इंदौर नगर निगम के डीसीआर सेल में 488 नक्शे अटके
अधिकारियों के पास 1150 और इंजीनियरों के पास कुल 2088 नक्शे लंबी कतार में
दैनिक अवन्तिका इंदौर
नगर निगम में जब से प्राइवेट कंपनियों को नक्शा का कामकाज दिया है तभी से सैकड़ों हजारों प्रकरण नक्शे के रखे हैं। अब हालत यह है कि ऊपर से बिल्डिंग परमिशन शाखा के बाहर निगम ने प्राइवेट गार्ड बिठा दिए इसलिए ना तो इंजीनियर नक्शों के मामले में जानकारी ले पाते हैं और ना ही संबंधित आवेदक कोई जानकारी ले पाता है।
बताया जाता है कि अभी तक वैसे देखा जाए तो निगम द्वारा इस तरह की कार्रवाई से फजीहत आम जनता की हो रही है। बिल्डिंग परमिशन शाखा से जानकारी के अनुसार एक बार फिर से नई कंपनी हैदराबाद को काम बिल्डिंग परमिशन शाखा में डिसीआर सेल का सौंपा है। इस कंपनी का कामकाज भी ऐसा है कि बेवजह नवशे अटक जाते हैं, जबकि सारे नक्शे नगरीय निकाय भोपाल के अनुसार चलते हैं जबकि शहर का काम अलग है। इसके बावजूद आज भी डीसीआर सेल में 481 नक्शे पेंडिंग हंै यह भी बार-बार कहा जाता रहा है कि किसी तरह की दिक्कत नहीं आने देंगे लेकिन वास्तविकता इससे कोसों दूर है। आज भी जहां एक और डीसीआर सेल में 488 से अधिक नक्शे अटके हैं ,तो निगम की बिल्डिंग परमिशन शाखा के अधीन काम करने वाले इंजीनियरों के पास 1150 से लंबित पड़े हैं। ऐसे में देखा जाए तो 2088 से अधिक नक्शे लंबित हैं। ऐसे में आवेदक शहर में किस तरह से मकान बनाएगा, यह विचारणीय प्रश्न है? यहां से लेकर भोपाल तक में भाजपा के शासन में सब कुछ अफसरों के भरोसे चलता है और अधिकारी भी इस अंदाज से काम करते हैं।
यहां जनता हित में कोई काम नहीं होता है और आम जनता लगातार परेशान हो रहे हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आज अधिक नक्शे पेंडिंग पड़े हुए हैं और लोगों को परेशान होना पड़ रहा है। इन दिनों नगर नगर निगम की बिल्डिंग परमिशन शाखा में अटके नक्शे के लिए न केवल आवेदक परेशान हो रहे हैं, बल्कि लाइसेंसधारी इंजीनियरों को भी इन दिनों अच्छा खासा परेशान होना पड़ रहा है। बिल्डिंग परमिशन शाखा से बराबर जानकारी नहीं मिल रही है तो डीसीआर विभाग में नक्शे पड़े होने के कारण परेशानी बनी हुई है।
सैकड़ों नक्शे के प्रकरण स्वीकृति के लिए अटके पड़े
ॅ प्रकरण अटकने की मुख्य वजह भी हैदराबाद को कंपनी की लोअर कार्यशैली है। बिल्डिंग परमिशन शाखा के गेट पर ही इंजीनियर से मिलने के लिए जब लोग जाते हैं तो वहां गार्ड बिठा दिए गए हैं इसलिए वे अंदर जाने की इजाजत नहीं देते और मौके पर ही रोक दिया जाता है।
ॅ इसके चलते किसी भी तरह से जानकारी नहीं मिल पा रही है क्योंकि संबंधित इंजीनियर व भवन अधिकारी भी फोन नहीं उठाते हैं। इसके चलते लोगों को परेशान होना पड़ रहा है।
ॅ दरअसल करीब 3 वर्ष पहले निगम ने हैदराबाद के कंपनी को नक्शा स्वीकृति के लिए अनुबंधित भी किया था और उन्हीं शर्तों के अनुसार समय-समय पर नक्शों को स्वीकृत भी करना था। फिर उस दिन कंपनी ने निगम के निर्देशों का पालन तो किया लेकिन बाद में प्रकरणों को अटकाना शुरू कर दिया और तरह-तरह की परेशानी बता कर आगे नहीं बढ़ाए जा रहे हैं। यह भी कहा जा रहा है कि कई प्रकरण तो दो से तीन माह तक डीसीआर सेल और भवन अधिकारी से लेकर भवन निरीक्षण में ही उलझे रहते हैं जिसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
ॅ इस तरह की स्थिति बार-बार देखने को मिल रही है, लेकिन निगम कमिश्नर को इससे कोई लेना-देना नहीं है जबकि नक्शे स्वीकृति के लिए इंतजार कर रहे लोगों को अच्छा खासा परेशान होना पड़ रहा है। आज भी नगर निगम के बिल्डिंग परमिशन शाखा में सैकड़ों प्रकरण अटके हुए हैं।
ॅ नगर निगम द्वारा जो पहले की पद्धति से काम किया जाता रहा है उससे किसी तरह की परेशानी नहीं थी लेकिन जब से बाहर की कंपनियों को काम दिया जा रहा है तभी से परेशानी बढ़ती ही जा रही है। इससे सबसे ज्यादा परेशान आम जनता है जिनके नक्शे स्वीकृति के लिए पड़े हैं, वहीं दूसरी और नक्शा प्रस्तुत करने वाले लाइसेंस होल्डर इंजीनियर भी परेशान हो रहे हैं।