नियमों को धता बता रहे है सीबीएसई स्कूल… अतिरिक्त किताबों और कॉपियों से बढ़ रहा बच्चों के बस्तों का बोझ
उज्जैन। यूं भले ही स्कूली बच्चों को बस्तों का बोझ निर्धारित कर दिया गया हो लेकिन शहर में संचालित होने वाले कतिपय सीबीएसई स्कूलों द्वारा इन नियमों को धता बताया जा रहा है। यहां पढ़ाई करने वाले और अपने बच्चों को नया एडमिशन कराने वाले अभिभावकों की यदि माने तो निर्धारित पाठ्यक्रम के अलावा भी अतिरिक्त किताबें और कॉपियां बस्तों में रखकर स्कूल ले जाना अनिवार्य है। ऐसी स्थिति में बच्चों के बस्तों का बोझ बढ़ना ही है और बच्चों को न केवल परेशानी हो रही है बल्कि अभिभावक भी संबंधित स्कूल प्रबंधन से कुछ कहने के लिए डरते है। क्योंकि उन्हें यह भय है कि कहीं उनके बच्चे पर स्कूल के टीचर ध्यान देना बंद तो नहीं कर देंगे।
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दुकानदारों से सांठगांठ…कलेक्टर के आदेश हवा
दुकानदारों से सांठगांठ…कलेक्टर के आदेश हवा
गौरतलब है कि बीते दिनों सूबे के सीएम डॉ. मोहन यादव द्वारा यह निर्देश दिए गए थे कि कोई भी निजी स्कूल प्रबंधन अभिभावकों को किसी निर्धारित दुकानों से ही कोर्स की पुस्तकें या
यूनिफॉर्म आदि खरीदने के लिए बाध्य नहीं करेगा और इसी तारतम्य में कलेक्टर ने आदेश भी जारी किए थे वहीं कुछ स्कूलों पर जुर्माना वसूली की भी कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन सूत्रों से यह जानकारी मिली है कि भले ही उपर तौर पर कतिपय निजी स्कूल प्रबंधन कलेक्टर के आदेश का पालन कर रहे हो लेकिन इन कतिपय स्कूल प्रबंधनों की सांठगांठ पब्लिशर्स और कोर्स की पुस्तकें बेचने वाले दुकानदारों से है। यही कारण है कि निर्धारित कोर्स के अतिरिक्त भी पुस्तकें या कॉपियों के साथ अन्य सामग्री स्कूलों में साथ लाना अनिवार्य कर रखी है।
यूनिफॉर्म आदि खरीदने के लिए बाध्य नहीं करेगा और इसी तारतम्य में कलेक्टर ने आदेश भी जारी किए थे वहीं कुछ स्कूलों पर जुर्माना वसूली की भी कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन सूत्रों से यह जानकारी मिली है कि भले ही उपर तौर पर कतिपय निजी स्कूल प्रबंधन कलेक्टर के आदेश का पालन कर रहे हो लेकिन इन कतिपय स्कूल प्रबंधनों की सांठगांठ पब्लिशर्स और कोर्स की पुस्तकें बेचने वाले दुकानदारों से है। यही कारण है कि निर्धारित कोर्स के अतिरिक्त भी पुस्तकें या कॉपियों के साथ अन्य सामग्री स्कूलों में साथ लाना अनिवार्य कर रखी है।
निजी स्कूलों में इस सामग्री से ही एक से डेढ़ किलो वजन बढ़ जाता है।
एनसीईआरटी की किताबों से परहेज
जानकारी यह भी मिल रही है कि अधिकांश स्कूल सरकारी गाइडलाइन का पालन नहीं कर रहे हैं। इन स्कूलों में बच्चों पर अनावश्यक किताबों का बोझ लादा जा रहा है। यहां तक कि सीबीएसई बोर्ड से मान्यता प्राप्त स्कूल भी एनसीईआरटी की किताबों से परहेज कर रहे हैं।
यह है बस्ते का मानक
पहली व दूसरी के बच्चों के बस्ते का 1.5 किलो वजन।
– तीसरी-चौथी के बच्चों के बस्ते का 2-3 किलो।
-पांचवी व छठवीं के बच्चों के बस्ते का 4 किलो।
– सातवीं-आठवीं के बच्चों के बस्ते का वजन 4.5 किलो वजन।
– 10वीं के बच्चों के बस्ते का वजन अधिकतम 5 किलो होना चाहिए।