100 करोड़ के ड्रेनेज घोटाले के कारण सफाई व्यवस्था प्रभावित, बारिश के पूर्व नदियों की सफाई अधर में लटकी

 

 

इंदौर । इंदौर नगर निगम में 100 करोड के ड्रेनेज घोटाले का असर शहर की सफाई व्यवस्था पर भी साफ नजर आ रहा है। नदियों में गंदे पानी को मिलने रोकने के पाइप लाइन का नेटवर्क बिछाने का ज्यादातर काम जमीन पर हुआ नहीं, लेकिन उसके बिल पास हो गए। अब इसका असर शहर में साफ नजर आ रहा है।
नदियों में सीवरेज का पानी लगातार मिल रहा है। 200 करोड़ का नाला टैंपिंग प्रोजेक्ट भी इस कारण फ्लॉप साबित हो रहा है।
स्वच्छता रैंकिंग में साफ वायु और साफ पानी के अलग से नंबर जुड़ते है।
पिछले साल नगर निगम ने शहर की आबोहवा साफ रखने के प्रयास किए थे, लेकिन नदियों को साफ रखने की कवायद कमजोर रही। कान्ह नदी के 400 से ज्यादा स्पॉट बंद करना थे। जिनसे नदियों में गंदा पानी बहता है।

इसके लिए नदी किनारे बिछाई गई बड़ी लाइनों से कॉलोनियों व बस्तियों की लाइनों को जोड़ा जाना था। सबसे ज्यादा घोटाला इन कामों में ही हुआ।
इस कारण राजवाड़ा, बाणगंगा, जूना रिसाला, तोड़ा क्षेत्र की बस्तियों में खुली नालियों में गंदा पानी बहता है और वह सीधे नालों में गिरता है।

तय योजना के अनुसार नदी में गंदा पानी मिलने से शत प्रतिशत रोका जाना था और फिर नदी में बरसात का पानी रोकना था, लेकिन नदी में गंदा पानी लगातार मिल रहा है। इस मामले में मेयर पुष्य मित्र भार्गव का कहना है कि नाला टैंपिंग प्रोजेक्ट की जांच की मांग भी हमने उच्च स्तरीय कमेटी से की है, ताकि भविष्य में इस तरह के घोटालों की पुनर्रावृति न हो सके।

इंदौर की नदी से शिप्रा भी मैली नमामि गंगे प्रोजेक्ट के इंदौर को 500 करोड़ रुपये वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाने के मिले है।
इसका निर्माण अभी नहीं हो पाया है। दो साल पहले पांच ट्रीटमेंट प्लांट बनाए गए थे, लेकिन वे पूरी क्षमता से काम नहीं कर पा रहे है। इंदौर शहर का अंतिम ट्रीटमेंट प्लांट कबीटखेड़ी में बना है, जबकि शहर की बसाहट प्लांट से आठ किलोमीटर आगे तक हो चुकी है।

 

उस हिस्से का सीवरेज सीधे कान्ह नदी में जाकर मिल रहा है। यह कान्ह नदी उज्जैन के पहले त्रिवेणी संगम पर शिप्रा नदी से मिलती है। इस कारण शिप्रा नदी का जल भी प्रदूषित हो जाता है। लोकसभा चुनाव के दौरान शिप्रा नदी में गंदा पानी होने पर कांग्रेस उम्मीदवार महेश परमार ने नदी में डूबकी लगाई थी और नदी के पानी को गंदा बताया था। बाद में मुख्यमंत्री यादव ने उज्जैन प्रवास के दौरान शिप्रा नदी में डूबकी लगाई थी। चुनाव में भी शिप्रा नदी का मुद्दा उछल चुका है।