ने से कांग्रेस की जो फजीहत हुई, उसने प्रदेश भर के कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल बुरी तरह तोड़ दिया।
मालवा-निमाड़ की जिन आदिवासी बहुल सीटों पर कांग्रेस खुद को मुकाबले में मान कर चल रही थी, वहां भी एक के बाद एक नेताओं के पार्टी छोड़ने से कार्यकर्ताओं में निराशा है। झाबुआ में युवक कांग्रेस जिला अध्यक्ष व जिला पंचायत सदस्य विजय भाबोर, जिला पंचायत सदस्य ममता हटीला, आलीराजपुर कांग्रेस के पूर्व जिला महासचिव सुरपाल अजनार, सोंडवा जनपद पंचायत अध्यक्ष रेवली गरासिया, उदयगढ़ क्षेत्र के नेता कमरू अजनार के पार्टी छोड़ने से हतप्रभ नेता स्थिति संभालते, उसके पहले ही धार से पूर्व सांसद व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी ने भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया।
यही नहीं, इंदौर में संजय शुक्ला और विशाल पटेल जैसे पूर्व विधायकों के साथ ही महू के अंतर सिंह दरबार भी कांग्रेस को झटका दे गए।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने ऐलान किया कि इंदौर में कांग्रेस नोटा बटन के लिए प्रचार करेंगी। इस संबंध में इंडिया गठबंधन के इंदौर में सक्रिय दलों से भी चर्चा हुई लेकिन अभी तक फैसला नहीं हो सका। कांग्रेस की एक समस्या यह भी है की नोटा के प्रचार का खर्चा कौन उठाएगा।
जीतू पटवारी चाहते हैं कि नोटा का प्रचार भी वैसे ही किया जाए जैसे प्रत्याशी खड़ा होने पर किया जाता है। सवाल यह है कि प्रचार खर्च करने की मानसिकता में कोई भी कांग्रेसी नहीं है। शहर कांग्रेस अध्यक्ष सुरजीत चड्डा और ग्रामीण कांग्रेस अध्यक्ष सदाशिव यादव पर वैसे ही निष्क्रियता के आरोप लग रहे हैं। ऐसे में नोटा का प्रचार कांग्रेस कैसे करेगी? इस बीच कांग्रेस में नोटा के पक्ष में अपील करने न करने पर भी असमंजस की स्थिति दिख रही है। कई वरिष्ठ नेता जहां नोटा का बटन दबाने की अपील के साथ जनता के बीच जाने की योजना बना रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कई वरिष्ठ नेता इससे सहमत नहीं हैं।
इन नेताओं का कहना है कि मालवा-निमाड़ के आसपास की सीटों पर इंदौर के नेताओं और कार्यकर्ताओं को कांग्रेस का काम करने के लिए निकल जाना चाहिए। नोटा के समर्थन में ऊर्जा और समय बर्बाद करने से लाभ कुछ नहीं होगा। बेहतर है कि अन्य उम्मीदवारों के लिए काम कर लिया जाए।