खुसूखुसूर-फुसूर कुछ होगा भी कि नोटिस तक ही सिमटेगी बात
उज्जैन खुसूर-फुसूर
कुछ होगा भी कि नोटिस तक ही सिमटेगी बात
विद्यादान करने वाले विभाग में माध्यमिक शिक्षा मंडल की परीक्षाओं के परिणाम सामने आने के बाद जमकर हलचल मची थी। इसके तहत जिला स्तर पर भी काम शुरू हो गया था । एक शतक के बराबर स्कूलों के जिम्मेदारों को नोटिस दिए जाकर तीन दिन में जवाब तलब किए गए थे। चुनाव को देखते हुए बाद में जवाब पर चुप्पी साध ली गई थी। इस बीच प्रदेश स्तर पर भी परिणाम को लेकर मामला ठंडे बस्ते में चले जाने से सभी जगह भरी गर्मी में परिणाम के कम प्रतिशत को लेकर बर्फबारी हो गई है। मतदान के बाद प्रशासनिक काम को गति में लाया जा रहा है लेकिन शिक्षा विभाग का यह प्रशासनिक काम ठंडा ही रखा जा रहा है। इसके पीछे राजनैतिक, प्रशासनिक एवं समन्वय के कारण भी बताए जा रहे हैं। खुसूर-फुसूर है कि परिणाम में 10 वीं में तो पूरी तरह से ही परिणाम बिगडे हैं और 12 वी में कुछ प्रतिशत कमजोरी रही है। मामले को प्रदेश स्तर पर ठंडा ही रखने के और इस जिन्न को बाहर नहीं आने देने की हिदायत सचिव महोदय को ही मिल चुकी है। यह भी कहा गया है कि अगर कुछ करना भी हो तो अभी नहीं और कुल्हड में ही करना बवाल नहीं । अब सचिव महोदय तो चाहते ही यही थे । उन्हें तो डर सता रहा था कि अब कैसे क्या होगा,बात कैसे संभलेगी, इस बिगाड का ठीकरा किसके सर होगा। इन्हीं सब प्रश्नों से घिरे सचिव महोदय की और तमाम अधिकारियों की अभी तो यही सोच है कि जान बची तो लाखों पाए…पर अंदर की बात तो यह आ रही है की दो धारी तलवार से इसका निदान होगा अभी तो सिर्फ राहत की सांस लेने दी गई है नए सत्र की शुरूआत होते ही मानसून का गिरना तय है। र-फुसूर कुछ होगा भी कि नोटिस तक ही सिमटेगी बातविद्यादान करने वाले विभाग में माध्यमिक शिक्षा मंडल की परीक्षाओं के परिणाम सामने आने के बाद जमकर हलचल मची थी। इसके तहत जिला स्तर पर भी काम शुरू हो गया था । एक शतक के बराबर स्कूलों के जिम्मेदारों को नोटिस दिए जाकर तीन दिन में जवाब तलब किए गए थे। चुनाव को देखते हुए बाद में जवाब पर चुप्पी साध ली गई थी। इस बीच प्रदेश स्तर पर भी परिणाम को लेकर मामला ठंडे बस्ते में चले जाने से सभी जगह भरी गर्मी में परिणाम के कम प्रतिशत को लेकर बर्फबारी हो गई है। मतदान के बाद प्रशासनिक काम को गति में लाया जा रहा है लेकिन शिक्षा विभाग का यह प्रशासनिक काम ठंडा ही रखा जा रहा है। इसके पीछे राजनैतिक, प्रशासनिक एवं समन्वय के कारण भी बताए जा रहे हैं। खुसूर-फुसूर है कि परिणाम में 10 वीं में तो पूरी तरह से ही परिणाम बिगडे हैं और 12 वी में कुछ प्रतिशत कमजोरी रही है। मामले को प्रदेश स्तर पर ठंडा ही रखने के और इस जिन्न को बाहर नहीं आने देने की हिदायत सचिव महोदय को ही मिल चुकी है। यह भी कहा गया है कि अगर कुछ करना भी हो तो अभी नहीं और कुल्हड में ही करना बवाल नहीं । अब सचिव महोदय तो चाहते ही यही थे । उन्हें तो डर सता रहा था कि अब कैसे क्या होगा,बात कैसे संभलेगी, इस बिगाड का ठीकरा किसके सर होगा। इन्हीं सब प्रश्नों से घिरे सचिव महोदय की और तमाम अधिकारियों की अभी तो यही सोच है कि जान बची तो लाखों पाए…पर अंदर की बात तो यह आ रही है की दो धारी तलवार से इसका निदान होगा अभी तो सिर्फ राहत की सांस लेने दी गई है नए सत्र की शुरूआत होते ही मानसून का गिरना तय है।