इंदौर जिले की नौ विधानसभा सीटों पर भाजपा एक लाख या उससे ऊपर की बढ़त मिलने की उम्मीद

दुष्प्रचार का नही पड़ेगा फर्क , इस बार प्रत्याशी की सांसे ऊपर नीचे नही

 

इंदौर। इंदौर जिले की सभी नौ विधानसभा सीटों पर भाजपा एक लाख या 1 लाख से अधिक मतों की लीड लेने की स्थिति में है। इंदौर जिले के अंतर्गत दो लोकसभा क्षेत्र आते हैं। इंदौर जिले की महू विधानसभा सीट धार संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है।
इंदौर लोकसभा क्षेत्र में इस बार कांग्रेस का प्रत्याशी नहीं था। नोटा को लेकर कांग्रेस ने बहुत सारी बातें और दावे किए लेकिन मतदान के दिन अधिकांश मतदान केंद्र पर कांग्रेस की टेबलें नहीं थी। इंदौर जिले की सभी नौ विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है। अनुमान है कि इंदौर क्षेत्र क्रमांक 2 में भाजपा की बढ़त 1,25000 से लेकर डेढ़ लाख तक हो सकती है। इस बार दूसरे नंबर पर क्षेत्र क्रमांक 4 की बजाय क्षेत्र क्रमांक एक रह सकता है।

कांग्रेस का प्रत्याशी सामने नहीं होने से इंदौर लोकसभा की सभी नौ विधानसभा सीटों पर भाजपा एक लाख से अधिक बाधक लेने की स्थिति में है। क्षेत्र क्रमांक 4 के अलावा सांवेर विधानसभा में भी भाजपा को भारी बढ़त मिलेगी। जहां तक महू विधानसभा का प्रश्न है तो यहां भी भाजपा का प्रदर्शन 2019 की तुलना में बहुत अच्छा रहेगा।
2019 में भाजपा के छतर सिंह दरबार ने कांग्रेस के दिनेश गिरवाल को लगभग 60,000 मतों से हराया था। इस बार भाजपा की बढ़त 80,000 से लेकर 100,000 मतों तक हो सकती है। इंदौर जिला वैसे भी कांग्रेस के लिए सर दर्द रहा है। पिछले लगभग 33 वर्षों से इंदौर में भाजपा ने लगातार चुनावी सफलताएं अर्जित की हैं। विधानसभा चुनाव में 1998 का विधानसभा चुनाव छोड़ दिया जाए तो 90 के बाद से सभी विधानसभा चुनाव में जिले में भाजपा को कांग्रेस से अधिक सीटें मिलती रही हैं।

2018 के विधानसभा चुनाव में जहां प्रदेश में कांग्रेस ने अल्पमत की सरकार बनाने में सफलता प्राप्त की थी, वही इंदौर जिले में वह भाजपा से पीछे थी। इंदौर जिले में भाजपा जिला पंचायत और इंदौर नगर निगम दोनों चुनाव में पिछले 5 बार से लगातार सफलता प्राप्त कर रही है। जनपद सदस्य और सरपंचों के मामले में भी भाजपा कांग्रेस के मुकाबले कहीं आगे रहीं।
इंदौर जिले में संघ परिवार का नेटवर्क भी बहुत मजबूत है जिसका लाभ भाजपा को मिलता ही है। इंदौर नगर निगम में सन 2000 में पहली बार मेयर के चुनाव प्रत्यक्ष जनता द्वारा किए गए थे। उन चुनावों में कैलाश विजयवर्गीय जनता द्वारा निर्वाचित पहले महापौर बने थे। इसके बाद 2005 में डॉ उमा शशि शर्मा निगम महापौर का चुनाव जीती, उन्होंने कड़े संघर्ष में शोभा ओझा को लगभग 13000 मतों से हराया था।

2010 में कृष्ण मुरारी मोघे को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया, जिन्होंने कांग्रेस के पंकज संघवी को लगभग 3500 मतों से हराया था। यह कांग्रेस की नगर निगम चुनाव में सबसे नजदीकी हार थी अन्यथा 2015 के चुनाव में मालिनी गौड़ और 2023 के चुनाव में पुष्यमित्र भार्गव ने भारी अंतर से कांग्रेस के प्रत्याशियों को पराजित किया है। जिला पंचायत के चुनाव में भी यही स्थिति रही। भाजपा की ओर से रामकरण भाबर, कैलाश पाटीदार, ओम परसावदिया, कविता पाटीदार और रीना मालवीय (मौजूदा अध्यक्ष) जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हुई हैं।
भाजपा ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जनपद और जिला पंचायत प्रतिनिधियों के साथ ही ग्राम पंचायतों के चुनाव में भी भारी सफलताएं प्राप्त की हैं। 2 वर्ष पूर्व हुए पंचायत चुनाव में भाजपा ने जिले में चारों जनपद अध्यक्ष बनाने में सफलता प्राप्त की थी। इसी तरह नगर निगम के वाडों के चुनाव में भी भाजपा को भारी अंतर से जीत मिली है।

भाजपा ने पिछले 5 बार से 50 से अधिक पार्षद निर्वाचित करवाने में सफलता प्राप्त की है। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सांवेर, देपालपुर, राऊ और क्षेत्र क्रमांक 1 में जीत हासिल की थी। जबकि भाजपा को महू, क्षेत्र क्रमांक 2, 3, 4 और 5 में जीत मिली थी। बाद में जुलाई 2020 में हुए सांवेर विधानसभा के उपचुनाव में कांग्रेस के प्रेमचंद गुड्डू भाजपा के तुलसी सिलावट से हार गए थे इस तरह भाजपा विधायकों की जिले में संख्या बढ़कर 6 हो गई। इंदौर जिले में 9 विधानसभा क्षेत्र हैं। जिले का महू विधानसभा क्षेत्र धार लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इंदौर जिले की सभी नौ विधानसभा सीटों पर भारी जीत दर्ज की थी।

दरअसल, 1990 के बाद हुए विधानसभा चुनाव में केवल 1998 का चुनाव ऐसा था जब कांग्रेस को जिले से 8 में से 6 विधानसभा सीटें जीतने में सफलता प्राप्त हुई थी। उस समय भाजपा की ओर से क्षेत्र क्रमांक 2 से कैलाश विजयवर्गीय और क्षेत्र क्रमांक 4 से लक्ष्मण सिंह गौड़ विजय हुए थे। अन्यथा 1990 के बाद जितने भी चुनाव हुए इंदौर जिले में भाजपा का वर्चस्व स्पष्ट रूप से दिखा। इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा को 12 लाख से अधिक मतों की बढ़त मिलने की संभावना है।