जमीन के जादूगरों ने लाखों की रिश्वत देकर जमाया था 100 एकड़ का प्लान

 

इंदौर में धारा 16 के तहत 79 गांव में दी जा रही कॉलोनियों की अनुमतियां मुख्यमंत्री ने रोकी

 

इंदौर। एक ओर जहां शहर के नए मास्टर प्लान को लेकर रफ्तार नहीं मिल पा रही है, तो दूसरी ओर पुराने मास्टर प्लान का समय खत्म हुए 2 साल से ज्यादा हो रहे हैं।
2008 में यह मास्टर प्लान आया था और 2021 में इसकी समय अवधि समाप्त हो चुकी थी। इधर मास्टर प्लान नहीं आने के पहले जमीन के जादूगरों ने बड़ा खेल खेलने के लिए अधिकारियों से लेकर राजनेताओं तक अपनी जमावट करने के बाद धारा 16 में विकास अनुमति का रास्ता निकाल लिया था।

इस खेल में पहले एक एकड़ पर चार लाख रुपए की रिश्वत का मामला बना, फिर बड़े हस्तक्षेप के बाद 6 लाख रुपए प्रति एकड़ से
अनुमतियां शामिल हैं। इंदौर और भीपाल के बिल्डरों ने चुनाव के बीच लंबी जमावट के बाद टाउन एंड कंट्री प्लांनिंग में अपने 10 एकड़ के नक्शों को धारा 16 में पास
अनुमति की तैयारी की गई, परंतु इसमें एक पेंच आ गया कि यह कहा गया कि जिसे अनुमति हम चाहेंगे इसे लेकर खींचतान शुरू होने के बाद 10 लाख रुपए एकड़ तक रिश्वत का तामझाम अंत में फायनल हुआ था, परंतु इस बीच इस मामले की भनक मुख्यमंत्री को लगने के बाद उन्होंने सभी नक्शों को पास होने पर रोक लगा दी है।
इन सभी नक्शों को धारा 16 में अनुमतियां दी जा रही थी। इसमें इंदौर की 10 और भोपाल की 6
कराने के लिए जमावट कर ली थी।। इसमें 4 लाख रुपए एकड़ के लेन- देन पर सहमति बनी थी। नक्शों में उलझे जमीन कारोबारियों ने बताया कि इसमें 10 नक्शे इंदौर के और 6 नक्शे भोपाल के पास होना थे, परंतु इस बीच राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते यह मामला 6 लाख रुपए तक पहुंच गया और इसके बाद 10 लाख रुपए तक पहुंचा परंतु इस बीच नए प्रोजेक्ट को लेकर मुख्यमंत्री को निकायतें मिलने लगी और उन्होंने इन सभी पर रोक लगाते हुए इसे दोनों शहरों के मास्टर प्लान को भारी नुकसान होता बताया।

इस धारा में भोपाल और इंदौर में ही उपयोग मास्टर प्लान की देरी को देखते हुए किया जा रहा था। भोपाल का मास्टर प्लान काभी समय से उलझा है और इंदौर का नया मास्टर प्लान बनाने की तैयारी चल रही है, इसलिए बिल्डरों ने इस बीच अफसरों को साधते हुए विकास अनुमति देने का रास्ता पूर्व में खोला था, परंतु विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद धारा 16 में दी जा रही अनुमति की भनक मुख्यमंत्री को लगी और उन्होंने इस पर तत्काल रोक लगाने के निर्देश जारी करते हुए तात्कालीन अधिकारी को भी हटा दिया था। इसके बाद इंदौर की संस्था क्रेडाई का प्रतिनिधि मंडल कुछ महीने पहले भोपाल में मंत्री से भी मिला और उन्होने अनुमति को लेकर धारा 16 के बारे में बताया। साथ ही 79 गांव में अनुमति खोलने का आग्रह किया था, इसके कुछ समय बाद ही बिल्डरों को नए प्रोजेक्ट के लिए अनुमति मिलना शुरू हो गई थी। इनकी संख्या तेजी से बढ़ने की शिकायत मिलने के बाद जब पूरे मामले की भनक मुख्यमंत्री को लगी तो उन्होंने अब धारा 16 में इंदौर और भोपाल में अनुमति दिए जाने पर रोक लगा दी।

इधर जमीनों के कारोबारियों ने बताया कि इन सभी जगहों पर डायरियों में भूखंड माफियाओं ने पहले से ही बेच रखे हैं जो विवादों में पड़े हुए हैं। बताया जा रहा है कि धारा 16 में अनुमति देने के बाद पूरे क्षेत्र का प्लानिंग एरिया प्रभावित होगा और इससे वहां के सड़कों के नेटवर्क सिवरेज सिस्टम, पेयजल प्रस्तावित मास्टर प्लान में गड़बड़ा जाएंगे।