तीन दिन में भौतिक सत्यापन की रिपोर्ट देने के थे आदेश, एक साल बीतने के बाद भी आगे नहीं बढ़ी प्रक्रिया
सारंगपुर। सारंगपुर में निकली पुरानी वस्तुओं एवं प्राचीन धरोहरों को सहजने के लिए लंबे समय से संग्रहालय बनाने की मांग की जा रही थी। जिसको संज्ञान में लेते हुए नपाध्यक्ष पंकज पालीवाल के प्रयास से पुराना संग्राहलय का भवन को पुन: संग्रहालय के लिए उपयोग की प्रक्रिया वर्ष 2023 फरवरी माह में प्रारंभ हुई थी और इसको लेकर तत्कालीन एसडीएम आरएम त्रिपाठी ने आदेश जारी कर नगर सारंगपुर के पुराना बस स्टैंड पर स्थित पुराना संग्रहालय का भवन के भौतिक सत्यापन किये जाने हेतु नपा सीएमओ एलएस डोडिया के नेतृत्व में तीन सदस्यी दल गठित किया था जिसमें नपा के उपयंत्री एवं कस्बा पटवारी को शामिल थे और निर्देश दिए गए थे कि संग्रहालय के सत्यापन के बाद 3 दिवस में संग्राहलय का पुलिस की उपस्थिति में भौतिक सत्यापन किया जाकर प्रतिवेदन मय विडियोग्राफी उपलब्ध कराने एवं भौतिक सत्यापन में उक्त भवन की स्थिति एवं भवन में संधारित वस्तुएं तथा कब्जे संबंधित प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के आदेश थे और नपाध्यक्ष पालीवाल, इतिहासकार शिवनारायण सोनी, नपा सीएमओ एलएस डोडिया के साथ श्रीत्रिपाठी ने बैठक कर संग्रहालय की व्यवस्था को लेकर चर्चा की थी। लेकिन अब एक साल से ज्यादा का समय गुजरने के बाद भी शहर में प्राचीन वस्तुओं को सहजने के लिए संग्रहालय बनाने की प्रक्रिया ठंडे बस्ते में चली गई है। पुरानी वस्तुओं एवं प्राचीन धरोहरों को सहजने के लिए लंबे समय चली आ रही संग्रहालय की मांग अब तक अधुरी है।
धीमी गति से चल रही प्रक्रिया, संग्रहालय न बनने का मुख्य कारण
नगर के पुराना बस स्टैंड पर स्थित पुराना संग्रहालय भवन काफी पुराना होकर बंद है। संग्रहालय का भौतिक सत्यापन किए जाने के वरिष्ठ अधिकारियों के निदेर्शों पर अमल नहीं हो रहा है। भवन के सुपुर्द करने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं दिखाई दिए। इससे नाराज नगर के इतिहासकार शिवनारायण सोनी का कहना है कि सारंगपुर पुरातत्व दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है क्योंकि यह नगर प्राचीन है। यहां पर हर एक महत्वपूर्ण पुरातत्व सामग्रियां, मूर्तियां, सिक्के अन्य प्राचीन स्मारक और मकबरे हैं।
प्राचीन सिक्के और मुद्राएं
श्रीसोनी के अनुसार यहां विभिन्ना मुद्राएं भी है। प्राचीन सिक्कों में ईस्ट इंडिया कंपनी मुगल शासन काल के अलावा रियासतों में प्रचलित सिक्के भी हैं। कुछ तो नेपाल सहित अन्य देशों के हैं। उन्होंने बताया कि यहां पर खिलजी मुगलकालीन किले मकबरे और प्राचीन सिक्के, दुर्लभ पाषाण, प्रतिमाएं, टेराकोटा, मृदभान, मिट्टी के पात्र और अशोक कालीन ईंटे आदि बहुमूल्य सामग्री रखरखाव और भवन के अभाव में स्थलों पर पडी पडी नष्ट हो रही है। जिसकी चिंता वर्षों से संग्रहालय दल को सता रही है जिसके लिए संग्रहालय बनना भी बहुत जरूरी है।
पुराना संग्रहालय की हालत दयनीय
संग्रहालय प्राचीन संपदा को सहझने के लिए है लेकिन पुराना संग्रहालय रखरखाव और देखरेख के अभाव में जीर्णशीर्ण हाल में पहुंच गया है। उपेक्षा का शिकार हो रहा संग्रहालय टूटा फर्नीचर और टूटे दरवाजे है। यदि इस पर प्रशासन द्वारा ध्यान दिया जाए और इसका जीर्णोद्वार कराया जाए तो संग्रहालय के लिये भवन शहरवासियों को प्राप्त हो सकता है।