वैज्ञानिक शब्दावली कम शब्दों का सामर्थ्य देती है- कुलगुरू पाण्डेय
उज्जैन। उच्च शिक्षा में वैज्ञानिक एवम् तकनीकी शब्दावली का प्रभाव एवं महत्त्व पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय ने सोमवार को प्रमुख व्याख्यानदाता के रुप में अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक शब्दावली किसी व्यक्ति को कम शब्दों में अपनी बात कहने का सामर्थ्य प्रदान करती है, यह विज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिए आवश्यक है।
वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, नई दिल्ली द्वारा 06 एवं 7 मईको मंगलायतन विश्वविद्यालय, जबलपुर, में उच्च शिक्षा में वैज्ञानिक एवम् तकनीकी शब्दावनी का प्रभाव और महत्त्व विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया है। संगोष्ठी के उद्घाटन दिवस पर विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरु को आमंत्रित किया गया। कार्यक्रम में व्याख्यान देते हुए कुलगुरु प्रो पांडेय ने कहा कि वैज्ञानिक शब्दावली किसी व्यक्ति को कम शब्दों में अपनी बात कहने का सामर्थ्य प्रदान करती है, यह विज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि विज्ञान में कई ऐसे कही शब्द होते हैं जिनके दो अर्थ होते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वनस्पति शास्त्र एवं प्राणिशास्त्र में जीवों को वैज्ञानिक नाम देने का एक विशेष तरीका होता है और यह नाम पूरी दुनिया में स्वीकरणीय होता है। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य, शिक्षा मंत्रालय के वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावती आयोग द्वारा निर्मित शब्दावली का प्रचार-प्रसार एवं फीडबैक प्राप्त करना शिक्षा एवं अनुसंधान में संलग्न अध्यापकों और वैज्ञानिकों तथा विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत अधिकारियों, इंजीनियरों, तकनीशियनों जादि को मानक तकनीकी शब्दावली से परिचित कराना है।
इस अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ अनिल कुमार शर्मा और कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन भाषा एवं साहित्य और वैज्ञानिक शब्दावली के लिए बहुत आवश्यक हैं और इस प्रकार के आयोजन होते रहने चाहिए।