आज शहर में मनाया जा रहा है लोकतंत्र का महापर्व- महाकाल की नगरी में सुने, देखे इनके और उनके रंग-ढंग… अब मतदाताओं के फैसले की बारी
उज्जैन। आज शहर में लोकतंत्र पर्व मनाया जा रहा है। शाम तक यह पता चल जाएगा कि कितने प्रतिशत मतदान हुआ है, लिहाजा स्पष्ट भी हो जाएगा कि मतदाताओं ने इस लोकतंत्र के पर्व में अपनी भागीदार किस उत्साह या उमंग के साथ मनाई है। वैसे धन्यवाद के पात्र है कलेक्टर नीरज कुमार सिंह जिन्होंने न केवल चुनाव की तैयारियां युद्ध स्तर पर कराई वहीं इसका सार्थक परिणाम भी आज सामने आ ही जाएगा क्योंकि उन्होंने न केवल सुरक्षा के माकूल प्रबंध कराएं है वहीं मतदान केन्द्रों पर भी सुविधाओं को मुहैया कराने में कोई कोर कसर शेष नहीं रखी है। वैसे मतदाताओं की बात की जाए तो बाबा महाकाल की नगरी के लोगों ने सुने..देखे और महसूस किए है दोनों दलों के रंग ढंग और अब फैसले की बारी भी सामने आ ही गई है।
राजनीति में उलझी शिप्रा मैया
लोकसभा चुनाव के दौरान न तो कांग्रेस के पास ही कोई खास मुद्दे रहे और न ही बीजेपी के पास ऐसा कोई मुद्दा रहा जिस कारण मतदाताओं का मन टटोला जा सके। हालांकि राम मंदिर जैसा मुद्दे को भुनाने का प्रयास जरूर किया गया बावजूद इसके मतदाताओं के मन में क्या है इसका जवाब आगामी 4 जून को सामने आ ही जाएगा। वैसे इस लोकसभा चुनाव के दौरान यदि सबसे अहम मुद्दा रहा तो वह शिप्रा का । कुल मिलाकर शिप्रा मैया दोनों ही प्रमुख दलों की राजनीति में उलझी रही। बता दें कि कांग्रेस के उम्मीदवार महेश परमार ने शिप्रा में गंदा नाला मिलने का विरोध करते हुए धरना दिया था वहीं बाद में बीजेपी पार्षद प्रकाश शर्मा ने उसी स्थान पर गिलास में शिप्रा का पानी पी कर यह दावा किया था कि शिप्रा का पानी शुद्ध और पीने लायक है। इसके अलावा सीएम डॉ. मोहन यादव को भी खुद शिप्रा के मामले में मैदान में उतरना पड़ गया था।
आज तक ऐसा चुनाव देखा ही नहीं
उत्सवप्रिय इस शहर ने आज तक ऐसा चुनाव देखा ही नहीं, जबकि यह देश की सबसे बड़ी पंचायत, यानी लोकसभा का चुनाव था, लेकिन ये गांव-खेड़े में होने वाले पंचायत के चुनाव से भी गया गुजरा साबित हुआ। न डंडे, न झंडे। न बैनर-पोस्टर। न चिलम, न भोंगे। न बड़ा नेता, न कोई सभा। डीजे वाहन तो दूर आॅटो रिक्शा तक से प्रचार नहीं। न जमीन पर होड़-जोड़, न भोजन-भंडारे। बस, चुनाव के नाम पर जुबानी जंग, मुंहजोरी। न तर्क, न वितर्क। केवल आरोप-प्रत्यारोप—! और आज मुकम्मल हो जाएगा प्रदेश की धर्मधानी उज्जैन का ये बड़ा चुनाव।