इंदौर में आठ साल बाद ताई फिर लौटी खेलों की राजनीति में

 

मध्य भारत खो-खो संगठन के चुनाव में निर्विरोध बनी अध्यक्ष

इंदौर। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और इंदौर सीट से आठ बार सांसद रहीं सुमित्रा महाजन ने आठ साल के लंबे अंतराल के बाद दोबारा खेलों की राजनीति में वापसी की है। मध्य भारत खो-खो संगठन के रविवार को हुए चुनाव में महाजन को निर्विरोध अध्यक्ष चुना गया।
वर्ष 1955 से प्रदेश में खो-खो के विकास के लिए कार्य कर रहे मध्य भारत खो-खो संगठन से महाजन पहले से जुड़ी रहीं हैं। वे दो कार्यकाल तक संगठन की अध्यक्ष रहीं। मगर राजनीतिक जिम्मेदारियों और लोकसभा अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने खो-खो संगठन की कुर्सी छोड़ दी थी। उनकी अनुपस्थिति में भाजपा नेता ललित पोरवाल को कुर्सी सौंपी गई थी।

अब ताई चुनावी राजनीति से दूर हैं तो खो-खो से जुड़े लोगों के आग्रह पर उन्होंने दोबारा खेल संगठन की जिम्मेदारी संभालने पर सहमति दी। मालवा मिल स्थित एक होटल में हुई संगठन की चुनावी साधारण सभा में सर्वसम्मति से आगामी चार वर्ष के लिए कार्यकारिणी का गठन किया गया। इसमें महाजन को निर्विरोध संगठन का अध्यक्ष चुना गया है।
इंदौर के ही नितिन कोठारी दूसरी बार सचिव चुने गए हैं। चुनावी सभा में 17 जिलों के प्रतिनिधि शामिल हुए। देवास जिला संगठन के सचिव राधेश्याम सोलंकी, इंदौर में भाजपा के पार्षद और पूर्व खिलाड़ी सुरेश टाकलकर, ग्वालियर के प्रशिक्षक अशोक चव्हाण और इंदौर के पूर्व खिलाड़ी राजू चिंतामण को उपाध्यक्ष चुना गया है। नितिन सरवटे को कोषाध्यक्ष चुना गया है। उत्तरा पानसे और जाकिर खान संयुक्त सचिव बने हैं। भारतीय खो खो महासंघ की ओर से शरद जपे पर्यवेक्षक के रूप में उपस्थित थे।

संगठन को मान्यता दिलाना प्राथमिकता

खेल मंत्रालय ने एक राज्य एक संगठन का नियम लागू किया है। इसके तहत प्रदेश में मध्य प्रदेश खो-खो संगठन को खेल विभाग से मान्यता है, जबकि मध्य भारत खो-खो संगठन को एसोसिएट सदस्य बनाया गया है।
इससे खिलाड़ियों को राष्ट्रीय स्पर्धा खेलने को मिलती है, लेकिन राष्ट्रीय संगठन के चुनाव में मतदान का अधिकार नहीं है। महाजन का प्रयास है कि मध्य भारत खो-खो संगठन को भी आधिकारिक मान्यता मिले। अध्यक्ष बनने पर महाजन ने कहा कि खो-खो खिलाड़ियों और खेल संगठन से जुड़े सदस्यों के आग्रह पर मैंने अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालने का फैसला किया है। मध्य भारत संस्था बहुत पुरानी है।
कई छोटे राज्य हैं जहां इंदौर जितने भी खिलाड़ी नहीं है। ऐसे राज्यों के क्षेत्रफल और जनसंख्या की तुलना में मध्य प्रदेश बहुत बड़ा है। इसे देखते हुए प्रदेश से मध्य भारत खो-खो संगठन को भी समान महत्व मिलना चाहिए।
मेरा प्रयास रहेगा कि संगठन के गौरवशाली इतिहास और खेल में योगदान को देखते हुए उचित अधिकार प्राप्त हों। साथ ही हम जिला और संभाग स्तर पर खो-खो खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएं दिलाने का प्रयास भी करेंगे।