डाकमत पत्रों से अभी और बढेगा मतदान का प्रतिशत

-इवीएम में डले वोट का प्रतिशत 73.69 रहा है उज्जैन -आलोट संसदीय क्षेत्र में

 

-2600 से 2700 डाकमत पत्र का प्रतिशत और जुडकर सामने आएगा परिणाम में

उज्जैन। लोकसभा निर्वाचन-24 के तहत सोमवार को हुए मतदान में संसदीय क्षेत्र का मतदान प्रतिशत 73.69 रहा है।इस मतदान प्रतिशत में मतगणना तक और इजाफा होगा। असल में डाकमत पत्रों को भी इसमें जोडा जाएगा जिससे मतदान प्रतिशत में इजाफा होना तय है। करीब ढाई हजार से अधिक मत कुल मतदान 13लाख25हजार454 में जोडा जाएगा।

हाल ही में हुए मतदान में जो प्रतिशत सामने आया है वह पीठासीन अधिकारी की डायरी से इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन में डले मतों का ही है। इसके अलावा डाकमत पत्रों से मतदान करने वालों के मतपत्र अभी आ रहे हैं। करीब ढाई हजार से अधिक अर्हताधारी मतदाताओं को डाकमत पत्र निर्वाचन की और से जारी किए गए थे। मतगणना से पूर्व तक डाकमत पत्र प्राप्त किए जाते हैं। ऐसे में मतदान के वर्तमान प्रतिशत में वृद्धि तय है। उप जिला निर्वाचन अधिकारी एवं अपर कलेक्टर महेन्द्र कवचे के अनुसार हमारे करीब 2600-2700 डाक मत पत्र हैं जो आते जा रहे हैं। इनके शामिल होने से मतदान प्रतिशत में वृद्धि होगी। निर्वाचन में लगे कर्मियों और सुरक्षा में लगे कर्मियों ने ईडीसी से मशीन में ही वोट किया है। सभी का संसदीय क्षेत्र एक ही था।

तीसरे एवं चौथे चरण में मध्य भारत ने संभाला मतदान प्रतिशत

मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों पर मतदान की प्रक्रिया पूरी हो गई। पहले दो चरण के चुनाव में मतदान प्रतिशत घटने से चुनाव आयोग और राजनीतिक दल चिंतित थे, लेकिन तीसरे और चौथे चरण के चुनाव में निर्वाचकों ने मतदान की गिरावट को काफी हद तक थाम लिया। खासतौर पर मध्य भारत, मालवा और निमाड अंचल में हुए मतदान की बदौलत राज्य का औसत मतदान 66.77 प्रतिशत पहुंच गया। यह 2019 में हुए मतदान की तुलना में कम अवश्य है पर जिस तरह की गिरावट पहले दो चरणों में सामने आई थी, वह यदि बरकरार रहती तो राज्य का औसत मतदान काफी कम रह जाता।

2014 व 19 के मुकाबले कमजोर-

राज्य में हुए 2014 और 2019 के चुनाव में मतदाताओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। प्रत्येक चुनाव में पिछले चुनाव से लगभग 10 प्रतिशत अधिक मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था। चूंकि, प्रदेश में पांच माह पूर्व नवंबर 2023 में विधानसभा चुनाव हुए थे, जिसमें 77. 15 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान करके रिकार्ड बनाया था। इसके चलते उम्मीद थी कि मतदाता लोकसभा चुनाव के रिकार्ड 71.16 प्रतिशत मतदान को भी पीछे छोड़ देंगे। इसी हिसाब से राजनीतिक दलों के साथ चुनाव आयोग ने भी तैयारी की थी लेकिन विध्य, बुंदेलखंड और महाकौशल की 12 लोकसभा सीटों पर पहले और दूसरे चरण में क्रमश: मतदान लगभग 7.48 और 9.03 प्रतिशत कम रहा।

दिग्गजों के 2019 से भी ज्यादा मतदान-

तीसरे चरण मैं ग्वालियर-चंबल और मध्य भारत की सीटों के लिए मतदान हुआ। इसमें 11 प्रतिशत मतदान बढा राजगढ़, विदिशा, गुना, भिंड और ग्वालियर लोकसभा क्षेत्रों में 2019 की तुलना में अधिक मतदाताओं ने मताधिकार का उपयोग किया। इसका एक बड़ा कारण पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को चुनाव लड़ना भी रहा तीनों ने क्षेत्र में लगातार जनसंपर्क किया और मतदाताओं को मतदान करने के लिए प्रेरित किया। बैतूल लोकसभा क्षेत्र के तीसरे चरण के चुनाव में शामिल होने के कारण मतदाताओं की संख्या बढ़ गई अन्यथा सर्वाधिक 1.63 करोड मतदाता मालवा निमाड अंचल में ही थे। यहां 71.72 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। इसके कारण राज्य का औसत मतदान 66.77 प्रतिशत पहुंच गया, जो 2019 की तुलना में 4.35 प्रतिशत कम है।

2019 के मुकाबले कम लेकिन थामा औसत-

मालवा निमाड अंचल में भले ही 2019 की तुलना में औसत मतदान भले ही कम रहा हो पर इसका राज्य के औसत मतदान को थामने में बडा योगदान रहा क्योंकि यहां मतदाताओं की संख्या दूसरे नंबर पर थी। हालांकि, डाक मतपत्रों से हुआ मतदान इसमें शामिल होना शेष है। इसके बाद अंतर कुछ और कम हो जाएगा।