दशहरा मैदान,कालिदास अकादमी के पीछे,दमदमा पीजीबीटी ग्राउंड में खेलने वाले हो रहे आहत मेला तो हो गया, खेलने वालों को कील जूता फाड कर आहत कर रही -मैदान का उपयोग कर नगर निगम ने नहीं करवाई तकनीकि तौर पर मैदानों की सफाई

दैनिक अवन्तिका   उज्जैन। वाहन मेले में जमकर कंपनियों ने व्यापार किया। एक महीने तक जमकर वाहन बिके और परिवहन विभाग के साथ ही नगर निगम को भी अच्छा व्यवसाय मिला। दशहरा मैदान से लेकर पीजीबीटी के मैदानों पर वाहन कंपनियों ने शो रूम बनाए और बाद में उन्हें उखाड कर ले गए। इन मैदानों पर खेलने वाले वहां छोडी गई किल से आहत हो रहे है। नूकीली किलें जूता फाडकर पांव भेद रही है। मार्च के पूरे माह और अप्रेल के प्रथम सप्ताह में उज्जैन में पहली बार वाहन मेले का आयोजन नगर निगम ने किया था। इस आयोजन में नगर निगम ने वाहन कंपनियों को भूखंड उपलब्ध करवाए थे। उन भूखंडों पर अस्थाई शो रूम का निर्माण वाहन कंपनियों एवं इलेक्ट्रानिक कंपनियों ने किया था। दशहरा मैदान में एक से एक  बडी कंपनी ने अपने स्टाल लगाए थे। अस्थाई शो रूम प्लाई और चद्दर से बनाए गए थे। इसमें जमकर कीलों का उपयोग संबंधित ठेकेदार ने शो रूम बनाने में किया था। मेले के उपरांत इन शो रूमों को खोला गया औ पून: उपयोग के लिए उनसे प्लाई और चद्दर अलग निकाल लिए गए। इस दौरान काम करने वालों ने पूरे मैदान में कीलों को निकाल कर फैला दिया। कीलों को व्यवस्थित एकत्रित नहीं किया गया इस कारण से अब मैदान में खेलने,घूमने आ रहे लोगों को कीलें चोंटिल कर रही है। मैदान खाली होने पर नगर निगम ने यहां झाउू से सफाई करवा दी थी लेकिन मिट्टी के अंदर जा चुकी कीलों को ढूंढकर बाहर करने के लिए कोई जतन नहीं किए गए।जूतों को भेद कर पांव चोटिल कर रही कीलें-मैदान में मिट्टी में यत्र-तत्र फैली कीलों की स्थिति यह है कि ये खेलने और घूमने आने वालों के पांव को जूते को भेदते हुए चोंटिल कर रही हैं। मिट्टी में ये ठीक से दिखाई भी नहीं पडती हैं। पिछले एक माह से अधिक समय में कई खेलने और घूमने आने वालों के पैर इस कारण से जख्मी हुए हैं।तीनों मैदानों का खेल के लिए उपयोग-दशहरा मैदान में नगर निगम ने स्टेडियम का निर्माण करवाया है। मूल रूप से यहां फूटबाल खेलने के लिए स्थानीय एक क्लब ने अपनी व्यवस्था जमा रखी है,लेकिन मैदान में शौकिया और प्रेक्टिस करने वाले क्रिकेट के खिलाडी भी जमकर पहुंचते हैं। सुबह शाम इस मैदान में सैंकडों खेल प्रेमियों का जमघट लगता है। इसी तरह से पीजीबीटी के मैदानों में क्रिकेट की कुछ संस्थाएं प्रशिक्षण देती है। यहां छोटे बच्चे क्रिकेट के गुर सीखने पहुंचते हैं। मैदान के जिस क्षेत्र में इनकी पीच है उसमें तो इन्होंने खोज बीन कर कीलें निकाल कर फेंक दी हैं लेकिन मैदान के अन्य हिस्सों में दौडने के दौरान कब कील पांव भेद देगी किसी को पता नहीं चल पाता है।चुंबक से की जा सकती थी कील इकट्ठा-मैदान में खेलने और घूमने आने वालों का कहना था कि वैसे तो यह मैदान खेल के लिए आरक्षित हैं। शहर में वैसे ही गिनती के मैदान हैं उस पर भी मेले का आयोजन अच्छी बात है,लेकिन शोरूम तोडने के बाद पूरे मैदान पर चुंबक से कीलों को इकट्ठा किया जा सकता था। नगर निगम चाहता तो ठेकेदार से इसे करवाकर मैदान आने वालों को चोंटिल होने से बचा सकता था। बरसात के बाद ये कीलें जंग लगी हो जाएगी और मैदान में खेलने और घूमने आने वालों के लिए घातक भी।

Author: Dainik Awantika