इंदौर। लोकसभा क्षेत्र इंदौर से चुनाव के बीच हुए पाला बदल से बदहवास कांग्रेस को अब दूसरा डर भी सताने लगा है। कांग्रेस में घबराहट है कि निर्विरोध निर्वाचन करवाने में नाकाम रही भाजपा अब बोगस वोटिंग को बढ़ावा दे सकती है। दरअसल, भाजपा चुनाव की शुरुआत से ही क्षेत्र से आठ लाख की बढ़त का दावा करती रही है। कांग्रेस को डर है कि मैदान खाली होने के बाद मतदान वाले दिन बोगस वोटिंग के जरिए लीड बढ़ाने की कोशिशें हो सकती है।
कांग्रेस के पूर्व घोषित उम्मीदवार अक्षय कांति बम ने आखिरी समय पर नामांकन फार्म वापस ले लिया था। उन्होंने कांग्रेस को अलविदा कहकर भाजपा का दामन भी थाम लिया। इसी बीच कांग्रेस के डमी उम्मीदवार मोती सिंह पटेल का नामांकन फार्म भी खारिज हो गया। कांग्रेस मैदान से बाहर हो गई। अब इंदौर के चुनावी रण में कुल 14 उम्मीदवार शेष हैं। इनमें निर्दलीय के साथ बसपा व अन्य कुछ क्षेत्रीय दलों के उम्मीदवार ही मैदान में है।
कांग्रेस ने अब तक किसी को समर्थन देने का निर्णय नहीं लिया है। इसकी बजाय कांग्रेस के पदाधिकारी नोटा के समर्थन में प्रचार करते दिख रहे हैं। इंदौर शहर व जिला कांग्रेस के पदाधिकारियों के साथ वरिष्ठों को इसके लिए न्योता दिया गया है। बैठक के एजेंडे में बोगस वोटिंग रोकने के लिए रणनीति बनाना भी अहम मुद्दा है।
आखिरी समय पर होगा खेल
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि चुनावी मुकाबला एकतरफा होने के बाद मतदाताओं में वोट डालने के प्रति अरुचि नजर आएगी। ऐसे में 13 मई को चिलचिलाती धूप में कई मतदाता वोट डालने ही नहीं निकलेंगे। मतदान के दिन आखिरी समय पर ऐसे में कई मतदाता जो वोट डालने नहीं आए, उनके नाम से बोगस वोट डाले जा सकते हैं। कांग्रेस को घबराहट है कि पोलिंग बूथ में उसकी ओर से तो कोई एजेंट रहेगा नहीं जो बोगस वोट पर आपत्ति ले सके। छोटे दलों और निर्दलीयों के पास टीम और कार्यकर्ता नहीं है कि वे अपनी ओर से हर बूथ के लिए पोलिंग एजेंट की व्यवस्था कर सकें। ऐसे में भाजपा वालों को खुली छूट मिल सकती है।