मालवा और निमाड़ अंचल में रतलाम झाबुआ को छोड़कर से सभी सीटों पर भाजपा 70 फीसदी वोट लेने की स्थिति में

 

 

इंदौर। मालवा और निमाड़ आंचल में भाजपा भारी जीत दर्ज करने की स्थिति में है। । इस अंचल में केवल रतलाम झाबुआ सीट पर ही कांग्रेस ने कड़ा मुकाबला किया है, अन्यथा शेष सातों सीटों पर भाजपा भारी अंतर के साथ जीत दर्ज करने जा रही है। रतलाम झाबुआ में कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया और भाजपा के अनीता चौहान के बीच कड़ा मुकाबला है। यहां यदि मोदी लहर का असर नहीं हुआ तो कांग्रेस जीत भी सकती है, लेकिन इंदौर उज्जैन संभाग की उज्जैन, देवास शाजापुर, मंदसौर, खंडवा, खरगोन, धार और इंदौर की सीट की स्थिति बिल्कुल अलग है।

 

इन सभी सीटों पर भाजपा 65 से 70 फीसदी वोट लेने की स्थिति में है। मतदान के दिन संघर्ष वाली धार और खरगोन सीट पर भी स्थिति पूरी तरह से भाजपा के पक्ष में नजर आई। इंदौर की सीट पर तो इस बात की चर्चा है कि भाजपा 10 लाख के अंतर से जीतेगी या 12 लाख के अंतर से ! उज्जैन, देवास शाजापुर, खंडवा मंदसौर सीटों पर भी भाजपा की बढ़त 2 लाख से ऊपर रहेगी।
धार और खरगोन आदिवासी सुरक्षित सीटों पर भाजपा एक से डेढ़ लाख वोटों से जीत सकती है। दरअसल, इस बार भाजपा ने पूरे प्रदेश में 65 फीसदी मत प्राप्त करने का लक्ष्य रखा था। मतदान के बाद जो फीडबैक मिला है उसके अनुसार पार्टी इस लक्ष्य के करीब पहुंच चुकी है।

प्रदेश में भाजपा को वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में 58 प्रतिशत वोट मिले थे। पार्टी का दावा है कि इस बार वह 62 प्रतिशत वोट शेयर प्राप्त कर लेगी। भाजपा संगठन ने इस लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय स्तर पर 51 प्रतिशत से अधिक वोट शेयर पाने का लक्ष्य रखा था। इसके लिए हर बूथ पर 370 वोट अधिक करवाने का लक्ष्य दिया गया था। औसत मतदान कम होने के कारण कुछ हद तक लक्ष्य प्रभावित हुआ है लेकिन मध्य प्रदेश में पार्टी 66.87 प्रतिशत के औसत मतदान में से 62 प्रतिशत से अधिक वोट शेयर पाने का दावा कर रही है।

दरअसल, पिछले वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में 51 प्रतिशत वोट शेयर का लक्ष्य पाने के लिए भाजपा ने राज्य, संभाग, जिला और विकासखंड स्तर बूथ समितियों के प्रदेशभर में सम्मेलन किए थे। इनमें बूथ समिति के सदस्यों को बताया गया था कि किस तरह से एक-एक वोट का हिसाब रखना है। मतदाताओं को घरों से निकालकर वोट डलवाने हैं।
यही वजह है कि भीषण गर्मी के बावजूद औसत मतदान में प्रदेश में मात्र सवा चार प्रतिशत की ही कमी आई। पिछले लोकसभा चुनाव में 58 प्रतिशत वोट शेयर पाने से उत्साहित भाजपा ने इस चुनाव में प्रदेश के हर बूथ पर 65 प्रतिशत तक वोट पाने का लक्ष्य रखा था। इसके लिए बूथ पर हर कार्यकर्ता को सुबह छह मतदाताओं को प्रेरित कर मतदान केंद्र तक ले जाने की जिम्मेदारी दी गई।

पन्ना प्रमुख और पेज प्रमुख को भी मतदान बढ़ाने का दायित्व दिया गया था। मध्य प्रदेश में वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव में 67.41 प्रतिशत औसत मतदान हुआ, इसमें भाजपा ने 173 सीटों पर जीत दर्ज कर 42.5 प्रतिशत वोट शेयर प्राप्त किया था।

अगले साल वर्ष 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में 48.09 प्रतिशत औसत मतदान हुआ जिसमें भाजपा को 25 सीटें मिलीं और वोट शेयर बढ़कर 48.13 प्रतिशत हो गया। हालांकि बीच में इसमें वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव गिरावट आई। इस चुनाव में 69.52 प्रतिशत औसत मतदान हुआ, जिसमें भाजपा को 143 सीटों के साथ 37.81 प्रतिशत और कांग्रेस को 71 सीटों के साथ 36.04 प्रतिशत वोट मिले थे। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में 51.16 प्रतिशत औसत मतदान हुआ, जिसमें भाजपा को 16 सीटें और 43.45 प्रतिशत वोट शेयर मिला।

इसके बाद भाजपा का वोट शेयर लगातार बढ़ रहा है। भाजपा को वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भी 54.02 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे, तब प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में भाजपा की झोली में 27 सीटें आई थीं। वर्ष 2019 में पार्टी ने 58 प्रतिशत वोट शेयर पाकर 28 सीटें जीतीं थीं। पांच माह पहले हुए विधानसभा चुनाव में प्रदेश में बंपर वोटिंग हुई थी। तब 77.15 प्रतिशत के औसत मतदान में से भाजपा को 48.55 प्रतिशत वोट मिले थे।